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पहला अफेयर: रोमांटिक स्टोरी- नीली छतरीवाली लड़की… (Pahla Affair: Romantic Story- Neeli Chhatriwali Ladki)

Pyar ki Khaniya
पहला अफेयर: रोमांटिक स्टोरी- नीली छतरीवाली लड़की... (Pahla Affair: Romantic Story- Neeli Chhatriwali Ladki)
प्रतिदिन वो नीली छतरीवाली लड़की घर के सामने से गुज़रती थी. किसी बच्चे को स्कूल बस तक छोड़ने के लिए चौराहे तक जाना उसका रोज़ का काम था. लेकिन आज पहली बार मेरी नज़र उसकी नज़र से टकरा गई. वो हौले से मुस्कुराई और आगे बढ़ गई. उसकी आंखों में ओस की बूंदों के समान चमक थी. मुस्कुराते हुए उसके लब ऐसे लग रहे थे मानो गुलाब की कई कलियां अभी-अभी खिली हों. उसकी नाज़ुक-सी कलाई में एक ब्रेसलेट था, उसी हाथ से उसने छतरी को पकड़ रखा था, दूसरे हाथ की उंगली को बच्चे ने पकड़ रखा था. उसकी सुराहीदार गर्दन में कोई आभूषण नहीं था और सच पूछो तो उसे किसी आभूषण की ज़रूरत भी नहीं थी, बिन शृंगार के ही बेहद ख़ूबसूरत लगती थी वो. पैरों में सिंपल-सी चप्पल और हल्के रंग की सलवार-कुर्ती पहनकर आती थी वो. वेशभूषा भले ही साधारण थी उसकी, पर व्यक्तित्व असाधारण था. उसमें ग़ज़ब का आकर्षण था, एक कशिश थी, जो मुझे उसकी ओर खींच रही थी. वो किसी मत्स्यकन्या की तरह ख़ूबसूरत थी. मैं उसके वापस लौटने का इंतज़ार करने लगा. कुछ देर बाद वह वापस लौटी. अब उसकी पलकें झुकी हुई थीं. लजाते हुए वो छुईमुई-सी प्रतीत हो रही थी. उसकी मासूम मुस्कान अब भी बनी हुई थी. उसे देखकर मेरे भीतर हज़ारों फूल खिल गए थे. यह पहली नज़र का प्यार नहीं तो और क्या था? मैंने घड़ी को देखा, तो दस बजने को थे. मैं अब रोज़ साढ़े नौ बजे से ही उसका इंतज़ार करने लगा था. वो रोज़ मुस्कुराते हुए आती और चली जाती. मैं बस उसे देखता रह जाता. इतना ज़रूर समझ गया था कि वो भी मुझे पसंद तो करती थी, पर क्या प्यार भी करने लगी थी? सोचता था उसका नाम पूछूं, पर कभी हिम्मत ही नहीं जुटा पाया. यह भी पढ़ें: पहला अफेयर: वो लड़की… (Pahla Affair: Wo Ladki) यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा, फिर अचानक उसका मेरी राह से गुज़रना बंद हो गया. मैं परेशान था. मोहल्ले से पता चला कि उसकी शादी तय हो चुकी है. समय बीतता गया, पर 7-8 महीनों बाद वो फिर दिखाई दी. कलाईभर की चूड़ियां पहने हुए थी वो. मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र था. लेकिन ये क्या... उसका सौदर्य यूं मुरझाया हुआ क्यों लग रहा था. उसके चहरे पर पहले-सी आभा नहीं थी. होंठ सूखे और मन उदास लग रहा था. बेहद कमज़ोर और थकी हुई लग रही थी. अब वो मुस्कुराती भी नहीं थी. वो अक्सर मायके आया करती थी. सुनने में आता कि जाते समय वो मायके से ढेर सारा सामान ले जाया करती थी. पर कई महीनों से उसके मायके आने का सिलसिला भी ख़त्म हो गया था. फिर एक दिन अचानक ख़बर मिली कि ससुराल ेमं उसकी जलने से मौत हो गई. क्या, कैसे और क्यों हुआ, कोई नहीं जानता... पर अंदाज़ा तो सबको है कि दहेज की बलि चढ़ चुकी थी वो. इस दुनिया में अब वो नीली छतरीवाली लड़की नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि वो नीली छतरीवाली लड़की आज भी मुझे नीले आकाश से निहारती है और अब हमें कोई जुदा नहीं कर सकता.

- वैभव कोठारी

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