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कहानी- सॉरी मॉम 3 (Story Series- Sorry Mom 3)

 

“मैं किसी की साइड नहीं लेता यार, जो दिखता है, वही कहता हूं... वसुधा अच्छी पत्नी है... परिवार को कितने अच्छे से संभाल रही है... प्यार ना सही, कम से कम उसके साथ ऐसे रूड बिहेव तो मत कर...” “ओह, तो आजकल तेरे कंधे पर सिर रखकर रोना रोया जा रहा है...” वे और भी कुछ कहते हुए रूक गए, मगर उनकी आंखें बहुत कुछ कह गई थीं. अमित अंकल चले गए और फिर कभी मैंने उन्हें दोबारा नहीं देखा... और फिर कुछ दिनों बाद एक रात ने हमारी दुनिया बदल दी.

        ... “कल मैंने आपको बहुत मिस किया, वैसे... कल इतना लेट क्यूं हुआ मॉम?” मैंने हिचकते हुए मन में फंसी बात छेड़ी. “हां, बस वो लॉस्ट मिनट पर एक ज़रूरी मीटिंग आ गई थी, अवॉइड नहीं कर सकती थी...” कहते हुए वे फ्रिज खोलकर कुछ देखने लगी... या मुझसे नज़रें बचाने लगी... झूठ नज़रें नहीं मिला पाता, तो कोने ढूंढ़ने लगता है, वो भी ढूंढ़ रही थीं शायद. बहुत बुरा लगा था मुझे... दिल चाहा उनका हाथ थाम सीधे पूछ लूं, क्या छिपा रही हैं मुझसे और क्यों? याद है ना, आपके एक बार कहने पर डैड को छोड़ आपके साथ चली आई थी... बिना कोई सवाल पूछे... बिना ऐतराज़ किए, तो फिर आज मुझसे ये झूठ क्यों? क्या आपके मन का कोई ऐसा भी हिस्सा है जहां अमित अंकल तो आ सकते हैं, मगर मैं नहीं?   यह भी पढ़ें: मन का रिश्ता: दोस्ती से थोड़ा ज़्यादा-प्यार से थोड़ा कम (10 Practical Things You Need To Know About Emotional Affairs)     कभी-कभी मन किसी लम्हे में अटक जाता है... जैसे मेरा अटका था. चूल्हे पर चढ़ी चाय में चम्मच घुमाते हुए मॉम ना जाने कहां-कहां की बातें कर रही थीं… मेरी ज्वॉइनिंग के बारे में, पैकेज के बारे में, मगर मैं तो उनसे कुछ और ही सुनना चाह रही थी. वे चाय ले आईं और उसे पीते हुए अख़बार के पन्ने पलटने लगीं और मैं... मैं अतीत के... मॉम-डैड सोशल गैदरिंग में भले ही परफेक्ट कपल नज़र आते हो, मगर घर के अंदर दो अजनबी से थे. उनके बीच बस ज़रूरी भर बातचीत हुआ करती थी. प्यार की गरमाहट से परे बस एक समझौते जैसा रिश्ता था जिसे दोनों निभाए जा रहे थे. अमित अंकल दोनों को समझाते थे... डैड को कुछ ज़्यादा ही. देखा था मैंने एक बार, डैड उनसे कह रहे थे, “अब तू मेरा दोस्त नहीं रहा, जब देखो उसी की साइड लेता है... सारी कमियां तुझे मुझमें ही नज़र आती हैं...” “मैं किसी की साइड नहीं लेता यार, जो दिखता है, वही कहता हूं... वसुधा अच्छी पत्नी है... परिवार को कितने अच्छे से संभाल रही है... प्यार ना सही, कम से कम उसके साथ ऐसे रूड बिहेव तो मत कर...” “ओह, तो आजकल तेरे कंधे पर सिर रखकर रोना रोया जा रहा है...” वे और भी कुछ कहते हुए रूक गए, मगर उनकी आंखें बहुत कुछ कह गई थीं. अमित अंकल चले गए और फिर कभी मैंने उन्हें दोबारा नहीं देखा... और फिर कुछ दिनों बाद एक रात ने हमारी दुनिया बदल दी.   यह भी पढ़ें: पति-पत्नी और शक (How Suspicion Can Ruin Your Marriage?)     मेरे हाई स्कूल एग्ज़ाम पूरे हो गए थे. अगले दिन मैं और मॉम मौसी के घर जानेवाले थे... मॉम पैकिंग कर रही थी. उस रात डैड लड़खड़ाते हुए घर आए... उनकी आंखें लाल थी, वे मॉम को बड़ी अज़ीब तरह से घूरते हुए बोले, “कहां की तैयारी हो रही है... अपने दोस्त के घर जा रही हो… उस अमित के घर? उसके कंधे पर रोने... वैसे चल क्या रहा है तुम दोनों के बीच?” मॉम बुरी तरह हडबड़ा गई, उनका चेहरा सफ़ेद पड़ गया था.

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें

Deepti Mittal दीप्ति मित्तल       अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES         डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट.

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