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फिल्म समीक्षा: छतरीवाली- रकुल प्रीत की सहजता आकर्षित करती है (Movie Review- Chhatriwali)

अक्सर बोल्ड और वर्जित विषय पर फिल्म बनाना बहुत बड़ा रिस्क होता है, पर यह ख़तरा निर्माता रॉनी स्क्रूवाला ने लिया और 'छतरीवाली' के रूप में सराहनीय कोशिश की. उस पर निर्देशक तेजस प्रभा विजय देओस्कर का सुलझा हुआ निर्देशन कई पड़ावों से गुज़रता हुआ आपको बहुत कुछ सोचने को मजबूर करता है.
सेफ सेक्स, कंडोम आदि पर बहुत सारी बातें होती हैं, पर खुलकर ना समाज में बातें की जाती है और ना ही फिल्मों में ही अधिक दिखाया जाता है. पर यहां पर साफ़-सुथरे तरीक़े से इस विषय पर बातें की गई है.


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हरियाणा के करनाल की रहनेवाली सान्या यानी रकुल प्रीत सिंह नौकरी के लिए बहुत कोशिश करती है. आख़िरकार एक कंडोम फैक्ट्री में उन्हें कंडोम टेस्टर का जॉब मिल जाता है. कंडोम बनानेवाली फैक्ट्री में क्वालिटी कंट्रोल हैड होता है कंडोम टेस्टर. सान्या स्कूल में केमिस्ट्री की टीचर रही हैं. कैसे कंडोम के इस्तेमाल के प्रति जागरूकता और अन्य बातों के लिए लोगों को सहमत कराने का अभियान शुरू कर देती हैं देखने लायक है. यहां तक कि वह अपने पति सुमित व्यास को भी इसके इस्तेमाल के लिए राज़ी कर लेती है. लेकिन घर वाले क्या सोचेंगे और इस लिहाज से वे अपने काम के बारे में घर पर नहीं बता पाती हैं. पर जब परिस्थितियां बदलती हैं, और बहुत चीज़ें खुलती हैं और कितना कुछ शुरू हो जाता है.
राजेश तेलंग ने सानिया के जेठ के रूप में ठीक-ठाक काम किया है., वहीं सतीश शाह कंडोम फैक्ट्री के मालिक के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. सुमित व्यास, डॉली अहलूवालिया, प्राची देसाई, राकेश बेदी व रिवा अरोड़ा भी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय करते नज़र आए.


वक़्त बदल रहा है उसके साथ हमारी सोच और फिल्मों के बनाने का ट्रीटमेंट भी बदलता जा रहा है. अब कई ऐसे निर्देशक हैं, जो बोल्ड विषय पर अपनी बात करने का दम रखते हैं.
रकुल प्रीत सिंह फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिकाएं करती रही हैं, पर पहली बार एक सशक्त भूमिका में दिखाई दीं और प्रभावित भी किया. गीत-संगीत ठीक-ठाक है. सिनेमैटोग्राफी सामान्य है. पर फिर भी फिल्म को मिलाजुला रिस्पॉन्स मिला है. कुछ लोगों को विषय पसंद नहीं आया, तो कुछ दर्शक इस तरह की मूवी को देखने से परहेज़ करते दिखाई दिए. फिर भी सुरक्षित यौन संबंध के लिए कंडोम के प्रति लोगों में जागरूकता लाने की कोशिश ठीक ही है.
संचित गुप्ता व प्रियदर्शी श्रीवास्तव की लेखनी प्रशंसनीय है. जी5 की ओटीटी पर रिलीज़ इस फिल्म को सिनेमा टॉकीज में भी लाना चाहिए था, ताकि अधिक हर तरह के लोग देख सके.


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रेटिंग: 2 **

Photo Courtesy: Instagram

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