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व्यंग्य- राशिफल और जीवन‌ (Satire- Rashifal Aur Jeevan)

न जाने क्यों, मुझे तो पूरा यक़ीन है कि लगातार काली उड़द के दान के चलते ही मेरा जीवन बचा है, नहीं तो शनि कब का निपटा देता. हां अगर हाथी, नीलम या भैंस दान करने की क्षमता होती, तो निश्चय ही मेरे जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आता. तब शनि मुझे राज सिंहासन पर बैठा देता. वैसे मुझसे भी महान दोस्त वो हैं, जो दो रुपए का घोड़े के नाल से बना काला छल्ला पहनकर शनि का मुक़ाबला कर लेते हैं.

 
भाईसाहब अब आप इसे सही समझें या ग़लत मैं सुबह उठते ही पहले अपना राशिफल पढ़ता हूं और फिर आगे के दिन की शुरुआत होती है. यह बचपन की एक पुरानी आदत है.
पहले तो इस चक्कर में न्यूज़पेपर का इंतज़ार करना पड़ता था. लेकिन यह चस्का बड़ा घातक व भयानक है. बचपन में हम संडे के पेपर में साप्ताहिक राशिफल भी पढ़ते थे और साल के अंत में आख़िर के दो दिन के पेपर का बेसब्री से  इंतज़ार रहता, क्योंकि वह तो मेरी ज़िंदगी के आनेवाले पूरे साल का हाल बतानेवाला है. इतने से भी दिल कहां भरता है स्टेशन पर जाते ही वार्षिक फल वाली बेजान दारूवाला की किताब पर हमारी नज़र टिकी रहती. अपनी पॉकेट मनी के हिसाब से उस ज़माने में वह काफ़ी महंगी होती, पर जोड़-तोड़ करके एक-दो दोस्तों को कन्विंस कर पैसे मिला कर वह किताब ख़रीद ली जाती.
आफ़त यह कि इतनी महंगी किताब और घर नहीं ले जा सकते. पिताजी देखेंगे तो बड़ी डांट पड़ेगी, अव्वल तो,  "ऐसी किताब के लिए इतने पैसे कहां से आए" और अंत में इस बात के लिए कि "राशिफल से कुछ नहीं होता, पढ़ाई-लिखाई करोगे, तभी अच्छे नंबर आएंगे. ख़बरदार जो आज के बाद तुम्हें राशिफल देखते देखा."
आप ही सोचिए इंसान अगर मां-पिता की बात मान ले, तो उसकी ज़िंदगी न बन जाए. मगर नहीं उसे अपने दोस्तों पर भरोसा होता है, जो ज़्यादातर उसी की तरह फंटूश होते है. कॉलेज कट करके पिक्चर देखनेवाले और सुबह से शाम तक मार्केट में बेवजह घूमनेवाले. इतना ही नहीं पढ़ने-लिखनेवालों का मज़ाक बनानेवाले और एक दिन रिजल्ट ख़राब आए, तो बस घंटे-दो घंटे मातम मना कर तबियत हल्की करने चल देनेवाले, यह कहते हुए कि "कोई बात नहीं, इस बार रिजल्ट ख़राब हो गया तो हो गया, अगली बार देखते हैं. इस बार क़िस्मत ने साथ नहीं दिया हमेशा ऐसा थोड़ी होगा, अगला साल मेरा होगा."
यहां तक कि वो इमोशनल होकर पिताजी को भरोसा दिला देते कि बस वो एक-दो पेपर ख़राब हो गए, वरना, बस बहुत हो गया इस बार देखिएगा और सच कहूं ऐसे लड़के रिजल्ट आने के बाद दस दिन बिना नई क्लास शुरू हुए जितनी मेहनत करते है, उतनी वे एडमिशन के बाद कभी नहीं करते.
ऐसे स्टूडेंट्स को एक चीज़ पता होती है, पास कैसे होना है और एक्जाम की डेट डिक्लेयर होते ही कितने दिन आइसोलेशन में रहकर तैयारी करनी है. नतीज़ा ये टॉप करें न करें अगली क्लास में पहुंचते रहते हैं. बड़े क्लेश होते हैं नई क्लास के, टीचर पहले ही सबके मार्क्स पता कर लेता है और पहली दो रो, नाइंटी पर्सेंट से ऊपरवालों के लिए रिजर्व कर देता है और बाकी स्टूडेंट्स को ऐसे पढ़ाता है जैसे, बेटा तुम्हें तो मैं देखूंगा मेरी क्लास में बदतमीजी कैसे करते हो. इस चक्कर में बहुत से कम नंबर वाले स्टूडेंट बिना ग़लती के पिट जाते हैं.

