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मूवी रिव्यूः केसरी और मर्द ...
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मूवी रिव्यूः केसरी और मर्द को दर्द नहीं होता (Movie Review Of Kesari And Mard Ko Dard Nahi Hota)

फिल्मः केसरी
स्टार कास्टः अक्षय कुमार, परिणीति चोपड़ा, मीर सरवर, वंश भारद्वाज
निर्देशकः अनुराग सिंह
स्टारः 4 स्टार
कहानी: गुलिस्तान फोर्ट पर तैनात हवलदार ईशर सिंह (अक्षय कुमार) ब्रिटिश राज की सेना में कार्यरत है. ईशर को लगता है कि वहां के 21 सैनिकों में अनुशासन की कमी है. वह पहले सिपाहियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाता है और फिर उनका सच्चा लीडर बनकर उनमें बहादुरी का जज्बा भरता है. इसी बीच उन्हें पता चलता है कि अफगानी सरगना अफगानी पठानों की एक बड़ी फौज तैयार करके सारागढ़ी पर हमला करने वाला है. अंग्रेजी हुकूमत मदद न भेज पाने की सूरत में ईशर सिंह को उसके जवानों समेत किला छोड़कर भाग जाने की सलाह देती है, मगर ईशर सिंह को याद आ जाती है उस अंग्रेज मेजर की बात, जिसने कहा था कि तुम हिंदुस्तानी कायर हो, इसीलिए हमारे गुलाम होय उस वक्त ईशर सिंह अपनी नौकरी, पैसे या अंग्रेज हुकूमत के लिए लड़ने की बजाय अपने गौरव के लिए शहीद होने का फैसला करता है और उसके इस फैसले में वो 21 जांबाज सिपाही अपने प्राणों की आहुति देने को तैयार हो जाते हैं.
निर्देशनः निर्देशक अनुराग सिंह ने फिल्म के हर एक फ्रेम पर अपनी पकड़ बनाए रखी है. असली कहानी मध्यांतर के बाद शुरू होती है, जब दस हजार अफगानी सारागढ़ी के 21 सिपाहियों पर हमला करते हैं. युद्ध के दृश्यों के स्टंट और कोरियॉग्रफी गजब की है और यह आपके रोंगटे खड़े कर देते हैं. अक्षय को ऐक्शन कुमार के नाम से भी जाना जाता है और निर्देशक ने इसमें हैरतअंगेज ऐक्शन परोसकर उनकी इमेज को खूब भुनाया है. तकनीकी तौर पर फिल्म प्रभावित करती है.
एक्टिंगः लुक और अभिनय के नजरिए से ईशर सिंह के रूप में इसे अक्षय कुमार की अब तक की सबसे उत्कृष्ट परफॉर्मेंस कहें तो गलत न होगा. परिणिती चोपड़ा का रोल बहुत छोटा है. वे कब पर्दे पर आती हैं और कब चली जाती हैं, इसका पता ही नहीं चलता. अफगान सरगना के रूप में राकेश चतुर्वेदी ओम ने अच्छा काम किया है. सिख सिपाहियों के रूप में सभी कलाकारों ने ईमानदार परफॉर्मेंस दी है.
फिल्मः मर्द को दर्द नहीं होता
कलाकारः राधिका मदान ,अभिमन्यु दासानी, गुलशन देवैया
निर्देशकः वासन बाला
स्टारः 3.5 स्टार
कहानीः सूर्या (अभिमन्यु दासानी) को एक दुर्लभ सुपरहीरो की बीमारी है, जिसकी वजह से उसे दर्द का भी एहसास नहीं होता. इस बीमारी की वजह से उसे सोसाइटी में कहीं भी फिट नहीं माना जाता. वह यह सोचकर बड़ा होता है कि वह एक कराटेमैन है और उसे समाज के गलत लड़कों को सबक सिखाना है.