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कहानी – आहिस्ता आहिस्ता (Short Story- Aahista Aahista)

"क्यों बात का बतंगड़ बना रहे हो. राज मेरे मन में तुम्हारे लिए वैसी कोई फीलिंग्स नहीं है जैसी कि तुम्हें अपेक्षा है. मैं यहां स्कूल में अपना भविष्य बनाने आई हूं. प्यार, रोमांस के लिए तो सारी ज़िंदगी पड़ी है और तुम भी अपने इस फ़ितूर से बाहर आओ और थोड़ा अपने करियर पर ध्यान दो..."

"राज, सॉरी, मैं तुम्हारी वो स्पेशल वाली फ्रेंड नहीं बन सकती, मुझे  ज़िंदगी में बहुत कुछ हासिल करना है. अभी फ़िलहाल मेरी ज़िंदगी में अफेयर, रोमांस के लिए कोई गुंजाइश नहीं है. अभी बारहवीं के बाद मुझे फैशन डिजाइनिंग के टॉप मोस्ट संस्थान से डिग्री लेनी है, फिर एमबीए करना है, इसलिए बेहतर होगा कि हम अपनी बढ़ती हुई दोस्ती पर आज अभी से फुल स्टॉप लगा दें. मेरी ज़िंदगी में तुम्हारे जैसे बिंदास, बेमक़सद इंसान के लिए कोई जगह नहीं." यह कहकर अंजुरी वहां से उठ कर चली गई.
उसके यह शब्द सुनकर राज मानो जीते जी मर गया. अंजुरी के यूं उससे मुंह मोड़ कर जाने के साथ उसे लगा था मानो ज़िंदगी उससे रूठ गई थी, ज़िंदगी ने उससे विदा ले ली थी. उसे महसूस हो रहा था मानो एक बियाबान शून्य उसके अंतर्मन में पसर गया था और वह हताश, परेशान वहां से चल दिया.
अंजुरी की एक ना ने उसके संपूर्ण अस्तित्व को बेमानी बना दिया और कब उसका मन उपवन उसके साथ बिताए गए दिनों की मधुर स्मृतियों से हरा-भरा हो चला, उसे स्वयं को पता ना चला.
शर्मीली सी अपने आप में सिमटी सकुचाई अंजुरी उसे पहले ही दिन से अच्छी लगने लगी थी. क्लास में टीचर पढ़ा रही होती, लेकिन उसका मन पखेरू पहली बेंच पर बैठी उस सांवली सलोनी के इर्दगिर्द चक्कर काटता. रह रहकर उसकी दृष्टि उसके भोले मासूम परियों जैसी सुंदर चेहरे पर बरबस पड़ ही जाती और उसके हृदय के तार झंकृत हो उठते. उसका मन करता कि वह मोहक चेहरा हर लम्हा उसकी आंखों के सामने रहे. उसने एकाध बार उसका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने का प्रयास भी किया था, लेकिन वह सिवाय 'हाय हेलो' के आगे नहीं बढ़ पाया था. एकाध बार वह उसके पास भी जाकर बैठा था, लेकिन उसने उसकी ओर तनिक भी ध्यान नहीं दिया. वह मौन, निःशब्द न जाने किन ख़्यालों में गुम दिखती, और लाख कोशिशों के बावजूद वह उसकी ओर सहज मैत्री का हाथ बढ़ा पाने में असफल रहा था कि तभी एक दिन उसके मन की मुराद पूरी हो गई.

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स्कूल में एक ड्रामा होने वाला था जिसके लिए उसने और अंजुरी दोनों ने अपने नाम दिए थे. दोनों का ही चयन उस ड्रामा में मुख्य भूमिकाओं के लिए हो गया. वह बेहद ख़ुश था. अंजुरी एक बेहद सीधी-साधी, दीन दुनिया से बेख़बर अपनी ही दुनिया में खोई रहने वाली शांत स्वभाव की बेहद पढ़ाकू क़िस्म की लड़की थी. हर परीक्षा में अव्वल आती. वह बेहद महत्वाकांक्षी थी. उसकी आकांक्षा थी बारहवीं के बाद दिल्ली के टॉप मोस्ट फैशन डिजाइनिंग संस्थान से फैशन डिजाइनिंग की डिग्री लेना, और उसके बाद एमबीए करना.
