Close

मूवी रिव्यू- दो बेहतरीन विषयों पर बनी सार्थक फिल्म: बत्ती गुल मीटर चालू/मंटो (Meaningful Cinema: Both The Movies Will Stir Your Thoughts)

आमतौर पर लोग फिल्में (Movies) मनोरंजन (Entertainment) के लिए देखना पसंद करते हैं, लेकिन कुछ ऐसे विषय भी होते हैं, जिनके बारे में जानना-समझना भी ज़रूरी होता है. Meaningful Movies
बत्ती गुल मीटर चालू
बिजली विभाग की ग़लती और भ्रष्टाचार के चलते किस तरह एक आम इंसान को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इसे ही फिल्म में मुख्य रूप से दिखाया गया है. यह उत्तराखंड के टिहरी जिले में रहनेवाले तीन मित्रों- शाहिद, श्रद्धा और दिव्येंदु की कहानी है. दिव्येंदु के प्रिंटिंग प्रेस का हमेशा बेहिसाब बिजली का बिल आता रहता है. वो इससे बेहद परेशान है. कई बार बिजली विभाग के चक्कर लगाने के बावजूद न ही न्याय मिल पाता है और न ही सुनवाई होती है. आख़िरकार तंग आकर वो आत्महत्या कर लेता है. शाहिद दोस्त की मौत से सकते में आ जाता है और उसे न्याय दिलाने की ठानता है और तब शुरू होती है क़ानूनी लड़ाई व संघर्ष. चूंकि फिल्म में शाहिद कपूर वकील बने हुए है, तो वे पूरा ज़ोर लगा देते हैं अपने दोस्त को इंसाफ़ दिलाने के लिए. श्रद्धा कपूर फैशन डिज़ाइनर हैं. दो दोस्तों के बीच में फंसी एक प्रेमिका, पर उन तीनों की बॉन्डिंग देखने काबिल है. यामी गौतम एडवोकेट की छोटी भूमिका में अपना प्रभाव छोड़ती हैं. कोर्ट के सीन्स दिलचस्प हैं. शाहिद कपूर, श्रद्धा कपूर, यामी गौतम, दिव्येंदु शर्मा सभी कलाकारों ने सहज और उम्दा अभिनय किया है. श्रीनारायण सिंह टॉयलेट- एक प्रेम कथा के बाद एक बार फिर गंभीर विषय पर सटीक प्रहार करते हैं. अनु मलिक व रोचक कोहली का संगीत और संचित-परंपरा के गीत सुमधुर हैं. अंशुमन महाले की सिनेमैटोेग्राफी लाजवाब है. निर्माताओं की टीम भूषण कुमार, कृष्ण कुमार व निशांत पिट्टी ने सार्थक विषय को पर्दे पर लाने की एक ईमानदार कोशिश की है.
मंटो
जब कभी किसी विवादित शख़्स पर फिल्म बनती है, तब हर कोई उसे अपने नज़रिए से तौलने की कोशिश करने लगता है. मंटो भी इससे जुदा नहीं है. निर्देशक नंदिता दास ने फिराक फिल्म के बाद मंटो के ज़रिए अपने निर्देशन को और भी निखारा है. उस पर मंटो की भूमिका में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का बेमिसाल अभिनय मानो सोने पे सुहागा. मंटो की पत्नी के रूप में रसिका दुग्गल ने भी ग़ज़ब की एक्टिंग की है. वैसे फिल्म में कुछ कमियां हैं, जो मंटो को जानने व समझनेवालों को निराश करेगी. सआदत हसन मंटो की लेखनी हमेशा विवादों के घेरे में रही, विशेषकर ठंडा गोश्त, खोल दो, टोबा टेक सिंह. उन पर उनकी लेखनी में अश्‍लीलता का भरपूर इस्तेमाल करने का आरोप ज़िंदगीभर रहा, फिर चाहे वो आज़ादी के पहले की बात हो या फिर देश आज़ाद होने पर उनका लाहौर में बस जाना हो. इसी कारण उन पर तमाम तरह के इल्ज़ामात, कोर्ट-कचहरी, अभावभरी ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव का दौर सिलसिलेवार चलता रहा. रेसुल पुक्कुटी का संगीत ठीक-ठाक है. साथी कलाकारों में ऋषि कपूर, जावेद अख़्तर, इला अरुण, ताहिर राज भसीन व राजश्री देशपांडे ने अपने छोटे पर महत्वपूर्ण भूमिकाओं के साथ न्याय किया है. निर्माता विक्रांत बत्रा और अजित अंधारे ने मंटो के ज़रिए लोगों तक उनकी शख़्सियत से रू-ब-रू कराने की अच्छी कोशिश की है.

- ऊषा गुप्ता

यह भी पढ़े: इस अंदाज़ में करीना कपूर ने मनाया अपना जन्मदिन, देखिए पार्टी पिक्स (Inside Kareena Kapoor’s Birthday Bash)

Share this article