हमारे देश में संबंध बनाने के लिए शादी का लाइसेंस ज़रूरी है. इस लाइसेंस के बिना बने संबंधों को परिवार/समाज/क़ानून अवैध मानता है, मगर जब शादी के बाद भी ज़बर्दस्ती की जाए तब क्या? क्या शादी के बाद पुरुषों का पत्नी पर एकाधिकार हो जाता है, वो जब चाहें, जैसे चाहें उसके साथ व्यवहार करेंगे? क्या पत्नी की कोई मर्ज़ी नहीं होती? दांपत्य जीवन में सेक्स को प्यार जताने का ज़रिया माना गया है, मगर जब ये वहशियाना रुख़ अख़्तियार कर ले, पार्टनर की भावनाओं का ख़्याल न हो, क्या तब भी इसे प्यार कहा जाए? आज हम इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे.
क्या है मैरिटल रेप?
मैरिटल रेप को लेकर लम्बे समय से बहस छिड़ी हुई है. पिछले साल जब केरल हाई कोर्ट ने मैरिटल रेप को तलाक का आधार माना और कहा कि पत्नी की मर्ज़ी के खिलाफ उसके साथ शारीरिक सम्बंध बनाने को मैरिटल रेप माना जाना चाहिए. भले ही इसके लिए सज़ा का प्रावधान न हो, लेकिन ये मानसिक-शारीरिक क्रूरता के दायरे में आता है और इस क्रूरता को तलाक का आधार माना जा सकता है.
हालांकि हमारे पुरुषवादी समाज के अधिकांश लोग मैरिटल रेप (Marital Rape0 शब्द को पचा नहीं पाते, क्योंकि उन्हें लगता है शादी का लाइसेंस मिलने के बाद पति को पत्नी के साथ कुछ भी करने की छूट मिल जाती है. पत्नी की मर्ज़ी के बिना पति द्वारा उसके साथ जबरन बनाए गए संबंध को मैरिटल रेप की श्रेणी में रखा जाता है, हालांकि हमारा क़ानून इस संंबंध को रेप नहीं मानता.
डर लगता है इस प्यार से…
मैरिटल रेप कोई नई चीज़ नहीं है. हां, यह शब्द ज़रूर आधुनिक ज़माने की देन है. इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वुमन की 2011 की एक स्टडी के मुताबिक, हर 5 में से 1 भारतीय पुरुष अपनी पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाता है. शादी… जिसे हमारे समाज में सात जन्मों का बंधन, दो दिलों, दो परिवारों का मिलन, पवित्र रिश्ता जैसी न जाने कितनी उपाधियों से नवाज़ा गया है, मगर इसके पीछे की एक कड़वी सच्चाई मैरिटल रेप भी है, जिस पर कम ही लोगों की ज़ुबान खुल पाती है.
भूल जाते हैं मर्यादा
सेक्स पति-पत्नी के बीच प्यार जताने का एक ज़रिया है और ख़ुशहाल दांपत्य जीवन के लिए ज़रूरी भी, लेकिन पुरुष कई बार शादीशुदा जिंदगी में अपनी मर्यादाएं और स्त्री की ज़रूरत को भूल जाते हैं. और महिलाएं भी अपना और परिवार का मान-सम्मान बचाने की ख़ातिर मैरिटल रेप के बारे में चुप ही रहती हैं. गांव-खेड़े की अशिक्षित और लंबे घूंघट में रहने वाली महिलाएं भले ही मैरिटल रेप शब्द से वाकिफ़ न हों, मगर इसके दर्दनाक अनुभव से ज़रूर वाकिफ़ हैं.
सुनिए इनकी दर्दनाक दास्तान
26 साल की बिंदिया (परिवर्तित नाम) कहती हैं, “शादी की पहली रात ही मेरे पति शराब पीकर कमरे में दाख़िल हुए और मेरे साथ ज़ोर-ज़बर्दस्ती करने लगे. उन्होंने जो मेरे साथ किया उसे मैं कहीं से भी प्यार नहीं मान सकती. मैं बेजान निर्जीव वस्तु की तरह पड़ी रही और मेरे पति मेरे शरीर से तब तक खेलते रहे जब तक उनका नशा नहीं उतर गया. इस वाक़ये से मैं इतनी सहम गई कि अगली रात उनके आने से पहले मैंने कमरे की कुंडी बंद कर दी.”
