"तुम्हें भी कहां ज़रूरत थी ख़ुद ड्राइव करके आने की? वैक्सीनेशन के बाद एक-दो दिन तबीयत नासाज रहती ही है. घर पर ही आराम करना था." माधुरीजी के स्वर में ना चाहते हुए भी नाराज़गी और चिंता का पुट आ गया था. "व.. वो तो मुझे यहां ऑफिशियली एक साइट पर वैसे भी आना था, तो आज ही आ गया. म... मैं पासवाले कमरे में हूं." अवि खिसक लिया, तो माधुरीजी को उस पर ढेर प्यार उमड़ आया. विनी की तरह झूठ बोलते इसकी भी जुबान हकलाती है.
... "ज़रूरी मीटिंग में है तू! कोई बात नहीं. बोलना मत, बस सुनती रह. बहुत बड़ी ख़ुशख़बरी है! मैं आईएमए की प्रेसिडेंट बन गई हूं. तेरे पापा आज होते तो कितना ख़ुश होते... ख़ैर, कल सिलवासा में एक भव्य समारोह में मुझे चार्ज लेना है. कोविड प्रोटोकोल के तहत कुछ गणमान्य लोगों को ही प्रवेश दिया गया है. मैं कार टैक्सी से पहुंच रही हूं. तू भी पहुंच जाना. शेष मिलने पर... बहुत तैयारियां करनी है और वक़्त बिल्कुल कम है..." फोन बंद कर माधुरीजी ने कुछ घनिष्ठ डॉक्टर मित्रों और रिश्तेदारों को सूचित किया और फिर जाने की तैयारियों में जुट गईं. गंतव्य पर पहुंचकर वे होटल के अपने रूम में सुस्ता ही रही थी कि किसी ने दरवाज़ा खटखटाया. सामने अवि को देख वे चौंक उठीं. "बेटे आप? विनी कहां है?" खोजती निगाहों पर उस समय विराम लग गया, जब अवि ने प्रत्युत्तर में अपना मोबाइल पकड़ा दिया. दूसरी ओर विनी थी. माधुरीजी कुछ सवाल-जवाब करें. तब तक अवि जान-बूझकर वॉशरूम में घुस गया था. "सॉरी ममा! कल एक ज़रूरी प्रोजेक्ट मीटिंग की वजह से फोन नहीं उठा पा रही थी. कोविड वैक्सीनेशन की वजह से तबीयत वैसे भी नरम थी. मेरे इशारे पर अवि ने फोन उठाया था. अवि ने बताया आप बहुत ख़ुश और बहुत भावुक थी. बार-बार पापा को मिस कर रही थी. मुझे यह सब बताते अवि ख़ुद भी अभिभूत हो गए थे... मुझे प्रोजेक्ट हेड बनाए जाने की बात चल रही है मम्मा! इसी संदर्भ में आज फिर ज़रूरी मीटिंग है. फीवर तो कम है, पर बदन बहुत दर्द हो रहा है. टेबलेट लेकर किसी तरह लैपटॉप के सामने बैठ गई हूं... अवि के हाथ में भी वैक्सीनेशन की वजह से थोड़ा दर्द है... अच्छा ऑल द बेस्ट ममा!" यह भी पढ़ें: लॉकडाउन- संयुक्त परिवार में रहने के फ़ायदे… (Lockdown- Advantages Of Living In A Joint Family) "सेम टू यू बच्चे.. अपना ख़्याल रखना." अब तक अवि बाहर आ चुका था. "तुम्हें भी कहां ज़रूरत थी ख़ुद ड्राइव करके आने की? वैक्सीनेशन के बाद एक-दो दिन तबीयत नासाज रहती ही है. घर पर ही आराम करना था." माधुरीजी के स्वर में ना चाहते हुए भी नाराज़गी और चिंता का पुट आ गया था. "व.. वो तो मुझे यहां ऑफिशियली एक साइट पर वैसे भी आना था, तो आज ही आ गया. म... मैं पासवाले कमरे में हूं." अवि खिसक लिया, तो माधुरीजी को उस पर ढेर प्यार उमड़ आया. विनी की तरह झूठ बोलते इसकी भी जुबान हकलाती है. डिनर टाइम तक भी अवि बाहर नहीं आया, तो माधुरीजी को चिंता हुई. उढ़का हुआ दरवाज़ा धकेल वे अंदर पहुंची, तो अवि को बिस्तर पर बेसुध पड़ा देख कर चौंक उठीं. "अरे, तुम्हें तो बहुत तेज बुखार है. शरीर भी दर्द कर रहा होगा. सिरदर्द भी होगा." अवि हां.. ना.. करता ही रह गया. माधुरीजी ने वहीं कमरे में ही डिनर मंगवा लिया. अवि को जबरन अपने हाथों से थोड़ा-बहुत खिलाकर उन्होंने उसे दवा दी. फिर अपनी गोद में उसका सिर रखकर प्यार से सहलाने लगीं...अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें...

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