इसके विपरीत राज एक बेहद बेपरवाह, अलमस्त स्वभाव का लड़का था, जिसके लिए पढ़ाई की कोई ख़ास अहमियत नहीं थी. उसके पिता का अपना कारोबार था और राज ने अभी तक अपनी ज़िंदगी के बारे में कभी गंभीरता से कुछ सोचा नहीं था कि उसे अपनी ज़िंदगी में क्या करना है. उसके ज़ेहन में एक अस्पष्ट सी सोच थी कि उसे बारहवीं के बाद बी. कॉम करने के बाद पिता का व्यवसाय संभालना है.
ड्रामा में साथ-साथ मुख्य भूमिकाओं में अभिनय करने के दौरान दोनों में दोस्ती हुई और वक़्त के साथ दोनों की दोस्ती परवान चढ़ी. दोनों अक्सर आपस में हंसते-बतियाते नज़र आते.
अंजुरी के साथ अपनी बढ़ती हुई मित्रता से प्रोत्साहित होकर राज ने अभी-अभी अंजुरी से अपनी स्पेशल गर्लफ्रेंड बनने का प्रस्ताव दिया था, "अंजुरी,  मैं तुम्हें बहुत पसन्द करता हूं और मुझे लगता है कि तुम भी मुझे नापसंद नहीं करती हो. तो बोलो क्या तुम मेरी स्पेशल वाली गर्लफ्रेंड बनोगी?”
अंजुरी ने फट से उसके इस प्रस्ताव को नकार दिया और उसकी ज़िंदगी से पूरी तरह से निकल गई. पहले की तरह अब उसने उसके साथ सहज भाव से हंसना-बोलना छोड़ दिया. हरदम उससे कटी-कटी रहती.
वह उससे बात करने का प्रयास करता, तो उसे बोलता हुआ छोड़कर वहां से उठ कर चली जाती. यूं इस तरह अंजुरी की सतत उपेक्षा की वजह से राज अब उदास रहने लगा. दिन-रात सोते-जागते उसे अपनी आंखों के सामने अंजुरी दिखती. कानों में उसकी मीठी आवाज़ गूंजती. क्लास में बैठता, तो उसके चेहरे से उसकी नज़र नहीं हटती. वक़्त के साथ अंजुरी के लिए उसका प्यार दीवानगी की हद तक जा पहुंचा था.
एक दिन एक क्लास के दौरान उसकी निगाहें पूरे वक़्त अंजुरी के चेहरे पर चस्पा रही थी, जिसकी वजह से अंजुरी भी असहज महसूस करने लगी और क्लास से टीचर के जाते ही वह राज की इस हिमाकत पर अत्यंत आवेश में उसके पास आई थी और उसे फटकारा, “तुम अपने आप को समझते क्या हो. यूं हर वक़्त मुझे क्यों घूरते रहते हो? अपने आपको देवदास समझने लगे हो क्या? आज के बाद तुमने मुझे यूं घूर-घूर कर तंग किया, तो सच कह रही हूं राज, मैं तुम्हारी दोस्ती का भी कतई लिहाज़ नहीं करूंगी और सीधे प्रिंसिपल से तुम्हारी शिकायत कर दूंगी. फिर मत कहना कि मैंने तुम्हें आगह नहीं किया.”