यदि आप इस ग़लतफ़हमी में हैं कि स़िर्फ कम पढ़े-लिखे या अशिक्षित पुरुष ही ऐसा करते हैं, तो आप ग़लत हैं. प्रिया (बदला हुआ नाम) के पति मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर हैं, हर जगह लोग उनके शालीन व्यवहार के क़ायल हैं, मगर बेडरूम के अंदर जाते ही उनके रंग-ढंग बदल जाते हैं. पत्नी बीमार हो या किसी और परेशानी की वजह से जब भी वो संबंध बनाने में आनाकानी करती हैं, तो उनका पारा चढ़ जाता है और वो न स़िर्फ पत्नी के साथ ज़बर्दस्ती करते, बल्कि उसे दर्द पहुंचाने में उन्हें मज़ा भी आता. इतना ही नहीं, कई पुुरुष तो परिवार और बच्चों का भी लिहाज़ नहीं करते हैं.
सुनैना (परिवर्तित नाम) कहती है, “एक रात जब मैं अपने 5 साल के बच्चे को सुला रही थी. अचानक मेरे पति कमरे में आए और मेरी कमर पर हाथ रखकर जबरन मुझे वहां से ले जाने लगे. मेरा बेटा सहमा-सा हमें देखता रहा. उस व़क्त शर्मिंदगी और ज़िल्लत से मैं मरी जा रही थी. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं? इस वहशी इंसान को अपने मासूम बच्चे की भी फ़िक्र नहीं है. उसकी रोज़-रोज़ की ऐसी हरक़तों से तंग आकर मैंने उसका घर छोड़ दिया. अब मैं अपने मायके में हूं और मैंने तलाक़ का मुक़दमा दायर किया है.”
आज भी चुप रहती हैं महिलाएं
परिवार/समाज क्या कहेगा और क़ानून भी तो इसे अपराध नहीं मानता, तो पति के ख़िलाफ़ जाकर कहां रहूंगी, मेरे बच्चों के भविष्य का क्या होगा आदि बातें सोचकर महिलाएं मैरिटल रेप की ज़िल्लत झेलती रहती हैं. हर महिला अपने परिवार को बचाना चाहती है, बच्चों का अच्छा भविष्य चाहती है. समाज में अपने परिवार और पति की प्रतिष्ठा चाहती है, लेकिन इन सबकी क़ीमत उसकी शारीरिक/मानसिक यातना व पीड़ा नहीं हो सकती. स़िर्फ त्याग करते रहने, चुप रहने और ग़लत चीज़ों को सहने की बजाय महिलाओं को सही समय पर, सही तरी़के से बिना पार्टनर के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाए, उन्हें विश्वास में लेकर इस बारे में विचार-विमर्श करना चाहिए और अपने संबंधों को और मधुर बनाने पर विचार करना चाहिए.
क्या कहता है कानून?
दुनिया के 80 देशों में मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. इसमें इंग्लैंड, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, कनाडा, मलेशिया और तुर्की जैसे देश शामिल हैं. यहां तक कि हमारे पड़ोसी देश नेपाल में भी इसे अपराध माना गया है. हमारे देश में रेप को तो अपराध माना जाता है, लेकिन वैवाहिक बालात्कार को नहीं. आईपीसी में रेप की परिभाषा तय की गई है, लेकिन मैरिटल रेप के बारे में कोई जिक्र नहीं है. आईपीसी की इस धारा में पत्नी से रेप करने वाले पति के लिए भी सजा का प्रावधान है, लेकिन तब जब पत्नी की उम्र 12 साल से कम हो. यानी अगर 12 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ पति बलात्कार करता है, तो उस पर जुर्माना या उसे दो साल तक की कैद या फिर दोनों सजाएं दी जा सकती हैं. लेकिन 12 साल से बड़ी उम्र की पत्नी की सहमति या असहमति का रेप से कोई लेनादेना नहीं है.
मैरिटल रेप के लिए हमारे देश में अलग से कोई क़ानून नहीं है, मगर महिलाएं इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 498ए के क्रुअलिटी क्लॉज़ के तहत पति के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करा सकती हैं. इसमें शारीरिक व मानसिक क्रूरता शामिल है. लम्बे समय से हिन्दू विवाह अधिनियम में संशोधन (अमेंडमेंट) करने की मांग की जा रही है, इस संशोधन में मैरिटल रेप के लिए भी सज़ा के प्रावधान पर विचार करने के मांग की जा रही है.