- बुख़ार 103 या 104 डिग्री फारेनहाइट पहुंचना.
- तेज़ सर्दी लगना और शरीर का ठंडा पड़ जाना.
- खांसी के दौरान ललाई युक्तन कफ निकलना.
- सीने में तेज़ दर्द व सांस लेने में भी कठिनाई.
- त्वचा नीला पड़ना व मितली जैसा महसूस होना.
- भूख न लगना, जोड़ों व टिश्यूज़ में दर्द होना.
अगर आपके बच्चे को 103 या 104 डिग्री फारेनहाइट तक बुख़ार है? उसे सर्दी भी लग रही है. शरीर भी ठंडा पड़ रहा है? उसे खांसी के साथ भी है, सीने में दर्द भी है. वह सांस लेने में कठिनाई महसूस कर रहा है? तो उसे शर्तिया निमोनिया बुख़ार है, क्योंकि ये तमाम लक्षण निमोनिया के ही हैं. ज़रूरत है फ़ौरन अलर्ट होने की, क्योंकि अपने देश में 4.30 करोड़ लोग निमोनिया से ग्रस्त हैं.
हर घंटे 45 बच्चे तोड़ते हैं दम वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में निमोनिया से हर घंटे 45 से ज़्यादा बच्चों की मौत हो जाती है.
निमोनिया के कारण
- इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की छवि में निमोनिया का आम कारण बैक्टीरियम स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया.
- निमोनिया मुख्य रूप से बैक्टीरिया या वायरस द्वारा और कम आमतौर पर फफूंद और परजीवियों द्वारा होता है. हालांकि संक्रामक एजेंटों के 100 से ज़्यादा उपभेदों की पहचान हुई है लेकिन अधिकांश मामलों के लिये इनमें केवल कुछ ही ज़िम्मेदार हैं.
- वायरस व बैक्टीरिया के मिश्रित कारण वाले संक्रमण बच्चों के संक्रमणों के मामलों में 45 फ़ीसदी तक और वयस्कों में 15 फ़ीसदी तक ज़िम्मेदार होते हैं. सावधानी के साथ किए गए टेस्ट के बावजूद क़रीब आधे मामलों में कारक एजेंट अलग नहीं किए जा सकते.
- निमोनिया होने की संभावना को बढ़ाने वाले हालात और जोखिम कारकों में धूम्रपान, कमज़ोर इम्यूनिटी और तथा शराब की लत, सीरियस लंग डिसीज़, किडनी डिसीज़ और लिवर डिसीज़ शामिल हैं. एसिडिटी दबाने वाली दवाओं जैसे प्रोटॉन-पंप इन्हिबटर्स या एचटू ब्लॉकर्स का उपयोग निमोनिया के बढ़े जोखिम से संबंधित है.
- उम्र का अधिक होना निमोनिया के होने को बढ़ावा देता है.
टीका, उचित पौष्टिक आहार और पर्यावरण की स्वच्छता के ज़रिए निमोनिया की रोकाथाम संभव है.
Link Copied