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आफ़त यह है कि स्टूडेंट लाइफ में कोई इनके लॉजिक नहीं सुनता. वे कितनी बार कहते हैं, "सर, टॉपर का आई क्यू ज़्यादा है… वह लकी राशिवाला है… सर, पंडित ने उसकी कुंडली में राज योग बताया है… सर इसके भैया इसे रोज़ पढ़ाते हैं… इसके तो पापा-मम्मी ने ट्यूशन लगा रखी है… मगर कौन सुनता है ऐसे स्टूडेंट्स की बात और फिर इसे ये क़िस्मत का खेल ही मानते हैं कि ये इतने स्मार्ट और समझदार होते हुए भी पीछे रह जाते हैं और एक से एक डरते-सहमते सीधे-साधे दिखते स्टूडेंट इन्हें पीछे छोड़ आगे निकल जाते हैं.
विश्वास मानिए, जैसे-जैसे जीवन में ऐसी घटनाएं घटती जाती हैं, हम जैसे लोगों का विश्वास राशिफल पर बढ़ता चला जाता है.
उसमें साफ़ लिखा होता है आप परिश्रम तो करेंगे, लेकिन परिश्रम के अनुरूप फल नहीं प्राप्त होगा. हां आपके जीवन में अनेक बाधाएं आएंगी, लेकिन आप किसी अनजान व्यक्ति की अचानक मिली सहायता से सभी बाधाएं पार कर लेंगे. अशुभ व शनि के प्रकोप से बचने के लिए काली वस्तु का दान करें, जैसे- हीरे, हाथी या भैंस का दान करना लाभप्रद रहेगा. कुछ न होने पर काली उड़द का दान भी किया जा सकता है.
न जाने क्यों, मुझे तो पूरा यक़ीन है कि लगातार काली उड़द के दान के चलते ही मेरा जीवन बचा है, नहीं तो शनि कब का निपटा देता. हां अगर हाथी, नीलम या भैंस दान करने की क्षमता होती, तो निश्चय ही मेरे जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आता. तब शनि मुझे राज सिंहासन पर बैठा देता. वैसे मुझसे भी महान दोस्त वो हैं, जो दो रुपए का घोड़े के नाल से बना काला छल्ला पहनकर शनि का मुक़ाबला कर लेते हैं.
आप मेरा मज़ाक मत उडाइएगा, मेरा अटूट विश्वास है कि मैं आज जो कुछ भी हूं इसी भाग्यफल, राशिफल के कारण ही. आप भले ही मुझे न जानते हों मैं तो ख़ुद को भलीभांति जानता हूं. सच कहूं, तो मेरे भीतर पढ़ने-लिखने के कोई लक्षण नहीं थे, वह तो पिताजी ने ठोक-पीट के पास करवा दिया. हर एक्जाम से पहले और परीक्षा देने के बाद हनुमान मंदिर में बजरंग बली के दर्शन का प्रभाव है, जो बिना रुके हर क्लास से निकलते चले गए. मेरे मन में तो पेपर देते समय भी "नाशे रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा…” गूंजता रहता था.
नतीज़ा यह कि बजरंग बली ने सब सम्हाल लिया. नौकरी के लिए भी मुहूर्त देख कर फार्म भरा. सही समय पर रजिस्ट्री की. इंटरव्यू में राशि के अनुसार कपड़े पहने, यह अलग बात है कि उस दिन उन कपड़ो में मैं इंटरव्यू बोर्ड के आगे कार्टून नज़र आया, लेकिन राशि को तो अपना कमाल दिखाना था, क्योंकि मैं जीवन में उससे कोई पंगा नहीं लेता.
मैं तो शुरू से ही भाग्यफल जैसा कहता, जो टिप्स कोई दारूवाला या पंडित बता देते उसे मान लेता. इससे बड़ा इस राशि का चमत्कार क्या होगा  कि एक बेवकूफ और फ़ालतू नज़र आनेवाले इंसान के पास घर चल कर अच्छा-ख़ासा शादी का रिश्ता आ गया, जिसे लपकने में मैने देर न लगाई. वैसे यह बात मैने शादी से पहले तय करनेवाले बिचौलियों को बताई थी कि, "देखो, मेरा माइंड कुछ कम है आई मीन मेरा आई क्यू थोड़ा कम है."

