वो तुम्हारी आंखों में खोजती हैं पिता
तुम्हारी हथेलियों में भाई
तुम्हारे कांधे पे सखा
जिनके सामने सीने में जमा हर दर्द उड़ेल सकें
वो चाहती हैं कभी यूं ही रूठने पर
तुम अपने हाथों से खाना खिला दो
उनके बिखरे बालों को समेट एक चोटी बना दो
अवसाद की लंबी रातों में तुम्हारी बांंहें उन्हें मां सा सुकून देती हैं

वो तमाम उम्र ढूंढ़ती रहती हैं
 बड़ी से बड़ी बहस के बाद भी 
 सिर थपथपाते दो हाथ
 जिनको पकड़ कर वह कहीं भी जा सकती हैं
 रास्ता, पड़ाव और मंज़िल की ख़बर लिए बिना
पर तुम घबरा जाते हो
 जानते हो प्रेम अपने साथ अधिकार का भाव लाता है
 जो तुम उसे देना नहीं चाहते
 बस रोक देते हो कदम 
 उनके दिल की राह तक जाने का

और अब वो ख़ुद भी भूल चुकी हैं 
उन्हें तुमसे क्या चाहिए
खोजती हैं वजह उनके होने की
और मन की अकुलाहटों का कारण नहीं समझ पाने पर
 टटोलने लगती हैं तुम्हारी जेबें
पैसों की लालची, शॉपिंग की भूखी
ये इल्ज़ाम लगाना आसान है
चुटकुले बनाना उससे भी आसान
पर हक़ीक़त में ये लड़कियां
उन सब में भी तुम्हारा प्यार ही ढूंढ़ती हैं…


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