न जाने क्यों वो आज भी बहुत याद आती है. तीन साल बीत गए, पर बीते दिनों की याद मन में हलचल ही पैदा करती है. प्रेम अद्भुत होता है. जीवन में कब और किससे हो जाए कोई नहीं जानता. किसी के लिए मनमोहक एहसास, तो किसी के लिए जीने का सबब. मेरे लिए मेरा प्यार उसकी नफ़रत है. उसकी ज़िंदगी में मेरी कोई जगह नहीं, फिर भी न जाने कौन-सा तार है, जो मुझे उसकी ओर खींच ही लेता है. बार-बार माफ़ी मांगता हूं, क्योंकि उसका दिल बुरी तरह ज़ख़्मी हुआ है.
फेसबुक पर पहली मुलाक़ात हुई थी. फ्रेंड रिक्वेस्ट को स्वीकार करने से पहले उसका प्रोफाइल चेक किया. भोली-भाली मासूम-सी लगी थी. तीखे नयन-नक्श किसी को भी अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफ़ी थे. धीरे-धीरे बातचीत होने लगी. कभी-कभी लगता कि बातों-बातों में कुछ कहना चाहती है. अब मुझे उसकी आदत हो गई.
एक दिन उसने सीधे सरल शब्दों में प्यार का इज़हार करते हुए कहा, “मैं तुम्हें प्यार करती हूं, मैं नहीं जानती कि तुम्हारे दिल में क्या है, लेकिन ज़रूरी नहीं कि तुम भी मुझे प्यार करो. प्यार कोई सौदा नहीं कि प्यार के बदले प्यार मिले, ये वो रूहानी एहसास, जो दिल से महसूस किया जाता है, जो मैंने तुम्हारे प्रति पाया.”
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मैं तो जैसे इसी इंतज़ार में था. बिना कुछ सोचे-समझे ‘हां’ कह दिया. एक दिन मन में विचार आया कि जब ज़िंदगी उसके साथ
गुज़ारनी है, तो क्यों न रू-ब-रू हुआ जाए. जब मैंने उसे इस बारे में कहा, तो वह तुरंत तैयार हो गई. जब पहली बार उससे मिला तो मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई. इतना बड़ा धोखा. उस व़क्त तो मैं कुछ कह नहीं पाया, पर उससे दूरियां बनानी शुरू कर दीं.
मेरे और उसके बीच एक दीवार खड़ी हो गई थी. एक व्हील चेयर पर बैठी लड़की और एक अति महत्वाकांक्षी लड़के के बीच बनी ये
दीवार, जिसके नीचे प्यार, सपने सब दब गए. मन ही मन सोचता मैंने
जल्दबाज़ी कर दी. मेरा और उसका क्या मेल? मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था कि मैं एक विकलांग लड़की के साथ प्यार करूंगा. कभी-कभी लगता कि मेरे सारे दोस्त मुझ पर हंस रहे हैं, ये दुनिया ताना दे रही है. मैं घबराकर आंखें बंद कर लेता हूं. मैं मन ही मन प्रश्न करता हूं कि मुझसे ग़लती कहां हो गई.
एक दिन मैंने उसके सामने मन की बात रखी कि अब आगे जाना संभव नहीं होगा. “क्या एक विकलांग लड़की प्यार नहीं कर सकती. क्या मेरा प्यार मेरे पैरों की तरह कमज़ोर था?” उसकी आंखों में आंसू उतर आए. मेरे पास कोई जवाब नहीं था. उसके बाद उसने मुझे अनफ्रेंड कर दिया, कभी कोई मैसेज नहीं किया. यहां तक कि उसने अपना अकाउंट भी डिलीट कर दिया. बिना कुछ कहे, बिना कोई शिकायत के वो मेरी ज़िंदगी से चली गई. आख़िरी बार उसकी बातों में जो उदासी छलकी थी उसे भुला नहीं पाया.
सच में ग़लती मेरी थी. उसके प्रोफाइल पर लगे फोटोग्राफ्स पर ध्यान नहीं दिया. क्यों कभी नहीं पूछा कि वो क्या करती है… मोहब्बत का कोई दायरा नहीं होता, पर मैं न जाने किस दिशा में भटक गया. आज मैं अपनी ग़लती के लिए क्षमाप्रार्थी हूं और बार-बार माफ़ी मांगता हूं कि मुझे माफ़ कर दो…
– शोभा रानी गोयल
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