एक वक़्त था जब डीकम्पनी की बॉलीवुड और मुंबई में तूती बोलती थी और यहां वही होता था जो भाई चाहता था. क्रिकेट में सट्टेबाज़ी हो या लोगों से धन उगाही, दाऊद के नाम पर सब होता था. दुबई में अक्सर दाऊद को भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान स्टेडियम में देखा जाता था और उनके साथ कोई न कोई बॉलीवुड स्टार भी बैठा नज़र आटा था. दुबई के डॉन की पार्टी भी बड़ी मशहूर हुआ करती थीं. ऐसा रुतबा था डॉन का कि उनको कोई ना नहीं कर पाता था.
80-90 के दशक में बॉलीवुड और डी कम्पनी का गठबंधन काफ़ी मशहूर था. इसी दौरान 1985 में एक फ़िल्म आई राम तेरी गंगा मैली और इसने एक नए सितारे को जन्म दिया- मंदाकिनी जिनका असली नाम था यासमीन जोसेफ. मंदाकिनी को इस फिल्म ने रातोंरात वो स्टारडम दिया जिसके लिए हर एक्टर तरसता है. नीली आंखों वाली दूधिया रंगत वाली इस लड़की के भोलेपन ने सभी को आकर्षित कर लिया. इतना ही नहीं कमसिन मंदाकिनी ने इस फ़िल्म में काफ़ी बोल्ड सीन्स भी दिए जो उस वक़्त काफ़ी सुर्खियाँ बटोर रहे थे. इस फ़िल्म से मिले स्टारडम ने मंदाकिनी को एक के बाद एक कई फ़िल्में दिलाईं.
लेकिन 90 के दौर में ऐसा कुछ हुआ कि सब कुछ बदल गया. मंदाकिनी की कशिश से डॉन दाऊद इब्राहिम भी खुद को नहीं पाया और फिर शुरू हुई उनकी लव स्टोरी. दोनों के प्यार के चर्चे ज़ोर पकड़ने लगे. मंदाकिनी अक्सर डॉन से मिलने दुबई जाती और उसके ही विला में उनके रुकने का इंतज़ाम होता. दोनों को अक्सर क्रिकेट स्टेडियम में साथ-साथ मैच देखते देखा जाने लगा. ये भी खबरें आतीं कि मंदाकिनी को फ़िल्में दिलवाने के लिए दाऊद अक्सर प्रोड्यूसर को धमकाता था.
दोनों की तस्वीरें अख़बारों और पत्रिकाओं में अक्सर छपने लगी थीं और इनके अफ़ेयर से दाऊद की पत्नी भी अनजान नहीं थी और दोनों के बीच झगड़े होने लगे थे, यहां तक कि बात तलाक़ तक पहुंच गई थी. हालाँकि मंदाकिनी ने कभी भी दाऊद संग अपने रिश्तों को नहीं क़बूला और सिर्फ़ यही कहा कि वो दोनों दोस्त हैं.
लेकिन फिर आया साल 1993 जब मुंबई बम धमाकों से बुरी तरह दहल गई. इसका आरोपी दाऊद देश छोड़ भाग निकला और इसलिए कई लोगों से पूछताछ भी की गई जिसमें मंदाकिनी भी शामिल थी. मंदाकिनी ने सिर्फ़ दोस्ती की बात कही.
सुनने में तो ये भी आया था कि इस सीरीयल ब्लास्ट के बाद दाऊद का ख़ौफ़ और बढ़ गया था और लोग उसकी धमकियों के डर से ही लोग मंदाकिनी को न चाहते हुए भी फ़िल्म देने को मजबूर थे. लेकिन आख़िर ये ख़ौफ़ कब तक बना रहता और जिस दाऊद के कारण मंदाकिनी को फ़िल्में मिल रही थीं वही उसके करियर की बर्बादी का कारण भी बन गया था, क्योंकि अब लोग मंदाकिनी से दूरी बनाने लगे थे और उनको फ़िल्में भी कम ही मिलने लगी थीं. खुद मंदाकिनी ने भी अपने आप को समेट लिया था और खुद फ़िल्म इंडस्ट्री से से अचानक ग़ायब हो गईं.
कहा जाता है कि दाऊद और मंदाकिनी की एक संतान भी हुई थी लेकिन मंदाकिनी ने कभी इसकी पुष्टि नहीं की. मंदाकिनी ने ग्लैमर वर्ल्ड छोड़कर बौद्ध आश्रम में पनाह ले ली थी और अपने होनेवाले हमसफ़र से भी उनकी यहां मुलाक़ात हुई. डॉ. काग्युर टी रिनपोचे ठाकुर जो मर्फी बच्चे के नाम से मशहूर थे आज मंदाकिनी के पति हैं. इनके दो बच्चे हुए बेटा रब्बील और बेटी राब्जे लेकिन रब्बील का साल 2000 में एक सड़क एक्सिडेंट में निधन हो गया था. फ़िलहाल मंदाकिनी अपने पति के साथ मुंबई में तिब्बतन हर्बल सेंटर चलाती हैं और खुद मंदाकिनी तिब्बत योगा भी सिखाती हैं. माना जाता है कि दाऊद के साथ नाम जुड़ने के स्ट्रेस के चलते उन्होंने बॉलीवुड छोड़ धर्म का मार्ग अपना लिया था. हालाँकि बॉलीवुड छोड़ने के बाद उन्होंने म्यूज़िक अल्बम में भी क़िस्मत आज़माई लेकिन वो भी चले नहीं.
दाऊद मंदाकिनी के लिए एक ऐसा नाम बन चुका था जिसने उनकी इज़्ज़त-शौहरत छीनकर उनको गुमनामी के अंधेरे में खोने को मजबूर कर दिया.