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कहीं बिस्तर तो नहीं कर रहा बीमार ? (The Health Effects of Old Mattresses)

shutterstock_86852641 पूरे दिन की मेहनत के बाद थक-हार कर जब आप घर पहुंचते हैं, तब आरामदायक बेड ही नज़र आता होगा. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आराम पहुंचानेवाला बेड भी आपको बीमार कर सकता है. कुछ बातों का ध्यान रखकर आप अपने मुलायम बिस्तर को हाइजिनिक और हेल्दी बना सकते हैं. एक रिसर्च के मुताबिक़, हम अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा बेड पर गुज़ारते हैं. बिस्तर अगर साफ़ न हो, तो आप कई बीमारियों के शिकार हो सकते हैं. कई तरह के एलर्जी, जैसे- गले में खराश, सिरदर्द, अस्थमा अटैक, खुजली, आंखों में जलन आदि लक्षण नज़र आएं, तो सतर्क हो जाइए. हो सकता है, आपका बिस्तर आपके आराम को तकलीफ़देह बना रहा हो. क्या है बेड पर? * इंसान के शरीर से एक हफ़्ते में लगभग 14 ग्राम मृत त्वचा निकलती है, जो बिस्तर पर ही रह जाती है. * इसके अलावा पसीना, धूल के कण, सूक्ष्म जीवाणु जैसे कई तरह के बैक्टीरिया बेड पर होते हैं, जो कई बार नज़र तक नहीं आते. * ज़्यादातर गद्दे या तकिए पॉलीयुरेथेन फोम से बने होते हैं, जो कि सूक्ष्म जीव, धूल के कण और छोटे-छोटे कीड़ों का पसंदीदा ठिकाना है. आंकड़ों की      मानें तो प्रति बिस्तर इनकी संख्या तक़रीबन 10 लाख के क़रीब होती है. * इस तरह के फोम से टोल्यून डायसिसियनेट्स नाम का रसायन निकलता है, जो सांस के ज़रिए सीधे शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है और फेफड़ों    की गंभीर बीमारी का कारण बनता है. तकिया भी कर रहा है बीमार * एक रिसर्च के मुताबिक़ रोज़ाना इस्तेमाल किए जानेवाले तकिए का 10 फ़ीसदी वज़न धूल के कण व उस पर मौजूद बैक्टीरिया की वजह से होता है. * सिर पर लगा तेल भी अक्सर तकिए पर चिपक जाता है, जो कई बार धोने पर भी साफ़ नहीं होता और उसपर भी बैक्टीरिया चिपक जाते हैं. * बाज़ार में मिलनेवाले फोम से बने तकिए सेहत के लिए ठीक नहीं होते हैं. सोते समय इनसे निकलनेवाले केमिकल एलर्जी और कैंसर जैसी बीमारियों को न्योता देते हैं. landscape-1427408233-bed-pillows कैसे साफ़ रखें बिस्तर? * नई चादर या तकिए के कवर को इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह से धो लें और धूप में ठीक से सुखा लें. * धूल के कण और बैक्टीरिया को अच्छी तरह से साफ़ करने के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल करें. पानी में कपड़े धोनेवाले कीटाणुनाशक लिक्विड या  एंटीबैक्टीरियल क्लींज़र का इस्तेमाल करें, इससे चादर की बदबू भी निकल जाएगी. * बेड शीट व तकिए के कवर दूसरे कपड़ों के साथ न धोएं. * सिंथेटिक फैब्रिक की जगह शुद्ध कॉटन की चादरों व तकिए के कवर का इस्तेमाल करें. * हर दूसरे दिन बेड शीट और तकिए के कवर बदल दें. * नर्म तकिए का इस्तेमाल करें, ताकि सोते समय गर्दन व कंधे में अकड़न न आए. * तकिए को बीच में से मो़डिए, अगर वह अपने पुराने आकार में नहीं आता, तो समझ लीजिए कि इसे बदलने का समय आ गया है. * खिड़कियां खुली रखें, ताकि धूप कमरे के अंदर आ सके और मॉइश्‍चर व नमी कमरे में न रहे. * कमरे में मौजूद कारपेट की सफ़ाई रोज़ाना करें. हो सके तो बेडरूम में कारपेट न बिछाएं. * अगर आपके घर में पेट्स, जैसे- कुत्ता, बिल्ली आदि हों, तो उन्हें बिस्तर या अपने बेडरूम से दूर रखें. स्वस्थ नींद के लिए इन बातों का ध्यान रखें * नर्म मैट्रेस, साफ़ चादर और आरामदेह और बैक्टीरिया फ्री तकिया आपको देगा आठ घंटों की स्वस्थ नींद. * पॉलिस्टर से बनी चादरों को पेट्रोकेमिकल से बनाया जाता है. ये नर्म भले ही हों, लेकिन सेहत के लिए बेहद ही हानिकारक होती हैं. * अनब्लीच्ड कॉटन की चादरों का इस्तेमाल करें. * नो आयरन और रिंकल फ्री चादरों का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, क्योंकि इन्हें फॉर्मलडीहाइड तरी़के से बनाया जाता है. गद्दा ख़रीदते समय इन बातों का रखें ख़्याल * आपकी त्वचा 8 से 10 घंटे तक गद्दे, चादर और तकिए के संपर्क में रहती है. इसलिए इनका चुनाव उतनी ही सावधानी से करें, जितनी सावधानी से आप अपना आहार चुनते हैं. * गद्दा ऑरगैनिक हो. दुकानदार से इस बात की पुष्टि कर लें कि मैट्रेस किस फोम से बना है और इसे बनाने में किसी रसायन का इस्तेमाल तो नहीं हुआ है. * स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर बनाई गई चीज़ें अक्सर महंगी होती हैं. पैसे ख़र्च करने के लिए ज़्यादा मत सोचिए, क्योंकि सवाल आपकी सेहत का है. * कई तरह के नॉन टाक्सिक व हाइपो एलर्जेनिक मैट्रेस मार्केट में मौजूद हैं. ऐसे गद्दों में बैक्टीरिया नहीं रह पाते हैं.  

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