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#NationalScienceDay: विज्ञान पर आधारित फिल्मों ने भी ख़ूब सुर्ख़ियां बटोरी… (National Science Day: Science Based Films Also Made Great Headlines…)
अब तक विज्ञान से जुड़े स्पेशल इफेक्ट्स पर आधारित बहुत कम ही हिंदी फिल्में बन पाई हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर फिल्मों को लोगों ने ख़ूब पसंद किया, जैसे- मि. एक्स इन बॉम्बे, कोई मिल गया, क्रिश, पीके आदि. आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस है. आज ही के दिन भारत के महान वैज्ञानिक सी. वी. रमन ने रमन इफेक्ट का आविष्कार किया था. इसके लिए उन्हें नोबेल अवॉर्ड मिला था. इस साल की थीम वुमन इन साइंस है यानी विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदरी को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता. इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण मिशन मंगल फिल्म है. इसमें विद्या बालन और उनकी टीम किस तरह साइंस सेंटर में काम करती है, वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है.
साइंस फिक्शन पर आधारित साल 1987 में आई अनिल कपूर, श्रीदेवी, अमरीश पुरी की फिल्म मि. इंडिया को बड़े-बच्चों सब ने बेहद पसंद किया. इसके डायलॉग व गाने भी ख़ूब हिट हुए थे, ख़ासकर मोगेम्बो ख़ुश हुआ... अमरीशजी के इस संवाद का प्रभाव आज भी बरक़रार है. वैसे सुनने में आया है कि इसका पार्ट टू बन रहा है. लेकिन सोनम कपूर ने इस बात को लेकर नाराज़गी जताई थी कि इस फिल्म का सीक्वल बन रहा है और उनके पिता अनिल कपूर और निर्देशक शेखर कपूर को इसकी जानकारी ही नहीं है. उन्होंने फिल्ममेकर्स को आड़े हाथ लिया था.
राकेश रोशन ने तो अपने बेटे ऋतिक रोशन को लेकर साइंस फिक्शन पर सीरीज़ ही निकाल दी थी, जैसे- कोई मिल गया, क्रिश. क्रिश तो विज्ञान की कल्पनाओं पर आधारित भारत की पहली सुपर हीरो फिल्म सीरीज़ थी. इसने देश ही नहीं विदेशों में भी धमाल मचाया था.
रजनीकांत, अक्षय कुमार, एमी जेक्सन स्टारर 2.0 फिल्म अब तक की सबसे महंगी भारतीय फिल्म रही है. इसे चौदह भाषाओं में डब किया गया था.
साल 1967 में आई चांद पर चढ़ाई दारा सिंह और हेलन की दिलचस्प फिल्म थी. इसमें चांद पर जाना और वहां पर अन्य ग्रहों के योद्धाओं के साथ आमना-सामना पर आधारित थी.
किशोर कुमार अभिनीत मि. एक्स इन बॉम्बे फिल्म ने ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों के ज़माने में ख़ूब धमाल मचाया था. इसमें उनके साथ कुमकुम व मदन पुरी थे. साल 1964 में आई इस मज़ेदार फिल्म को शांतिलाल सोनी ने निर्देशित किया था.
विनोद मेहरा व रेखा अभिनीत 1971 में रमनलाल निर्देशित एलान फिल्म भी उस समय काफ़ी चर्चा में रही थी. इसमें एक वैज्ञानिक द्वारा अंगूठी की खोज दिखाई गई थी. जो भी उस अंगूठी को अपने मुंह में रखता है, वो गायब हो जाता है, जैसा मि. इंडिया फिल्म में था. फिर इस अंगूठी के पीछे अपराध की दुनिया के लोग लग जाते हैं. मेलोड्रामा से भरपूर फिल्म थी यह.
इन सब के अलावा शिवा का इंसाफ, तूफ़ान, लाल परी, टार्जन- द वंडर कार, अलग, लव स्टोरी 2050, द्रोणा, प्रिंस, क्रिचर, रोबोट, रावन, पीके, द फ्लाइंग जट आदि साइंस फिक्शन पर आधारित मज़ेदार फिल्में सुर्ख़ियों में रहीं.
अक्षय कुमार व विद्या बालन की मिशन मंगल फिल्म में तो मंगल ग्रह पर सेटेलाइट भेजने की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से दिखाया गया था. सभी ने इसे ख़ूब पसंद किया था. विद्या बालन का अभिनय फिल्म की जान थी.
भारत के महान भौतिक विज्ञानी सर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने साल 1928 में आज ही के दिन यानी 28 फरवरी को रमन प्रभाव की खोज की थी. उन्हीं के सम्मान में 1986 से हर साल आज के दिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसके लिए 1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया था.
चूंकि इस साल नेशनल साइंस डे का थीम वुमन इन साइंस है, तो भारत की कुछ ख़ास महिला वैज्ञानिकों के बारे में जानते हैं.
रितु करिदल, जो इसरो की सीनियर साइंटिस्ट हैं. वे चंद्रयान 2 की मिशन निदेशक भी रही हैं. इसरो में ही नंदिनी हरिनाथ, रॉकेट वैज्ञानिक हैं. बीस साल की नौकरी में उन्होंने 14 मिशनों पर काम किया है. वे मंगलयान मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर भी रही थीं. उन्होंने इस क्षेत्र में आने की वजह मशहूर टीवी शो स्टार ट्रैक को दिया था. डॉ. गगनदीप कांग को डायरिया रोकने के लिए बच्चों के हिसाब से रोटावायरस वैक्सीन विकसित करने का श्रेय जाता है. इनके अलावा डॉ. अनुराधा टीके, डॉ. चंद्रिमा शाह, डॉ. रंजना अग्रवाल, डॉ. एन. कालीसल्लवी, डॉ. टेसी थॉमस आदि उल्लेखनीय नाम हैं. भारत की सभी महिला वैज्ञानिकों को हमारा सलाम और शुभकामनाएं!..
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