फिर अचानक अप्रत्याशित रूप से अंजुरी ने उसके कंधों को पकड़ते हुए कहा था, "क्यों बात का बतंगड़ बना रहे हो. राज मेरे मन में तुम्हारे लिए वैसी कोई फीलिंग्स नहीं है जैसी कि तुम्हें अपेक्षा है. मैं यहां स्कूल में अपना भविष्य बनाने आई हूं. प्यार, रोमांस के लिए तो सारी ज़िंदगी पड़ी है और तुम भी अपने इस फ़ितूर से बाहर आओ और थोड़ा अपने करियर पर ध्यान दो. अपना बढ़िया करियर बनाओ. मुझे ऐसे लोगों से सख्त नफ़रत है, जो ज़िंदगी में कुछ नहीं कर पाते. कोई मुक़ाम हासिल नहीं कर पाते. यह वक़्त एक बार गुज़र गया, तो वापस नहीं आएगा और तब तक बहुत देर हो चुकी होगी. अरे तुम भी इंटेलिजेंट हो,  पढ़ाई में कंसंट्रेट करो. कोई शानदार करियर बनाओ. रोनी सूरत बनाकर घूमने से कुछ हासिल नहीं होने वाला है.”
अंजुरी के इन शब्दों ने राज की मानो काया पलट कर दी. उस दिन सारे दिन राज अंजुरी की कही हुई बात के बारे में ही सोचता रहा और उसे उनमें छिपी हुई सच्चाई नज़र आई थी. उस दिन अंजुरी की कही हुई बातों ने मानो उसके जीवन की दिशा ही बदल डाली. अपने करियर को लेकर गंभीर चिंतन-मनन किया था. उसने और बहुत संजीदगी से सोचने पर वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि वह सीए बनेगा. वह सीए का फाउंडेशन कोर्स ज्वाॅइन करेगा और सीए बनकर अंजुरी के सामने अपने आपको साबित करके रहेगा. उस दिन के बाद तो राज ने अपने आपको पढ़ाई में पूरी तरह से झोंक दिया.
अंजुरी के प्रति उसके समर्पित प्यार ने उसे पूरी तरह से बदल दिया. पढ़ाई, करियर को बहुत हल्केपन से लेने वाले राज ने सीए बनकर एक सफल करियर बनाना अपनी ज़िंदगी का लक्ष्य बना लिया. उसने जबरन अपने मन को समझा लिया कि पहले करियर बन जाए तो फिर अंजुरी स्वयं उसकी ओर खिंची चली आएगी, लेकिन यदि उसके कहे अनुरूप वह कोई अच्छा करियर नहीं बना पाया, तो उसे उसकी मोहब्बत कभी नसीब नहीं होगी.
"मुझे ऐसे लोगों से सख्त नफ़रत है, जो ज़िंदगी में कुछ नहीं कर पाते." यह वाक्य रह-रहकर उसके कानों में गूंजता. अंजुरी के इन शब्दों ने उसकी बेमक़सद ज़िंदगी को नए मायने दिए थे. वह समझ गया था कि अगर अंजुरी को अपनी ज़िंदगी के सफ़र में हमराज बनाना है, तो उसे उसकी इच्छानुसार अपनी ज़िंदगी को मोड़ना होगा, अपनी दिशा बदलनी होगी.
बस अगले ही दिन से राज पुराना राज न रहा था. उसने पढ़ाई में अपना मन लगाना शुरू कर दिया. जब भी पढ़ाई से मन उचटता, अंजुरी का सलोना मुखड़ा उसकी नज़रों के सामने आ जाता और वह दुगुने जोश से पढ़ाई में जुट जाता. अंजुरी की दोस्ती उसके जीवन का मक़सद बन गई थी. अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के दम पर अब उसका मन पढ़ाई में रमने लगा और उसने सीए फाउंडेशन उत्तीर्ण कर लिया. इस तरह उसने अपनी मंज़िल की ओर पहला कदम बढ़ाया था और सीए प्रथम वर्ष की तैयारी में जुट गया.
अंजुरी ने दिल्ली में ही देश के टॉप फैशन डिज़ाइनिंग संस्थान की प्रतियोगी प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर ली और उसे वहां एडमिशन मिल गया. अंजुरी को पुराने दोस्तों द्वारा राज की ख़बर मिलती रहती थी.
