Close

लव स्टोरी: साया हो तुम… (Love Story: Saya Ho Tum)

Pahla Affair

कुछ अरमान उन बारिश की बूंदों की तरह होते हैं, जिनको छूने की ख़्वाहिश में हथेलियां तो गीली हो जाती हैं, पर हाथ हमेशा खाली रह जाते हैं. तुमसे मेरा रिश्ता भी कुछ ऐसा ही था, मुझे तुममें ज़िंदगी नज़र आती थी और तुम्हें मुझमें एक ऐसा साथी, जो ज़िंदगी जीने के उतार-चढ़ाव तुम्हेें समझा सके. मैं तुम्हारे साथ हर एक पल बिताना चाहता था, लेकिन तुम्हें रफ़्तार चाहिए थी और उसमें भी आगे ही रहना था. इस भागदौड़ में मैं जाने कब पीछे रह गया और तुम न जाने कहां खो गईं.

न जाने कितने मौसम आए और चले गए, पर मेरा सावन अब भी तुम्हारे लिए तरसता है कि काश! कुछ बूंदें तो मेरे दिल की बंजर ज़मीन पर बरस जाएं. तुम आईं भी तो उसी रफ़्तार से, जैसे गई थीं और अब तो एक हमसफ़र भी साथ था.

मेरा परिचय तुमने ऐसे दिया, “ये है मेरा सबसे ख़ास दोस्त, जिसने हर क़दम पर मेरा साथ दिया था.” मैं मुस्कुरा दिया, “चलो कुछ तो है, जो मेरे हिस्से का है.” बस, एक ख़ुशबू की तरह तुम आईं और मेरे जिस्म के रोएं-रोएं को महका गईं. एक मासूम फूल की तरह तुम्हारी बातों की ख़ुशबू मेरी रूह में हमेशा के लिए बस गई. मैं भी ख़ुश हो गया, चलो कुछ और साल यूं ही कट जाएंगे, तुम्हें सोचते हुए... तुम्हारे वजूद को महसूस करते हुए और तुम्हारी यादों में जीते हुए. हर पल कुछ ऐसा महसूस होता था, जैसे ख़ुद को तुम्हारे ही पास भूल आया हूं.

यह भी पढ़ें: पहला अफेयर- तुम मेरे हो… यह भी पढ़ें: पहला अफेयर: चंपा के फूल

तुम आज भी मेरे साये की तरह मेरे साथ हो, जिसे मैं देख तो सकता हूं, पर छू नहीं सकता, पा नहीं सकता... पर मैं इसमें ही ख़ुश हूं कि तुम एक अनछुए एहसास की तरह मेरे साथ रहोगी. जब तक मैं जीऊंगा, बस उसी के साथ. ज़रूरी तो नहीं हर रिश्ते को नाम दिया जाए, मेरा और तुम्हारा रिश्ता रूह का रिश्ता है. दिल से जुड़ा है और मैं अपने दिल की धड़कनों में तुम्हें महसूस करता हूं, हर पल तुम्हें याद करता हूं बस...

शिकायत इसलिए नहीं कर सकता, क्योंकि तुमने मुझमें हमेशा सच्चा दोस्त देखा... लेकिन अपने इस दिल को मैं समझा न पाया, जिसने हमेशा तुममें अपनी ज़िंदगी को ही ढूंढ़ा... तुम्हारी आंखों में अपने वजूद को तलाशा और तुम्हारी हर मुस्कुराहट पर ख़ुद को फ़ना करना चाहा...

तुम्हारे बिना ज़िंदगी जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता था, लेकिन जी रहा हूं... इस उम्मीद में कि तुम कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में मुझे ज़रूर याद करती होगी... जब दिन ढलता है, तो तुम्हारी रंगत जैसे मेरे आंगन में चांदनी की तरह बिखर जाती है, जब सुबह आती है, तो सुनहरी किरणें तुम्हारी यादें बन जाती हैं... तुम आगे बढ़ती रहो, हमेशा ख़ुश रहो... तुम्हारी ज़िंदगी की रफ़्तार कभी कम न हो, यही ख़्वाहिश है.

जहां तक मेरी बात है, तो मैं एक साये की तरह तुम्हारे पीछे-पीछे चलता रहूंगा, जब भी ज़रूरत होगी, तुम्हें थाम लूंगा... “खाली पन्नों की तरह दिन पलटते जा रहे हैं... ख़बर ही नहीं कि आ रहे हैं या जा रहे हैं...”

- वीना साधवानी

पहले प्यार के मीठे एहसास से भीगे ऐसे ही अफेयर्स के लिए यहां क्लिक करें: Pahla Affair

Share this article