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भारत-पाकिस्तान तनाव और कलाकारों पर दबाव (Reaction of celebs on uri attack)

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देश से बढ़कर कुछ भी नहीं...!!!

माना कि कला और फनकार को सीमाओं में नहीं बांधना चाहिए, लेकिन जब बात देश की सुरक्षा की हो, तो ये बातें बेमानी हो जाती हैं. दरअसल 18 सितंबर, 2016 में उरी (कश्मीर) में हुए आतंकी हमले और 18 भारतीय जवानों के शहीद हो जाने के बाद पूरा देश ग़मगीन हो गया था. उस पर दोबारा बारामूला में आतंकियों द्वारा हमले का दुस्साहस करना इस बात को उजागर करता है कि कश्मीर में हालात कितने संवेदनशील हो गए हैं. इसके बाद देश के प्रमुख शहरों व राज्यों को हाई अलर्ट कर दिया गया है. ऐसे माहौल में पाकिस्तानी कलाकारों को लेकर बैन व विवाद भी चल रहे हैं. फिल्मी जगत दो हिस्सों में बंट गया है. एक वर्ग इन कलाकारों को सपोर्ट कर रहा है, तो वहीं दूसरा वर्ग देश को सर्वोपरि मानते हुए इनका बहिष्कार. इसमें राजनीतिक पार्टियां, फिल्मी संस्थाएं व हस्तियां- हर किसी की अपनी-अपनी राय है. वैसे असली विवाद तब उठा जब एक राजनीतिक पार्टी द्वारा पाकिस्तानी कलाकारों को देश छोड़कर जाने की धमकी दी गई और इस पर बालीवुड में काम करनेवाले कुछ पाकिस्तानी कलाकारों ने उरी हमले और आतंकवाद पर कुछ भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया. इससे माहौल और भी गरमा गया. उनके इस व्यवहार से जहां एक वर्ग आहत हुआ, वहीं दूसरे ने उन्हें सही ठहराया. करण जौहर की फिल्म ऐ दिल है मुश्किल में पाकिस्तानी ऐक्टर फवाद ख़ान हैं, तो शाहरुख ख़ान की रईस में पाकिस्तानी ऐक्ट्रेस माहिरा ख़ान काम कर रही हैं. पाकिस्तानी कलाकारों के बैन को लेकर विवाद के चलते इन दोनों ही फिल्मों के प्रदर्शन पर भी असर होगा. ऐसे में फवाद खान के बिना कोई प्रतिक्रिया दिए पाकिस्तान चले जाने को लेकर नए सिरे से विवाद उठ गया है. इस पर करण जौहर, महेश भट्ट, सलमान ख़ान, ओम पुरी, अनुराग कश्यप के बयानों ने आग में घी का काम किया. इस प्रकरण पर जहां नाना पाटेकर ने अपने बयान से हर भारतीय का दिल जीत लिया, वहीं जावेद अख़्तर ने भी पाकिस्तानी कलाकारों के व्यवहार पर सवालिया निशाना साधा. आइए, जानें इस बैन/विवाद पर कुछ फिल्मी हस्तियों के विचार-
नाना पाटेकर
मेरे लिए देश सबसे पहले बाकी सब बाद में. देश के सामने कलाकारों की कोई क़ीमत नहीं. मैं ढाई साल तक सेना में रहा हूं, जानता हूं असली हीरो कौन है. पाकिस्तानी कलाकार मेरे लिए बाद की बात है. मेरे लिए सबसे पहले मेरा देश. हम कलाकार देश के सामने खटमल की तरह बहुत छोटे हैं. जवानों से ब़ड़ा हीरोे कोई हो ही नहीं सकता दुनिया में. हम तो बहुत मामूली व नकली लोग हैं, इसलिए हम जो बोलते हैं, उस पर ध्यान मत दो.
जावेद अख़्तर
पाकिस्तानी कलाकारों की चुप्पी एक तरह का क़बूलनामा है कि पाकिस्तान हमले के लिए ज़िम्मेदार है. अगर पाकिस्तान कहता है कि उरी हमले के लिए वो ज़िम्मेदार नहीं है, तो पाकिस्तानी कलाकारों को भी इसकी निंदा करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.
सैफ अली ख़ान
हम कलाकार हैं, हम प्यार व शांति की बात करते हैं. लेकिन सरकार को क़ानून से जुड़े और किसे यहां काम करने की इजाज़त देनी है और किसे नहीं, ऐसे ़फैसले लेने होते हैं.
अभिजीत
सुपरस्टार उरी हमले की ख़बरें नहीं देखते. पाकिस्तानी भारतीयों को मार रहे हैं. वे पाकिस्तानी कलाकारों के साथ शूटिंग में व्यस्त हैं.
सुर्खियों में रहीं भारत-पाकिस्तान पर बनी अब तक की फिल्में
* साल 1973 की फिल्म हिंदुस्तान की क़सम (राजकुमार) चेतन आनंद द्वारा निर्देशित भारत-पाकिस्तान के साल 1971 में हुए युद्ध पर आधारित थी. * जे. पी. दत्ता की बॉर्डर 1971 में हुई इंडो-पाक वॉर में राजस्थान के लांगेवाला पर केंद्रित थी. साल 2000 में रिलीज़ विधु विनोद चोपड़ा की मिशन कश्मीर भारत-पाकिस्तान के कश्मीर विवाद व आतंकवाद से जुड़ी थी. * एलओसी करगिल, लक्ष्य, हिंदुस्तान की क़सम (अजय देवगन), अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों आदि फिल्में भारत-पाक के रिश्तों पर आधारित थीं.
एक अनकहा पहलू यह भी...
कई भारतीय कलाकारों ने भी पाकिस्तानी फिल्मों में काम किया है, जिसमें शिला रमानी (अनोखी), ओम पुरी (एक्टर इन लॉ, जिसकी शूटिंग हाल ही में उन्होंने पूरी की और अगस्त में वे पाकिस्तान भी गए थे, फिल्म के प्रमोशन के लिए.) नसीरुद्दीन शाह (खुदा के लिए व ज़िंदा भाग), किरण खेर-शिल्पा शुक्ला (ख़ामोश पानी), विनोेद खन्ना, अरबाज़ ख़ान, ऋषिता भट्ट, प्रीति झंगियानी, किम शर्मा (गॉडफादर), नंदिता दास (रामचंद्र पाकिस्तानी), आकाशदीप सहगल-श्‍वेता तिवारी (सल्तनत) उल्लेखनीय हैं. वैसे तो हम सभी जानते हैं कि कलाकार कहीं भी काम करने के लिए आज़ाद हैं, उन्हें सरहदों में नहीं बांधना चाहिए, लेकिन देश व वक़्त की नज़ाकत को देखते हुए कलाकारों को भी कुछ अहम् फैसले लेने ही चाहिए. Reaction of celebs on uri attack
- ऊषा गुप्ता

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