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फिल्म समीक्षा: ‘जवान’ का जज़्बा हर जगह परचम लहरा रहा है… (Movie Review- Jawan) रेटिंग: 3 ***

एक्शन, इमोशन, देशभक्ति और मारधाड़ से भरपूर शाहरुख खान की 'जवान' हर किसी को ख़ूब पसंद आ रही है. टिपिकल बॉलीवुड मसालेदार मूवी है जवान. जहां हीरो ग़रीबों का मसीहा बना हुआ है, तो अन्याय से ख़ूब लड़ भी रहा है. उसके इस युद्ध में नारी शक्ति भरपूर साथ दे रही हैं. शाहरुख खान 'पठान' की सफलता के बाद एक बार फिर पूरे फॉर्म में दिखाई दे रहे हैं. चाहे एक्शन हो या देशभक्ति से भरपूर संवाद या फिर गाना-बजाना-नाचना हर जगह वे बाज़ी मार लेते हैं. इसमें उनका भरपूर साथ देती हैं दीपिका पादुकोण, नयनतारा, सान्या मल्होत्रा, प्रियामणि.


निर्देशक एटली पर साउथ की मूवी की छाप नज़र आती है, फिर भी अपने जिस अंदाज़ के लिए वे जाने जाते हैं, उसका भरपूर इस्तेमाल उन्होंने किया है.
विलेन के रोल में विजय सेतुपति प्रभावशाली नज़र आए हैं, कई जगहों पर वे शाहरुख खान पर भारी भी पड़े हैं. बैकग्राउंड म्यूज़िक शानदार है. जवान थीम… और चलेया… गाना अच्छा बन पड़ा है. कैमियो की भूमिका में संजय दत्त निराश करते हैं. वैसे ओवरऑल पैसा वसूल मूवी है.

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फिल्म में साउथ और हॉलीवुड का मिक्सचर बख़ूबी किया गया है. देश से जुड़े कई सामाजिक मुद्दों को उठाया गया है, तो राजनीति के रंग को भी दर्शाया गया है. फिल्म की शुरुआत जहां पर ट्रेन के हाईजैक करने से लेकर कैसे शाहरुख खान नेता को ब्लैकमेल करते हैं देखने काबिल है. इसमें उनका पूरा साथ देती है उनकी गर्ल गैंग, जिनकी अपनी-अपनी कहानी, मजबूरी और दर्दभरी दास्तां भी है.


जवान में दिखाए गए कई दृश्य दर्शकों के दिलों पर लगती है. तभी तो कहते हैं दिल पर लगेगी, तब बात बनेगी. तो यहां वही बात देखने मिलती है. कैरेक्टर्स में कहीं 'गार्डियंस ऑफ द गैलेक्सी' के लुक्स नज़र आते हैं, तो कहीं 'ज़ीरो डार्क थर्टी' भी ज़ेहन में आता है. पर कहते हैं ना कि नकल में भी अक्ल का इस्तेमाल होना ज़रूरी होता है, वही बात यहां पर भी देखने मिलती है.


शाहरुख खान का डबल रोल आज़ाद और विक्रम के रूप में अपने पूरे उफ़ान पर है. जहां हर फ्रेम में शाहरुख वाहवाही लूट लेते हैं. आज़ाद की पत्नी की भूमिका में दीपिका पादुकोण भी प्रभावित करती हैं. दीपिका के बेटे के रूप में विक्रम यानी शाहरुख खान का डबल रोल लाजवाब है. पति आज़ाद देशद्रोही नहीं है साबित नहीं हो पाता और दीपिका दुनिया से अलविदा कह देती है.

काली, विजय सेतुपति जिसने आज़ाद पर दोष लगाया, उसे मारना चाहता था, उसका क्या अंजाम हुआ?.. क्या बाप-बेटे मिलकर उसके गुनाहों की सज़ा दे पाते हैं?.. आज़ाद ख़ुद को देशप्रेमी साबित कर पाते हैं?.. गर्ल गैंग की कहानी क्या है?.. यह सब देखने के लिए फिल्म देखनी पड़ेगी और जो आपको निराश नहीं करेगी.

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जवान की कहानी, पटकथा व निर्देशन तीनों का भार अकेले एटली ने संभाला है. वैसे स्क्रीनप्ले में एस. रामनागिरीवासन ने भी अच्छा साथ दिया है एटली का. म्यूज़िक डायरेक्टर अनिरुद्ध रविचंदर का संगीत कहीं बहुत ही लाउड है, तो कहीं सॉफ्ट भी है. सिनेमैटोग्राफी में जी. के. विष्णु ने शानदार काम किया है. सुमित अरोड़ा के डायलॉग प्रभावशाली हैं. रेड चिलीज एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी, गौरी खान व गौरव वर्मा निर्मित 'जवान' को हिंदी, तमिल, तेलुगू तीन भाषाओं में रिलीज़ किया गया है और दुनियाभर में अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. क़रीब पौने तीन घंटे की यह फिल्म कहीं भी बोर नहीं करती, फिर भी एडिटर रूबेन इसे थोड़ा एडिट कर सकते थे. दर्शकों के दिलों को छूने वाली सभी भावनाएं, सामाजिक मुद्दे, किसानों का दर्द, स्त्रियों पर अन्याय, प्रतिशोध, करारा जवाब… यानी फिल्म को सुपर-डुपर हिट करने के हर फार्मूले इसमें आज़माए गए हैं और इसमें कलाकार और निर्देशक कामयाब रहे हैं.

Photo Courtesy: Social Media

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