धीरे धीरे राज पढ़ाई में रमता जा रहा था. सीए का प्रथम वर्ष उत्तीर्ण कर उसने तीन वर्षों की आर्टिकलशिप भी बहुत उम्दा प्रदर्शन के साथ पूरी कर ली. अब राज और सीए बनने में मात्र एक परीक्षा भर का फासला था. अब उसे मात्र फाइनल परीक्षा उत्तीर्ण करनी थी और उस दिन उसकी उस परीक्षा का अंतिम पेपर था. उसे आशा थी कि वह इस परीक्षा को भी उत्तीर्ण कर लेगा.

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बहुत सोच-विचारकर वह अंजुरी के कॉलेज गया था और उससे कहा, "तुम्हारे कहे मुताबिक़ मैंने सारी की सारी परीक्षाएं उत्तीर्ण कर ली हैं." अब बस अंतिम परीक्षा का आख़िरी पेपर आज ही हुआ है और मुझे पूरा विश्वास है मैं इसे भी पास कर लूंगा. देखो, तुम्हारी बात मानकर मैंने तुम्हारी इच्छा के मुताबिक़ अपनी ज़िंदगी को ढाला है. अब तो मैं सीए भी बन जाऊंगा. अब तो मुझसे दोस्ती कर लो." 
"अरे राज, यह सुनकर मुझे इतनी इतनी ख़ुशी हुई है कि तुम अब सीए की परीक्षा पास करने जा रहे हो, लेकिन मेरे दोस्त दिल्ली अभी बहुत दूर है. आज सीए करने भर से कोई करियर नहीं बनता. अब तुम्हें एक सलाह और देती हूं. अब तुम लगे हाथों एमबीए भी कर लो. हां एमबीए किसी ऐसे वैसे कॉलेज से नहीं, टॉप के कॉलेज से करना. और हां सीए पास कर मुझे मिठाई खिलाना मत भूलना." और वह हवा के झोंके की मांनिन्द  उसे एक और अग्नि परीक्षा की कसौटी देकर वहां से नौ दो ग्यारह हो गई.
राज सोच रहा था यह लड़की न जाने कितने इम्तिहान मुझसे दिलवाएगी. राज ने सीए की अंतिम परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली. सीए फाइनल का परिणाम घोषित होते ही वह एक मिठाई का डिब्बा लेकर अंजुरी के कॉलेज पहुंच गया.
इस बार अंजुरी ने उसे यह परीक्षा उत्तीर्ण करने पर हाथ मिलाकर बड़ी ही गर्मजोशी से बधाई दी और कहा, "तो आख़िर तुमने मेरा कहा कर ही दिखाया. तुम लड़के इतने भी बुरे नहीं हो. अब तो मुझे तुम्हारे साथ स्पेशल वाली फ्रेंडशिप के बारे में सोचना ही पड़ेगा." और यह कहकर वह खिल खिलाकर हंस दी थी और राज उसकी सर्द भोर की गुनगुनी धूप सी हंसी से आलोकित उसका कमनीय चेहरा सम्मोहित सा होकर देखता रह गया. उसके शब्दों से राज का इतने दिनों से मुरझाया हुआ मन अपूर्व ख़ुशी के एहसास से लहलहा उठा और उसने उससे कहा, "थैंक यू सो मच माय लेडी फॉर एक्सेप्टिंग माय स्पेशल फ्रेंडशिप आई एम ऑनर्ड."
दो दिल बेक़रार हो प्यार की सुरीली तान पर एक साथ धडक उठे. दोनों अब अक्सर साथ साथ देखे जाते. अंजुरी के सतत प्रोत्साहन से राज ने कैट परीक्षा उत्तीर्ण कर ली. अंजुरी ने भी उसी वर्ष कैट की परीक्षा बहुत अच्छी अंकों से उत्तीर्ण कर ली. आपस में सलाह-मशविरा करके दोनों ने एक ही प्रतिष्ठित बिज़नेस कॉलेज में प्रवेश ले लिया था और आहिस्ता आहिस्ता दोनों की प्रेम कहानी ने रफ़्तार पकड़ ली.

रेणु गुप्ता




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