परवीन गुजरात के मुस्लिम परिवार में जन्मी थीं और वो शाही ख़ानदान से थीं. यही वजह थी कि उनका अंदाज़ भी काफ़ी शाही था पर निजी जीवन में वो एक बेहद सामान्य सी लड़की थीं जो सिर्फ़ सच्चा प्यार चाहती थी. लेकिन उनकी यह तलाश अधूरी ही रह गई.
फ़िल्मों में आने के बाद परवीन की पहली हिट मूवी थी अमिताभ बच्चन के साथ मजबूर. उसके बाद एक के बाद एक सभी बड़े कलाकारों के साथ उन्होंने काम किया और वो बड़ी स्टार बन चुकी थीं.
उस ज़माने में परवीन का बिंदास अंदाज़ और बोल्ड इमेज उन्हें बाक़ी अदाकाराओं से अलग करती थी और इसी इमेज ने उन्हें उन फ़ीमेल कलाकारों की लिस्ट में सबसे आगे खड़ा कर दिया था जो सबसे ज़्यादा फ़ीस लेती थीं.
परवीन वो पहली भारतीय अदाकारा भी बनीं जो टाइम मैगज़ीन के कवर पर आई. परवीन सिलवर स्क्रीन पर जितनी कामयाब थीं निजी जीवन में उतनी ही तनहा. शुरुआत में डैनी के साथ उनके रिश्तों की चर्चा थी लेकिन वो ज़्यादा नहीं चला, उसके बाद कबीर बेदी आए पर उनसे भी उनका रिश्ता टूट गया और इसी बीच एक स्ट्रगलिंग डायरेक्टर की उनसे दोस्ती हुई और ये थे महेश भट्ट.
कबीर से अपने टूटे रिश्ते का दर्द झेल रही परवीन महेश के काफ़ी क़रीब आ गईं और दोनों का प्यार इस क़दर परवान चढ़ा कि शादीशुदा महेश परवीन के साथ लिव इन में रहने लगे. महेश और परवीन की प्रेम कहनी उस वक़्त इंडस्ट्री की सबसे चर्चित प्रेम कहानी बन चुकी थी. दोनों दो साल तक साथ रहे लेकिन उनके प्यार को ना जाने किसकी नज़र लग गई कि ये रिश्ता ऐसा टूटा कि परवीन को पूरी तरह तोड़ कर चला गया.
फ़िल्म शान की शूटिंग के दौरान कुछ ऐसा वाक़या हुआ कि परवीन की मानसिक बीमारी सबके सामने आई. परवीन ने एक सीन में झूमर के नीचे खड़े होने से इंकार कर दिया क्योंकि उनको लगा कोई उन्हें मारने की साज़िश कर रहा है. उन्होंने सुपर स्टार अमिताभ पर भी इल्ज़ाम लगा दिया.
महेश को भी इस बीच उनके स्किज़ोफ़्रेनिया के शिकार होने का पता चला. परवीन का व्यवहार महेश के प्रति भी बदलने लगा था. एक रात जब महेश घर आए तो देखा परवीन के हथों में चाकु है और वो महेश को चुप रहने का इशारा करके कहने लगीं कि कोई उनको मारना चाहता है.
महेश हैरान थे उनके इस व्यवहार से. उनकी बीमारी के चलते उनके फ़िल्मी कैरियर पर भी असर होने लगा था. ये ऐसी बीमारी थी जिसका इलाज नहीं था, एलेक्ट्रिक शॉक से कुछ मदद मिल सकती थी लेकिन उससे ख़तरा भी उतना ही था. महेश इसके पक्ष में नहीं थे और इसी वजह से उन पर इल्ज़ाम भी लगे कि वो परवीन के स्टारडम का लाभ लेने के लिए उनका सही इलाज नहीं करवाना चाहते.
महेश ने इस बातों की परवाह नहीं की और वो परवीन को बंगलोर भी लेके गए ताकि प्राकृतिक माहौल में उन्हें कुछ फ़र्क़ पड़े, लेकिन उनकी हालत नहीं सुधरी. यहां तक कि वो अब महेश पर भी शक करने लगी थीं कि वो भी उनको मारना चाहते हैं. खाना या दवा खाते समय वो महेश को पहले कहती कि वो खाए ताकि उनको भरोसा हो कि इसमें ज़हर नहीं है.
महेश परवीन की हालत को लेकर काफ़ी परेशान थे क्योंकि वो उनसे बेहद प्यार करते थे, लेकिन एक रात कुछ ऐसा हुआ कि ये रिश्ता टूट गया. महेश परवीन से किसी बात पर नाराज़ होकर बाहर जाने लगे तो परवीन उनके पीछे भागी और जब महेश ने पलटकर देखा तो परवीन के बदन पर कपड़े तक नहीं थे.
महेश के प्यार की दीवानगी और बीमारी की ऐसी सनक कि परवीन को ये तक ध्यान नहीं था कि वो खुली सड़क पर महेश के पीछे बिना कपड़ों के ही दौड़ पड़ी.
महेश ने इसके बाद उन्हें आख़री बार गले लगाया और हमेशा के लिए अपने घर अपनी पत्नी के पास लौट आए.
इसके बाद परवीन बिल्कुल अकेली रह गईं और इस दर्द से कभी नहीं ऊबर पाईं. कई लोग महेश को ही परवीन की इस हालत का ज़िम्मेदार मानते हैं. महेश अपने काम में व्यस्त होते चले गए और परवीन गुमनामी के अंधेरों में खोती चली गईं.
महेश ने अपने और परवीन के रिश्तों पर फ़िल्में भी बनाईं और अपने प्यार को कभी छुपाया नहीं.
परवीन शांति की तलाश में अमेरिका चली गईं, धर्म की शरण में लेकिन दस साल बाद वो वापस मुंबई लौटीं. उनकी बीमारी वैसी ही थी क्योंकि वो अपने फ़्लैट में भी अकेले रहते हुए किसी से मिलती नहीं थीं और यहां तक कि दूध व अंडे भी बाहर रखवा के बाद में ख़ुद लेती थीं.
एक रोज़ उनके घर के बाहर जब दूध व अंडे यूं ही पड़े दिखे तो पता चला कि उन्हें रीसीव करनेवाली परवीन की मौत हो गई है और उनका शव बुरी हालत में था. उनकी शव को किसी ने क्लेम नहीं किया, परिवार भी सामने नहीं आया और तब भी महेश अपने प्यार की ख़ातिर सामने आए और उनका अंतिम संस्कार किया, महेश ने अपने प्यार का फ़र्ज़ तो अदा कर दिया लेकिन वो परवीन का वो सहारा नहीं बन पाए जिसकी परवीन को ज़रूरत थी और परवीन प्यार के लिए ताउम्र तरसती रह गईं.