यहां तक कि क्लास में टीचर भी कहते थे कि इसे देर में बात समझ आती है और इस कम आई क्यू का प्रूफ यह है कि मैं बेसिर पैर की चीज़ें लिखता रहता हूं, जैसे- व्यंग्य, कविता वगैरह. लेकिन उन्हें मेरी बात मज़ाक लगी. उनके हिसाब से मैं नौकरी करता हूं यही बहुत है. यह तो ससुरालवालों को बाद में पता चला कि यह ठीक कह रहा था. लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था. वे कुछ कहने की कोशिश करते, तो मैं कहता, "देखिए मुझे दोष मत दीजिए. यह सब तो मैंने पहले ही बताया था. फिर पंडितजी और मेरे ज्योतिष जाननेवाले मित्रों, बड़े-बुज़ुर्गों ने बताया, "बेटा ये शादी-ब्याह जन्मों-जन्मों का बंधन होता है और जोड़ियां तो ऊपर से बन कर आती हैं, तब मुझे एहसास हुआ कि आख़िर मुझ जैसे प्राणी की शादी कैसे हो गई, वरना…
वरना लिखने के बाद मैं ख़ुद भी डर जाता हूं. अब आगे यह आपकी कल्पना पर निर्भर करेगा कि आप वरना… को कहां तक सोच सकते हैं.
इतना सब होंने पर भी यदि मैं राशिफल पर भरोसा न करू, तो किस पर करुं. यह सब राशिफल का कमाल है जो लिखता है 'मीन राशि के जातक लिखने-पढ़ने में सफल होते हैं. इनकी राशिगत विशेषता है कि इन्हें वाहन सुख प्राप्त होता है और ये बहुत जल्दी किसी पर भी विश्वास कर लेते हैं, जिसके चलते ये बहुत बार छले जाते हैं. लेकिन अपनी आदत नहीं बदल पाते. इनका पारिवारिक जीवन सामान्य ढंग से चलता रहता है और ये इस मामले में क़िस्मत के धनी होते हैं. ये प्रकृति से चंचल होते हुए भी अपने जीवनसाथी के प्रति इमानदार होते हैं.'
अब जब कोई बात होती है, तो मैं इस लाइन का दूसरा भाग पढ़ कर श्रीमतीजी को बताता हूं, लेकिन उनका फोकस पहली बात पर रहता है कि ये प्रकृति से चंचल होते हैं ,सो उन्होंने शुरू से ही यह ध्यान रखा कि यह चंचल न रह सके.

