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कहानी- रूम नंबर ट्रिपल नाइन…4 (Story Series- Room Number Triple Nine…4)

  गेस्ट हाउस पहुंचने में उसे कुछ देर हुई. वह ख़ामोशी से अंदर पहुंची, ताकि समीर को सरप्राइज़ दे सके, किंतु अंदर से आती आवाज़ें सुनकर स्वयं हतप्रभ रह गई. उसने कमरे में झांका. विवेक ने आगे बढ़कर समीर की बुरी तरह पिटाई कर दी. फिर कड़क स्वर में बोला, ‘‘रिया मर चुकी है. तुमने ही उसे मारा है.’’ समीर ने अपने होंठ से खून पोंछा और आश्चर्य से बोला, ‘‘फिर यह कौन है?" ‘‘यह रिया की हमशक्ल जुड़वां बहन सारा है. मेरे कहने पर इसने और काव्या ने तुम्हें पकड़ने में पुलिस का सहयोग किया है. रिया की मौत के समय यह लंदन में थी. जब यह वापस आई और मैंने इसे देखा, तभी मेरे दिमाग़ में तुम्हें पकड़ने का यह आइडिया आया. मैंने रिया के मम्मी-पापा से और सारा से बात की. अपनी बेटी के क़ातिल को पकड़वाने के लिए वे कुछ भी करने को तैयार थे. मेरे कहने पर काव्या ने तुम्हारी कंपनी ज्वाॅइन की और तुमसे दोस्ती बढ़ाकर शादी की बात की और देख लो नतीज़ा तुम्हारे सामने है.’’ ‘‘तुम भूल रहे हो कि अपने घर से ज्वेलरी और रुपए चुराकर यह मेरे साथ घर से भागकर आई है.’’ समीर व्यंगात्मक स्वर में बोला. ‘‘बहुत ही बड़े बेवकूफ़ हो तुम. अब भी नहीं समझे कि यह सब हमारी प्लानिंग का हिस्सा था. काव्या के घरवाले भी इसमें शामिल हैं, पूरे रास्ते हमारी नज़र तुम पर थी कि कहीं तुम काव्या को नुक़सान पहुंचाने की कोशिश न करो. विवेक ने कहा. काव्या बोली, ‘‘विवेक, तुमने कहा था, एक बहुत बड़े राज़ से पर्दा हटाओगे, वह क्या है?" ‘‘वह भी पता चलेगा, थोड़ा तसल्ली रखो." विवेक मुस्कुराया. उसने देखा, रिया की मम्मी की आंखों से आंसू बह रहे थे. उसके संकेत पर सारा ने उन्हें पानी पिलाया और सहारा देकर चेयर पर बैठाया. आंसू पोंछते हुए रिया की मम्मी बोलीं, ‘‘उस शाम रिया ने हमें समीर और अपने बारे में बताया था. हमने कहा कि वह वीकेंड पर उसे घर पर बुला सकती है. वह इतनी प्रसन्न थी कि उसी समय कार लेकर इसके घर चल दी. हमें क्या पता था कि अब कभी वापस नहीं लौटेगी.’’ ‘‘रिया तो समीर के घर जा रही थी, फिर वह गेस्ट हाउस कैसे पहुंच गई?" काव्या ने पूछा. ‘‘दरअसल रास्ते में उसे आगे जाती समीर की कार दिखाई दी थी, जो गेस्ट हाउस जा रही थी. उसने अपनी कार उसके पीछे लगा दी. वह हर हाल में समीर को यह ख़ुशख़बरी सुनाने को बेचैन थी कि उसके पापा-मम्मी उससे मिलने को तैयार हैं. गेस्ट हाउस पहुंचने में उसे कुछ देर हुई. वह ख़ामोशी से अंदर पहुंची, ताकि समीर को सरप्राइज़ दे सके, किंतु अंदर से आती आवाज़ें सुनकर स्वयं हतप्रभ रह गई. उसने कमरे में झांका. समीर के सामने खड़ा व्यक्ति कह रहा था, ‘‘अकरम, तू यह कंपनी और शहर छोड़कर कहीं दूर चला जा. कहीं पुलिस को पता न चल जाए कि पिछले दिनों शहर में जो अपराधिक गतिविधियां हुईं, उनमें तेरा हाथ था.’’ ‘‘तू बेफ़िक्र रह नदीम. पुलिस मुझ तक कभी नहीं पहुंच सकती. मैं कभी कोई सुबूत नहीं छोड़ता हूं.’’ समीर की हकीक़त जानकर रिया को चक्कर आ गया था. लड़खड़ती हुई वह चुपचाप बाहर निकल रही थी कि पैर एक टेबल से टकरा गया. आवाज़ सुनकर वे दोनों तुरंत बाहर आए और रिया को वहां देख चौंक गए. रिया ने कहा, ‘‘मैंने सब सुन लिया है समीर उर्फ़ अकरम. तुम एक अपराधी हो. इससे पहले कि शहर छोड़कर भागो, मैं पुलिस को सब बता दूंगी.’’ ‘‘मैं बताने लायक छोडूंगा तब न,’’ कहकर उसने रिवाॅल्वर का ट्रिगर दबा दिया. गोली रिया के पेट में लगी. संयोग से मैं उस समय अपने सीनियर्स के साथ वहीं से गुज़र रहा था. गोली की आवाज सुनकर हम लोग घटनास्थल पर पहुंचे, किंतु तब तक अकरम और नदीम दोनों भाग निकले थे. रिया की सांस चल रही थी. हमने उसे तुरंत हास्पिटल पहुंचाया, किंतु डाॅक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद रिया को बचाया न जा सका. हां मरने से पहले उसने ये सारी जानकारी हमें दे दी थी.’’ यह भी पढ़ें: लॉकडाउन- संयुक्त परिवार में रहने के फ़ायदे… (Lockdown- Advantages Of Living In A Joint Family) इंस्पैक्टर विवेक समीर की ओर मुड़ा, ‘‘तुम्हें एक गुडन्यूज़ सुनानी थी. तुम्हारा वह साथी नदीम पकड़ा गया है और उसने तुम्हारे खिलाफ़ बयान भी दे दिया है. तुम्हारे जैसे लोग देश और इंसानियत के दुश्मन हैं. मैं कोशिश करुंगा, तुम्हें सख्त से सख्त सज़ा मिले.’’ पुलिस समीर को जीप में बैठाकर ले गई. रिया की मम्मी ने काव्या और विवेक को गले से लगाकर रुंधे स्वर में कहा, ‘‘तुम लोगों की वजह से रिया का क़ातिल पकड़ा गया. ईश्वर तुम लोगों को सदैव ख़ुश रखे.’’ विवेक ने सारा का शुक्रिया अदा किया और काव्या का हाथ पकड़कर होटल से बाहर निकल आया. Renu Mandal रेनू मंडल अधिक कहानी/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां पर क्लिक करें – SHORT STORIES

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