Close

फिल्मी समीक्षा: झुंड- अमिताभ बच्चन के साथ अन्य कलाकारों के अभिनय की जादूगरी दिखाई निर्देशक नागराज मंजुले ने… (Movie Review- Jhund)

"झुंड नहीं सर, टीम बोलिए.. टीम…" अमिताभ बच्चन की 'झुंड' फिल्म में कहा गया यह डायलॉग बहुत कुछ कह देता है. एनजीओ स्लम सॉकर की स्थापना करनेवाले विजय बरसे, जिन्होंने नागपुर के झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को फुटबॉल सिखाया और काबिल खिलाड़ी बनाया था पर आधारित है निर्देशक नागराज मंजुले की फिल्म.
इसमें अमिताभ बच्चन ने अपने उत्कृष्ट अभिनय से विजय के क़िरदार को एक नई ऊंचाई दीं.
रिटायर्ड होनेवाले खेल शिक्षक विजय को एक दिन झोपड़पट्टी के बच्चों को बरसात में टीन को बॉल बनाकर फुटबॉल खेलते देख, उनके मन में विचार आता है कि यदि इन्हें अच्छी तरह से प्रशिक्षण दिया जाए, तो बेहतर खिलाड़ी बन सकते हैं. यहीं से वे इस झुंड टीम को बनाने में तमाम संघर्ष के साथ प्रयास करना शुरू कर देते हैं.

डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट


कह सकते हैं अमिताभ बच्चन की बेहतरीन फिल्मों में से एक है यह फिल्म. इससे जुड़ा एक दिलचस्प क़िस्सा भी है. दरअसल, आमिर खान ने अमिताभ बच्चन को इस फिल्म को करने की सलाह दी थी. अमिताभ बच्चन ने अपने इंटरव्यू में भी इसका ज़िक्र किया है. लेखक-निर्देशक नागराज मंजुले ने आमिर को जब झुंड की कहानी सुनाई थी, तब मुख्य किरदार के लिए आमिर के ख़्याल में अमिताभ बच्चन ही आए. उनका सोचना था कि अमितजी को इसे ज़रूर करना चाहिए. उन्होंने इसके लिए उनसे बात भी की. वैसे भी अमिताभ और आमिर अक्सर किसी ख़ास भूमिका, क़िरदार फिल्म आदि को लेकर एक-दूसरे से चर्चाएं करते रहते हैं. दोनों ने साथ में 'ठग्स ऑफ हिंदुस्तान' फिल्म की है.

यह भी पढ़ें: 'गंगूबाई काठियावाड़ी' के लिए आलिया नहीं थी मेकर्स की पहली पसंद, इन तीन एक्ट्रस ने कर दिया था रिजेक्ट (Alia Was Not The First Choice Of The Makers For 'Gangubai Kathiawadi', These Three Actresses Rejected)

झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चों का कॉलेज के स्टूडेंट से मैच, देशभर के स्लम का टूर्नामेंट, इंटरनेशनल स्लम सॉकर चैंपियनशिप के लिए विजय की पहल पर भारत की टीम को आमंत्रित करने जैसी तमाम घटनाएं सुखद अनुभव का एहसास कराती हैं. इसी के साथ इन खिलाड़ी बच्चों द्वारा रोजी-रोटी के लिए छोटे-मोटे अपराध करना, ड्रग्स बेचना जैसी मजबूरी या चाह को भी सहजता, लेकिन सटीकता से बताया गया. लेकिन उनमें प्रतिभा भी हैं इसे समझना और उसे सही दिशा और मार्गदर्शन करने से बहुत कुछ बदल भी जाता है, यह फिल्म को देखने से समझ में आती है. इसमें बच्चों के व्यक्तिगत स्वभाव व उनके संघर्ष को भी बड़ी ख़ूबसूरती से निर्देशक ने उकेरा है. कह सकते हैं उन्होंने छोटी-छोटी बातों पर बहुत मेहनत की है. साथ ही सामाजिक-राजनीतिक टिप्पणियां हो या हर क़िरदार के मनोभाव को सभी को बारीकी से दिखाया है.

https://www.instagram.com/p/Caq03qvNfnX/?utm_medium=copy_link

अमिताभ बच्चन की अभिनय की ख़ूबसूरती यह रही कि उन्होंने कहीं भी अपने महानायक वाली छवि को आड़े आने नहीं दिया और एक आम कलाकार की तरह सभी के साथ घुलमिल गए. यह उनके अभिनय के शिखर को दर्शाता है.
डायरेक्टर नागराज मंजुले की यह पहली हिंदी फिल्म है, पर मराठी में उनकी दो फिल्में फेंड्री और सैराट सुपर-डुपर हिट और सुर्खियों में रही थी.
टी-सीरीज़, तांडव फिल्म्स एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बनी फिल्म झुंड के निर्माताओं की लिस्ट काफ़ी लंबी है, जिसमें भूषण कुमार, कृष्णा कुमार, सविता राज, राज हिरामठ और नागराज मंजुले शामिल हैं.

https://www.instagram.com/tv/CZ9BOhQPEsn/?utm_medium=copy_link

लाजवाब संगीत निर्देशक अजय-अतुल का संगीत हमेशा की तरह ही उम्दा है और इसमें लफड़ा झाला… और आया रे झुंड… गाने बेहद ही प्रभावशाली बने हैं. इसके संवाद तो है ही दमदार.
पुलिस ऑफिसर बने अजय देवगन की 'रूद्र' वेब सीरीज़ भी प्रभावशाली रही. पहली बार डिजिटल ओटीटी पर उन्होंने काम किया है और लोगों ने इसे काफ़ी पसंद भी किया.

फिल्मी- झुंड
कलाकार- अमिताभ बच्चन, अंकुश गेडम, आकाश ठोसर, रिंकू राजगुरु, सायली पाटिल
निर्देशक: नागराज मंजुले
रेटिंग: *** 3/5

यह भी पढ़ें: जान्हवी कपूर को पापा बोनी कपूर ने इस खास अंदाज में किया बर्थडे विश, स्पेशल नोट लिखकर बताईं जाह्नवी की स्पेशल क्वालिटीज (Dad Boney Kapoor Wishes Janhvi Kapoor Happy Birthday, Lists All Her Best Qualities)

Photo Courtesy: Instagram

Share this article