योद्धा के रूप में पूरी फिल्म में छाए हैं सिद्धार्थ मल्होत्रा. इसमें उनकी भरपूर मदद की है एक्शन डायरेक्टर क्रैग मैक्रे ने. मारधाड़, प्रभावशाली फाइटिंग के उफान में जॉन स्टीवर्ट एडयूरी का बैकग्राउंड ज़बर्दस्त थ्रिल पैदा करता है. तीनों की तिकड़ी फिल्म को एक अलग लेवल पर ले जाती है.
योद्धा के रूप में स्पेशल टास्क फोर्स का गठन सुरेंद्र कात्याल, रोनित रॉय ने किया था, जिसमें जल, थल, वायु तीनों के एक्सपर्ट कंमाडो की टीम है. रोनित के बेटे अरुण, सिद्धार्थ मल्होत्रा का भी बचपन से ही सपना होता है पिता की तरह योद्धा बनने का, जो उनके शहीद होने और बड़े होने पर आख़िरकार पूरा होता है.
आतंकवादियों द्वारा हवाई जहाज हाइजैक होने पर उसमें मौजूद न्यूक्लियर साइंटिस्ट की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी अरुण की रहती है. काफ़ी संघर्ष व तमाम कोशिशों के बावजूद दुश्मनों से अरुण उन्हें नहीं बचा पाता है. इसका ख़ामियाजा योद्धा टीम को इंक्वॉयरी के बाद सस्पेंड के रूप में भुगतना पड़ता है.
दिलचस्प कड़ी यह भी है कि जहां अरुण योद्धा हैं, तो उनकी पत्नी बनी प्रियंवदा, राशि खन्ना भारत सरकार के सेवा से जुड़ी हैं. वे हाइजैक के समय आतंकवादियों से बातचीत कर स्थिति को संभालने की कोशिश करती हैं, पर पति अरुण को ऑर्डर मिलने पर ही एक्शन लेने के कहने के बावजूद अरुण अपनी आदत से बाज नहीं आते. वे भी क्या करें स्थितियां ही ऐसी हो जाती है कि उनके पास फोर्स की मदद के इंतज़ार करने का समय नहीं, उन्हें तुरंत एक्शन लेना ही पड़ता है. ऐसे उनके कई कारनामों की वजह से उन पर इंक्वॉयरी बैठती है.
पत्नी द्वारा साथ न दिए जाने पर अरुण उनसे भी नाराज़ हो जाते हैं. मतभेद इतना बढ़ जाता है कि तलाक़ तक की नौबत आ जाती है और दोनों के रास्ते अलग हो जाते हैं. लेकिन यह थोड़ा खटकता है कि अरुण की मां को पत्नी अपने साथ ले जाती है. वैसे भी फिल्मों में कुछ कमियां रह ही जाती हैं.
आगे ऐसा होता है कि योद्धा टीम बिखर जाती है. सभी सदस्य अलग-अलग फील्ड में जुड़ जाते हैं. अकेला अरुण भी मजबूरी में सिक्योरिटी से जुड़ जाता है. लेकिन बदक़िस्मती यहां भी उसका पीछा नहीं छोड़ती. अरुण को फंसाकर एक बार फिर आंतकवादियों द्वारा प्लेन हाइजैक किया जाता है. उनका मक़सद इस्लामाबाद में हो रहे भारत-पाकिस्तान के बीच शांति समझौते को न होने देना रहता है, ताकि उनका आतंक का बाज़ार कभी ख़त्म न होने पाए.
क्या अरुण ख़ुद पर लगे आरोपों को ग़लत साबित कर पाता है..? क्या वो योद्धा फोर्स को दोबारा ला पाता है? हाइजैक को रोकने के साथ आतंकवादियों के मनसूबों को नाकामयाब कर पाता है… ये तमाम सवालों के जवाब फिल्म देखकर ही मिल सकते हैं.
एक बार अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ससंद में अपने भाषण में बड़ी ख़ूबसूरत बात कही थी कि सरकारें तो आती-जाती रहेंगी, नेता आते-जाते रहेंगे, कोई रहे या ना रहे ये देश रहना चाहिए… ऐसी ही देशभक्ति सिद्धार्थ मल्होत्रा द्वारा भी देखने को मिलती है, जब वे कहते हैं- मैं रहूं न रहूं, देश हमेशा रहेगा… अब इस शरीर पर या तो योद्धा का यूनिफॉर्म होगा या तिरंगा… इनके अलावा कुछ मज़ेदार पंच लाइन भी है, जब वे खलनायक को कहते हैं कि तू भूल गया कि इस पिक्चर का हीरो मैं हूं…
सिद्धार्थ मल्होत्रा की पत्नी और सरकारी अधिकारी के रूप में राशि खन्ना ने भी बेहद प्रभावित किया है. इसके पहले शाहिद कपूर के साथ वेब सीरीज़ फर्ज़ी में भी बढ़िया काम किया था उन्होंने.
