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कहानी- सॉरी मॉम 6 (Story Series- Sorry Mom 6)

 

यह सुनकर भीतर कुछ चटक गया. मॉम डैड के साथ ख़ुश नहीं थीं, आई नो दैट...और अमित अंकल के साथ कितनी रिलैक्स रहती थीं, हंसती थीं, खुलकर बातें करती थीं... फिर क्यों मुझे उनका साथ होना अच्छा नहीं लगा? क्यों वे अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी नहीं जी सकती? पिछले कुछ दिनों से जिस कठघरे में मैंने मॉम को खड़ा कर रखा था, आज वहां ख़ुद को खड़ा देख रही थी.

          ... “वो मेरा कलीग है और मुझे पंसद है... जब कोई ऐसा मिल जाए, जो आपको सुन सके, समझ सके, जिसके साथ आपको प्रिटेंड ना करना पड़े, आप जैसे हो, वैसे रह सको... तो फिर लगता है, लाइफ में कुछ और नहीं चाहिए...” “गुड यार, आई एम सो हैप्पी फॉर यू...” मैंने उसे एक ज़ोर की झप्पी दी. बहुत अच्छा लगा उसे यूं ख़ुश देखकर... राहुल के साथ उसे इतना ख़ुश, ऐसे रिलैक्स नहीं देखा था... सच मनपसंद साथी मिल जाए, तो और क्या चाहिए लाइफ में... मॉम भी तो कितनी रिलैक्स, कितनी सहज थीं अमित अंकल के साथ... लेकिन डैड की प्रजेंस में... कितनी सहमी चुपचाप-सी रहतीं.. “कहां खो गई जिया?”तनिषा ने मुझे टोका. “एक बात बता यार, दोस्तों के साथ हम इतने कंफर्टेबल होते हैं, तो फिर खून के रिश्तों में इतनी कॉप्लीकेशन, इतनी उलझनें क्यों हो जाती हैं?” मैं अपनी उलझनों के सिरे खोज रही थी. “दोस्तों से कोई एक्सपेक्टेशन नहीं होती ना, ना हम उनको लेकर जजमेंटल होते हैं. अब देख ना, मैंने तुझे अपनी डेट के बारे में बताया तो तू ख़ुश हुई... जस्ट इमेजिन, अगर मैं अपनी मॉम को बताती, तो वे कितना ओवर रिएक्ट करतीं... नसीहतों की झड़ी लगा देतीं मुझ पर, इसीलिए तो उन्हें अब तक कुछ नहीं बताया...”   यह भी पढ़ें: पत्नी की कौन-सी 6 आदतें पसंद नहीं करते पति?( 6 Habits which your husband never likes)     यह सुनकर भीतर कुछ चटक गया. मॉम डैड के साथ ख़ुश नहीं थीं, आई नो दैट...और अमित अंकल के साथ कितनी रिलैक्स रहती थीं, हंसती थीं, खुलकर बातें करती थीं... फिर क्यों मुझे उनका साथ होना अच्छा नहीं लगा? क्यों वे अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी नहीं जी सकती? पिछले कुछ दिनों से जिस कठघरे में मैंने मॉम को खड़ा कर रखा था, आज वहां ख़ुद को खड़ा देख रही थी. जहाज के पंछी को देखा है कभी... दूर उड़ान भरकर लौट आता है... मैं भी लौट आई थी... अपने घर, अपनी दुनिया में... जहां मेरी मॉम थीं. मैं उनकी गोद में सिर रखकर लेटी थी. “आई एम सॉरी मॉम, मैंने आपको ना जाने क्या-क्या कह दिया... मुझे माफ़ कर दोगी ना!” मेरी आंखों की नमी उनकी आंखों में भी उतर आई थीं. “सच कहूं जिया, बहुत डर गई थी मैं...” उन्होंने मेरी हथेली को कसकर पकड़ लिया, जैसे उसके छूटने का डर अभी भी ज़िंदा हो. “जब तेरे डैड का साथ छूटा था, तो मैं संभल गई थी... तब तू जो मेरे साथ थी... मगर जब तू गई ना, तो लगा जैसे अब कुछ नहीं बचा मेरे पास.”   यह भी पढ़ें: 7 वजहें जब एक स्त्री को दूसरी स्त्री की ज़रूरत होती है (7 Reasons when a woman needs woman)   “मुझे आपसे शिकायत है मॉम... आपने मुझे रोका क्यों नहीं? मुझे डांट लेती, लड़ लेती मुझसे… पर रोक लेती ना?” मैं रुठते हुए सीधे बैठ गई. “ज़बरदस्ती थामे गए रिश्ते कहां टिकते हैं बेटा... तेरे डैड के साथ कोशिश की थी, पर क्या हुआ? लेकिन जानती है, मुझे उम्मीद थी कि तू लौट आएगी... ज़्यादा देर नहीं रूठी रहेगी.” उनके होंठ मुस्कुरा उठे.

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें

Deepti Mittal दीप्ति मित्तल         अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES       डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट.

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