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कविता- छठ पर्व (Poetry- Chhath Parv)

ध्यान करके सूर्य का छठ मातु को मस्तक नवाएं।

चार दिन इस पर्व के अंतस मुदित सबके कराएं।

श्री दिवाकर को समर्पित पर्व छठ कितना सुहाना।

साँझ-प्रातः अर्घ्य देकर सूर्य को मन से मनाना।

चार  दिन पूजा करें जल में उतर कर लोग सब,

नद, सरोवर ताल से इन्सान का रिश्ता पुराना।

जोश श्रद्धा से निरंतरपर्व छठ का सब मनाएं।

ध्यान करके सूर्य का छठ मातु को मस्तक नवाएं।

पर्व जन जन का अनूठा प्रेम से इसको मनाते।

पूजते माता छठी को कठिन व्रत श्रद्धा दिखाते।

खाय और नहाय-खरना मुख्य इसके अंग हैं,

शुद्ध सात्विक भोज पकते साँझ को ही लोग खाते।

मातु छठ रवि के मनोहर प्रेम से सब गीत गाएं।

ध्यान करके सूर्य का छठ मातु को मस्तक नवाएं।

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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Photo Courtesy: Freepik

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