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कहानी- इक बूंद… 1 (Story Series- Ek Boond… 1)

मेघा के आचरण को वो कई दिनों से देख रहे हैं. पढ़ाते समय छात्रों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर पाना एक टीचर के लिए अच्छा है, लेकिन ख़ुद पर टिकी मेघा की निर्बाध दृष्टि जाने क्यों परेशान करती है. कभी वो अनमनी-सी दिखती, तो कभी बेवजह ख़ुश. ना चाहकर भी वो मेघा की आंखों में अपने प्रति बढ़ते आकर्षण को सहज भांप लेते. इस उम्र में विपरीत लिंग के प्रति महज़ आकर्षण नया नहीं है, लेकिन अपने टीचर के प्रति ऐसे आकर्षण का होना संवेदनशील मुद्दा था. आह्लादित समीर आंखें मूंदे सुबह की घटना को कितनी बार दोहरा चुके थे. आज सुबह-सुबह मेघा उनसे मिलने आई थी. आत्मविश्‍वास से दमकती डॉक्टर मेघा, उसकी आवाज़ अभी भी ज़ेहन में गूंज रही थी, “सर, मेरी जॉब पूना मेडिकल इंस्टिट्यूट में लगी है. जॉइनिंग से पहले आपको बताना चाहती थी कि मैं अब सागर कहलाने योग्य हो गई हूं. सर, आपने ठीक कहा था, बीते कल के बचपने को याद करके अब हंसी आती है. सर, मैंने उसी दिन सोच लिया था कि कुछ बनकर ही आपको अपना चेहरा दिखाऊंगी. मेरे नाम के आगे लगा डॉक्टर शब्द आपका टीचर्स-डे गिफ्ट है. सर, आप मेरे मेंटर हैं. थैंक्यू सर...” सुकीर्ति और जूही की आंखों में समीर की इस उपलब्धि के लिए प्रशंसा थी, तो समीर अपनी छात्रा की उपलब्धि में ख़ुद को मिले श्रेय से आनंदित थे और ये श्रेय दिया किसने? ख़ुद मेघा ने. वो मेघा जो कभी एक भ्रांति की शिकार हो गई थी, पर समय रहते उसने ना केवल ख़ुद को संभाला, बल्कि ख़ुद को ऐसे मुक़ाम पर खड़ा किया, जहां से वो अपने उज्ज्वल भविष्य और सुखद-संतोषजनक वर्तमान को निहारकर प्रसन्न थी. आज सालों बाद हुई मेघा से मुलाक़ात अतीत की यादों को उलट-पुलटकर देखने को मजबूर कर रही थी. समीर आंखें मूंदे बीते दिनों के उन चंद क्षणों को याद करने लगे, जिनमें मेघा थी. “सर, मे आई कम इन...” “येस कम इन.” “सर, आप बिज़ी तो नहीं हैं? मुझे... जॉन कीट्स की कविता के कुछ डाउट्स क्लियर करने थे.” “अभी बिज़ी हूं... कल क्लास में एक बार और पढ़ा दूंगा, सबका रिवीज़न हो जाएगा...” वो अभी भी अपनी उंगलियों को एक-दूसरे से मसल रही थी. यह भी पढ़ेप्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने के 10 क़दम (Top 10 Steps To Succeed In Competitive Examinations) “थैंक्यू सर...” बोलती हुई मेघा चली गई. ध्यान काम से हट गया था. तभी नवीन सर की आवाज़ आई, “क्या बात है समीर सर, आजकल जॉन कीट्स के डाउट्स लेकर स्टूडेंट्स बहुत आते हैं. भई क्लास में ठीक से नहीं पढ़ाया था क्या...?” “नवीन सर, कुछ तो सोच-समझकर बोला कीजिए. अगले हफ़्ते से प्री-बोर्ड हैं. ऐसे में बच्चे हम टीचर्स को नहीं याद करेंगे, तो किसे करेंगे. यूं फालतू के मज़ाक मुझे पसंद नहीं.” “अरे, आप तो बुरा मान गए. हम तो मज़ाक कर रहे थे. भई लैंग्वेज का यही तो फ़ायदा है. जीवन में रस भर देता है. हमारे साइंस और मैथ्स जैसे सूखे विषय, वैसे ही रूखे-सूखे हम टीचर्स भी हो जाते हैं.” “वैसे नवीन सर ग़लत नहीं बोल रहे हैं. इन 12वीं के स्टूडेंट्स को क्लास में बिठाना मुश्किल होता है. ख़ासकर तब, जब क्लास लैंग्वेज की हो, लेकिन आपकी क्लास में बिल्कुल सन्नाटा होता है. सुई गिरे, तो वो भी सुनाई दे.” मीनल मैम चुप हुई थी कि पचास पार कर चुकी श्यामुता मैम हंसती हुई बोली, “भई ऐसे हैंडसम सर होंगे, तो बच्चे ध्यान तो देंगे ही. आधा ध्यान समीर सर पर भी दे दिया, तो क्लास में शांति हो जाएगी.” समीर ने वहां से खिसकने में ही भलाई समझी. लाइब्रेरी में आकर सुकून मिला. कैसे कोई काम के बीच इन फालतू के मज़ाक के लिए समय निकाल लेता है. दो मिनट आंखें मूंदे वो वस्तुस्थिति का अवलोकन करते रहे. सबके हंसी-मज़ाक के अंतर्निहित संदेह का कोई बीज तो नहीं छिपा है. मेघा के आचरण को वो कई दिनों से देख रहे हैं. पढ़ाते समय छात्रों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर पाना एक टीचर के लिए अच्छा है, लेकिन ख़ुद पर टिकी मेघा की निर्बाध दृष्टि जाने क्यों परेशान करती है. कभी वो अनमनी-सी दिखती, तो कभी बेवजह ख़ुश. ना चाहकर भी वो मेघा की आंखों में अपने प्रति बढ़ते आकर्षण को सहज भांप लेते. इस उम्र में विपरीत लिंग के प्रति महज़ आकर्षण नया नहीं है, लेकिन अपने टीचर के प्रति ऐसे आकर्षण का होना संवेदनशील मुद्दा था. दूसरे दिन उन्होंने क्लास में कीट्स की कविता का रिवीज़न करा दिया. उन दिनों स्कूल की छुट्टियां थीं. वो सुकून से अख़बार पढ़ रहे थे. कॉलबेल बजी, तो मेघा को देखा, “सर, सॉरी टु डिस्टर्ब यू. दरअसल, इंग्लिश में कुछ डाउट्स थे, तो मुझे आना पड़ा. इस बार इंग्लिश में सबसे ज़्यादा नंबर लाना चाहती हूं.” “गुड, लेकिन बाकी सब्जेक्ट्स में कैसी तैयारी है तुम्हारी?” यह भी पढ़ेपैरेंटिंग गाइड- बच्चों को स्ट्रेस-फ्री रखने के स्मार्ट टिप्स (Parenting Guide- Smart Tips To Make Your Kids Stress-Free) “ठीक है सर, पर इंग्लिश... सर, जबसे आपने पढ़ाना शुरू किया है, तब से ये मेरा फेवरेट सबजेक्ट बन गया है. आप कीट्स की रोमांटिक कविताएं कितनी अच्छी तरह से समझाते हैं, पूरी क्लास सम्मोहित रहती है और मैं... मुझे तो ऐसा लगता है कि बस आपको सुनती रहूं.” उसका चेहरा लाल हो गया था. Meenu tripathi       मीनू त्रिपाठी

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