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पंचतंत्र की कहानी: खरगोश और चूहा (Panchatantra Story: Rabbit And Rat)

काफ़ी समय पहले की बात है, एक जंगल में एक खरगोश अपने परिवार के साथ रहता था. खरगोश अपने परिवार के साथ जंगल के जिस इलाक़े में रहता था, वहां आसपास बड़े व ख़तरनाक जानवरों की काफ़ी अधिक संख्या थी. खरगोश और उसका परिवार हमेशा इस बात से सहमे और डरे रहते थे कि कहीं कोई जानवर आकर उन्हें मार न दे या नुकसान न पहुंचाए. इसी वजह से जब भी उन्हें अपने घर के आस-पास हल्की सी भी हलचल दिखाई-सुनाई देती, तो वो फटाफट डर के मारे अपने बिल में छुप जाते थे.

ख़रगोशों पर दूसरे जानवरों का डर इस कदर हावी था कि उनकी आहट तक सुनने भर से कई खरगोशों की डर से ही मौत हो गई थी. रोज़-रोज़ इस डर को सामने देखकर वो खरगोश बेहद परेशान रहने लगा था.

इसी बीच एक दिन घोड़ों का दल उनके घर के पास से गुज़रा और घोड़ों की आवाज़ सुनकर सभी सहम गए. वो सभी हमेशा की तरह अपने बिल में जाकर छुप गए और डर के मारे पूरा दिन कोई भी ख़रगोश बिल से बाहर नहीं निकला. यहां तक कि खाने की तालाश में भी कोई बाहर नहीं गया.

ख़रगोशों और अपने परिवार को इस हालत में देखकर वो खरगोश बहुत दुखी था. उसने भगवान से शिकायत कर उन्हें कोसते हुए कहा कि हे भगवान आपने हमें इतना कमज़ोर क्यों बनाया है? इस तरह सहम और डरकर जीने का आख़िर क्या फायदा? हमें हर दिन अपनी जान का ख़तरा और डर बना रहता है. इसीलिए सभी खरगोशों ने मिलकर एक दुखद फैसला किया कि हर समय डर-डर कर और यूं बिल में छुपकर रहने से तो अच्छा होगा कि हम सब मिलकर अपनी जान ही दे देते हैं. ऐसे डरकर जीने से तो बेहतर होगा कि हम एक साथ अपना जीवन त्याग दें.

बस यही फ़ैसला करके सभी खरगोश इकट्ठे हुए और आत्महत्या करने के लिए नदी की ओर निकल गए. अब खरगोश और उसका पूरा परिवार नदी के पास पहुंच चुके थे. उसी नदी के पास बहुत सारे चूहों के बिल थे. जैसे ही चूहों ने खरगोशों को नदी की ओर आते देखा तो वो सभी डर गए और इधर-उधर भागने लगे. कुछ चूहे बिल में घुस गए, तो कुछ ने तो डर के मारे नदी में ही छलांग लगा दी और उनकी मौत हो गई. इसी वजह से चारों ओर अफरातफरी का माहौल बन चुका था.

चूहों को खुद से यूं डरते हुए देखकर खरगोश और उसका परिवार हैरान हो गया था. उन्हें इस बात का यकीन ही नहीं हो रहा था कि उन्हें देखकर भी कोई इस क़दर दहशत में आ सकता, अब तक वो खुद को ही दुनिया का सबसे कमजोर प्राणी समझते थे और भगवान को कोसते और दोष देते थे.

लेकिन अब खरगोशों को समझ में आ गया था कि ईश्वर ने दुनिया में कई तरह के भिन्न-भिन्न प्राणियों और जीव-जन्तुओं को उनकी अपनी अलग-अलग खासियत के साथ बनाया है. जो जैसा है, उसे वैसे ही स्वीकार करना चाहिए. सबके अपने गुण व दोष हैं. अगर किसी में कमी है, तो उसमें कुछ विशेष गुण भी हैं. न तो हर किसी में एक जैसे गुण हो सकते और न ही एक ही तरह के दोष. अब ख़रगोश अपने गुणों को भी पहचान चुके थे और ये समझ चुके थे कि सिर्फ़ अपने डर और दोष पर ही ध्यान देकर ऐसे डरना और जीवन त्यागना ग़लत फ़ैसला है. ये समझने के बाद खरगोश और उसका परिवार घर वापस अपने घर आ गया.

सीख: अपनी कमज़ोरी और डर को खुद पर कभी हावी न होने दें. भगवान और प्रकृति ने सभी को अलग-अलग ख़ास शक्तियां देकर हर किसी को ख़ास और शक्तिशाली बनाया है. हर कोई अलग-अलग क्षेत्र में माहिर होते. बस ज़रूरत है अपनी शक्तियों और गुणों को पहचानने की और अपनी ताक़त को जानने की.

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