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अब यह सब राशिफल का कमाल है कि मैंने चारित्रिक विशेषता देखकर लिखने-पढ़ने को गति दे दी. दोस्त मज़ाक उड़ाते, खिंचाई करते, पर हम तो राशिफल भक्त ठहरे, रोज़ उठकर राशिफल देखते और कोई न कोई खुराफ़ात कर डालते. कभी कविता, कभी व्यंग्य, कुछ नहीं तो ऑफिस में हो रही निबंध प्रतियोगिता में हिस्सा ले लेता.
निबंध लिखता, तो जीत जाता. कविता लिखता, तो स्लोगन बन जाता. खुराफ़ात में कुछ न कुछ मिल ही जाता. अब इसे राशिफल का खेल ही कहेंगे कि वह मुझे कहती, 'इस हफ़्ते पुरस्कार मिलने की संभावन है' और मैं प्रतियोगिता जीत जाता.
वक़्त के साथ मुझे भरोसा हो गया कि यह जीवन सितारों का खेल है. सितारे तुमसे खेल रहे हैं, बस तुम सितारों के इस खेल में बाधा न बनो.
वैसे कई बार मेरा भरोसा इन राशिफलवालों ने तोड़ा, पर क्या बताएं. यह जो बचपन की आदतें और भरोसे होते हैं टूटते नहीं.
मुझे हमेशा डाउट रहता है कि ये राशिफल बतानेवाले घुमा रहे हैं. वे कुछ ऐसे बोल बोलते हैं कि चित भी मेरी पट भी मेरी. फिर गोल-मोल भी बहुत करते हैं. कई बार मैंने देखा, जो आज मेरी राशि में है वह कल किसी और की राशि में होता है और परसों किसी तीसरी राशि का फल मेरी राशि में छपा होता है. फिर वो दो-चार लटके-झटके भी रखते हैं, जैसे- गुरु का राशि परिवर्तन, तो शुक्र का वक्री हो जाना. फिर अचानक शनि का भारी होना, तो बीच-बीच में राहु-केतु का आना-जाना. अब आपसे क्या बताएं इतनी बातें समझने की ताक़त होती, तो क्या मेरा आई क्यू ज़्यादा न होता.
इन ज्योतिषवालों को क्या बताएं कि हम तो एवरेज आई क्यू से कम लेकर ज़िंदगी गुज़ार चुके. क्या फ़र्क़ पड़ता है ये राशिफल नहीं समझ आया तो. जैसे मैथ नहीं समझ आई, वैसे ज्योतिष नहीं समझ आएगा. तुम बस राशिफल देते रहो हम बिना सोचे-समझे उसी पर चल कर गुज़ारा कर लेंगे.
आज सुबह का राशिफल देखकर ही राशिफलवाला  लफड़ा हुआ है. चलिए आपके साथ आज का राशिफल शेयर करता हूं. पेपरवाले ने लिखा है- आपके लिए आज का दिन बढ़िया रहेगा. आपकी बुद्धिमानी आपके काम आएगी और आप अपनी चुनौतियों पर जीत हासिल करेंगे. धन के मामले में दिन अच्छा है. पिता का स्वास्थ्य ख़राब हो सकता है. आपके स्वास्थ्य में सुधार होगा. पारिवारिक जीवन में अनुकूल समय रहेगा. प्रेम जीवन अच्छा है, प्यार भरा दिन रहेगा और आपको अपने प्रिय का पूरा साथ मिलेगा. दांपत्य जीवन में दिन तनाव भरा रह सकता है. जीवनसाथी का बर्ताव आपको ज़्यादा पसंद नहीं आएगा.
अब बताइए क्या मतलब निकालू इसका और क्या नहीं. दिन बढ़िया रहेगा का अर्थ यह निकला कि चलो आर्टिकिल लिख डालें. चुनौतियों पर जीत हासिल करेंगे व स्वास्थ्य सुधरने लगेगा का मामला भी कुछ ठीक लग रहा है. बुद्धिमानी काम आएगी वाक्य इसी राशि के  किसी और सदस्य के लिए लिखा हो सकता है, पारिवारिक जीवन में अनुकूल समय का अर्थ यह है कि बढ़िया भोजन मिलेगा.

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इसके आगे की तीनों लाइन मुझे तंग कर रही है, प्रेम जीवन में दिन प्यार भरा रहेगा. इसे पढ़ कर मन हो रहा है ज्योतिषी का गला पकड़ लूं. इस उम्र में वह प्रेम भरा जीवन लिख रहा है, तो बताए कि अब प्रेम के अवसर कहां उपलब्ध हैं. जिन चीज़ों को मैं भूल चुका हूं, यह उसके बारे में क्यों लिख रहा है? इसके बाद दो लाइन और लिखता है दाम्पत्य जीवन तनावपूर्ण रहेगा, जीवनसाथी का व्यवहार पसंद नहीं आएगा.
आप ही बताइए इन दो लाइनों में इसने कौन सी अनोखी बात बता दी. बहुत सी बातें ऐसी होती हैं, जो बिना कहे सुने भी समझी जा सकती हैं. इसमें ज्योतिष का कौन सा  ज्ञान छुपा है. हां बताना है तो इसके आगे बताता कि इस समस्या के उपाय क्या हैं, जैसे- शॉपिंग या गिफ्ट से भाग्य में परिवर्तन आ सकता है. मगर नहीं यह राशिफलवाले जीवन के मामले में सिर्फ़ इशारा दे कर छोड़ देते हैं.
मुश्किल यह है कि अब मैं राशिफल पर इतना निर्भर हो गया हूं कि लगता है बिना ज्योतिषी की सलाह के कोई ढंग का काम नहीं कर पाऊंगा और अगर आज हमारा जीवन चल रहा है, तो इस राशिफल के भरोसे. कहीं किसी दिन राशिफल आना बंद हो गया, तो मुझे तो अपनी चलती हुई सांस देखकर भी ख़ुद के जीवित होने का भरोसा नहीं होगा.

- मुरली मनोहर श्रीवास्तव 

Photo Courtesy: Freepik

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