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कहानी- प्रणय परिधि 3 (Story Series-Pranay Paridhi 3)

‘‘अरे, आप काॅफी पी रही हैं. गर्म दिमाग़वालों के लिए आइसक्रीम की व्यवस्था है.’’ उफ्फ़! क्या समझता है यह इंसान स्वयं को. जाने से पहले इसकी अक्ल ठिकाने लगानी ही पड़ेगी.

मैंने काॅफी का मग वहीं पटक दिया. ‘‘आप तो बुरा मान गईं, मैं मज़ाक कर रहा था.’’ कुछ भी बोले बिना मैं वहां से हट गई.

      ... मुझे ख़ामोश देख राहुल हंस पड़ा था, ‘‘मैडम, डरिए नहीं. मैं राहुल ही हूं. आपको भगा ले जाने का मेरा कोई इरादा नहीं. यूं भी भगाने के लिए लड़की का ख़ूबसूरत होना निहायत ज़रुरी है और जहां तक मेरा ख़्याल है, आप स्वयं को ख़ूबसूरत नहीं समझती होंगी.’’ अपमान से मेरा मुंह लाल हो गया था. कार घर के आगे रुकी. दीदी-जीजू बाहर ही खड़े थे. स्नेह से मुझे गले लगाते हुए दीदी राहुल से बोलीं, ‘‘मेरी बहन से मिल लिया न राहुल. मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर है.’’ "इनके बारे में तो कुछ न पूछो भाभी.’’ कहकर राहुल वहां से हट गया. मुझे क्रोधित देख दीदी हंस पड़ीं, ‘‘इसकी बातों पर ध्यान मत देना अनु. सब को छेड़ने में इसे मज़ा आता है. हमारे घर की रौनक है यह.’’ दीदी की आंखों में उसके लिए स्नेह देख मैं और भी चिढ गई थी. अगली सुबह हवन था. तैयार होकर मैं कमरे से निकली. जैसे ही राहुल की नज़र मुझ पर पड़ी, वह मंत्रमुग्ध-सा मुझे निहारता रह गया. किंतु उसे नज़रअंदाज़ कर मैं हवन में जा बैठी. हवन की समाप्ति पर लाॅन में बैठी मैं काॅफी पी रही थी, तभी वह समीप आकर बोला, ‘‘अरे, आप काॅफी पी रही हैं. गर्म दिमाग़वालों के लिए आइसक्रीम की व्यवस्था है.’’ उफ्फ़! क्या समझता है यह इंसान स्वयं को. जाने से पहले इसकी अक्ल ठिकाने लगानी ही पड़ेगी. मैंने काॅफी का मग वहीं पटक दिया. ‘‘आप तो बुरा मान गईं, मैं मज़ाक कर रहा था.’’ कुछ भी बोले बिना मैं वहां से हट गई. शाम की पार्टी के लिए मुझे कुछ आवश्यक शाॅपिंग करनी थी. दीदी बोलीं, ‘‘राहुल, तुम अनु को अपने साथ मार्केट ले जाओगे?" ‘‘अभी लीजिए भाभी.’’ वह कार की चाभी लेने अंदर गया. मैं असमंजस में पड़ गई. उसके साथ जाने का मेरा कतई मूड नहीं था. तभी मुझे जीजू के फ्रेंड विकास भाई दिखाई दिए. वह दीदी की शादी में भी आए थे. मैं उनके साथ मार्केट चली गई. दो घंटे बाद वापस लौटी, तो राहुल को लाॅन में तनावग्रस्त टहलते पाया. मुझे देख चिढे़ स्वर में बोला, ‘‘आपको गैरों के साथ जाने में तनिक भी संकोच नहीं.’’ ‘‘दीदी और जीजू के अतिरिक्त मेरे लिए यहां सभी गैर हैं. किसी के साथ तो जाना ही था.’’ ‘‘ऐसा मत कहो अनु. आई एम साॅरी. मैं तुम्हारे साथ कुछ ज़्यादा ही मज़ाक कर बैठा. प्लीज़ नाराज़ मत हो.’’   यह भी पढ़ें: कैसे निपटें इन 5 मॉडर्न रिलेशनशिप चैलेंजेस से? (How To Manage These 5 Modern Relationship Challenges?) ‘‘नाराज अपनों से हुआ जाता है, परायों से नहीं.’’ मैं अंदर जाने लगी, तो राहुल ने आगे बढ़कर मेरा हाथ थाम लिया, ‘‘प्लीज़ अनु, मुझे इतना पराया भी मत समझो. क्या भाभी ने तुम्हें कुछ नहीं बताया?" ‘‘बताने लायक है भी क्या?" उसका हाथ झटक मैं अंदर चली आई. कमरे में दीदी ने मुझे आड़े हाथों लिया, ‘‘अनु, मुझे तुझसे ऐसी नासमझी की उम्मीद नहीं थी. तू विकास के साथ क्यों गई? कितना बुरा लग रहा था राहुल को..." अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें... Renu Mandal रेनू मंडल     अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES

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