इन दिनों महिलाओं की भूमिकाओं पर फिल्म निर्माता-निर्देशक काफ़ी ध्यान दे रहे, जो अभिनेत्रियों के करियर के लिए अच्छे संकेत है. आर्टिकल 370 फिल्म में प्रियामणि ने गर्वेमेंट ऑफिसर के रूप में बेहद प्रभावित किया था. कुछ ऐसा ही कमाल राशि खन्ना ने योद्धा में दिखाया है. वे एक सरकारी अधिकारी, प्रेमिका, पत्नी, बहू के रूप में आकर्षित करती हैं.
दिशा पाटानी एयर होस्टेस के रूप में ख़ूबसूरत के साथ ख़तरनाक भी लगी हैं. उनके एक्शन देखने काबिल हैं. अरुण के पिता के रूप में रोनित रॉय कैमियो के रोल में अपना असर दिखाते हैं.
तनुज विरवानी, सनी हिंदुजा, अंविशा त्यागी, अंकित राज, चितरंजन त्रिपाठी, कर्नल रवि शर्मा, प्रशांथ गोस्वामी, कंपाल पटेल, सादिक फारुकी, अमित सिंह ठाकुर, मोहम्मद तालिब, शिवांगी भारद्वाज, अपेक्षा पांडे, अभिषेक मिश्रा सभी कलाकारों ने अपनी छोटी, पर महत्वपूर्ण भूमिका के साथ न्याय किया है.
सागर आम्ब्रे और पुष्कर ओझा निर्देशक की इस जोड़ी ने अपनी पहली ही फिल्म में गज़ब का कमाल दिखाया है. सिद्धार्थ आंनद के असिस्टेंट के तौर पर पठान, जवान में भी उनकी मेहनत-लगन दिखी थी. सागर ने तो दोहरी भूमिका निभाई है, दरअसल फिल्म की कहानी भी उन्होंने लिखी है.
धर्मा प्रोडक्शंस और मेंटर डिसिप्ल फिल्मस के बैनर तले हीरू यश जौहर, करण जौहर, अपूर्व मेहता व शशांक खेतान, फिल्म के निर्माता के रूप में इनकी चौकड़ी रही है. करण जौहर ने अपनी ही फिल्मों के कई हिट सीन को भी रिक्रिएट किया है.
इन दिनों फिल्ममेकर किसी एक को संगीत की बागडोर नहीं देते. आजकल तक़रीबन हर फिल्म में संगीतकारों की भरमार रहती है. वही हाल यहां पर भी है. तनिष्क बागची, बी. प्राक, विशाल मिश्रा, जानी, आदित्य देव, इंद्र, सनी, शांतनु बावरा आदि हैं.
तिरंगा… ज़िंदगी तेरे नाम… तुम संग इश्क़ हुआ… क़िस्मत बदल दी… सभी गाने सुनने में अच्छे लगते हैं, पर लंबे समय के लिए प्रभाव नहीं छोड़ सकते. लेकिन अरिजित सिंह, बी. प्राक, निति मोहन, एमी विर्क और विशाल मिश्रा की गायकी ने प्रभावित किया.
जिशनू भट्टाचार्जी की सिनेमैटोग्राफी लाजवाब है. शिवकुमार वी पनिकेर का संपादन बढ़िया रहा, तभी तो दो घंटे तेेरह मिनट की योद्धा पूरी तरह से बांधे रखती है. एक्शन, रोमांच, थ्रिलर, सस्पेंस से भरपूर योद्धा के साथ वर्दी की फिल्मों में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने सिक्सर मारा है. इसके पहले शेरशाह, अय्यारी, ए जेंटलमैन, मिशन मजनू और हालिया इंडियन पुलिस फोर्स में उन्होंने यूनिफॉर्म व देशभक्ति से बेहद प्रभावित किया है.
- ऊषा गुप्ता
Photo Courtesy: Social Media