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कहानी- स्व का विस्तार 5 (Story Series- Swa Ka Vistar 5)

वीना कुछ देर किंकर्तव्यविमूढ़-सी खड़ी रह गईं. असमंजस के बादलों को छटने में कुछ पल का समय लगा. फिर उनकी भाव-विह्वल आंखों में हर्ष और कृतज्ञता का अथाह सागर लहराने लगा. उसके मोती पलकों पर झिलमिलाने लगे. ईश्वर ने उनके जीने की वजह उन्हें बता दी थी. “आप अंदर आ जाइए.पानी पी लीजिए, फिर सोचिए...” उस महिला की आवाज़ से वीना चौंकीं. “नहीं, नहीं, इतना समय नहीं है. वो बच्चा बड़ी मुसीबत में है. उससे मकान नंबर बताने में कुछ गड़बड़ हो गई होगी. मैं आस-पास ढूंढ़ती हूं.” कहकर वीना पलट गईं. गोपाल का फोन लगातार स्विच ऑफ जा रहा था और वीना घबराई-सी आसपास के मकानों में उसके बारे में पड़ताल कर रही थीं कि वो महिला आती दिखाई दी. “कहीं उसने बीस-ए की जगह ए-बीस तो नहीं बोला था?” वो दूर से ही बोलीं. “हो सकता है. ये किधर पड़ेगा?” वीना को एक उम्मीद बंध गई. “हमारे आश्रम के ठीक पीछे. आइए, मैं बताती हूं.” कहकर वो महिला उनके साथ हो ली. ये एक अनाथाश्रम था. बहुत से बच्चे कॉरीडोर में खेल रहे थे. कुछ बच्चे उस महिला को देखते ही दौड़कर उससे लिपट गए. “दादी, आज हम जंगल की कहानी सुनेंगे...” वीना फिर आकुल हो गईं. गोपाल अनाथाश्रम में नहीं रहता था. उन्हें जल्दी ही उसका घर ढूंढ़ना होगा. वो उनसे थोड़ा परे हट गईं और किसना को फोन लगाया. “बेटा, तेरा एक दोस्त पुलिस इंस्पेक्टर है न? तू उसकी सहायता से एक मोबाइल की लोकेशन पता करवा देगा? अर्जेंट!” “हुआ क्या है मां, तुम्हारे पीछे ये शोर कैसा है? कहां हो तुम?" तुरंत उनके स्वर की बौखलाहट किसना के स्वर में प्रतिबिंबित होने लगी. “वो सब कुछ मत पूछ. पहले काम करवा.” “ठीक है, नंबर भेजो.” “अरे मां, ये ग्यारह डिज़िट का नंबर है. कहां गड़बड़ हुई है. चेक करो. ये नंबर तो एक्जिस्ट ही नहीं करता.” “क्या?” पते की बात और थी, पर इस नंबर पर तो वो पिछले छह महीने से बात कर रही थीं. वॉट्सऐप पर जाने कितनी स्माइलीज़ की अदला-बदली. तभी ध्यान आया वॉट्सऐप की डीपी में बालकृष्ण की फोटो थी और स्टेटस में ‘मैं विश्व के कण-कण में हूं’ दिया था. वो हतप्रभ सी डिज़िट गिने जा रही थीं, जो सच में ग्यारह थीं. तभी उस महिला ने बच्चों को चुप कराकर स्नेहसिक्त आवाज़ में पूछा, “पहले ये बताओ, क्या कोई गोपाल नाम का बच्चा यहांआया है?” यह भी पढ़ें: जानें 9 तरह की मॉम के बारे में, आप इनमें से किस टाइप की मॉम हैं?(Know About 9 Types Of Moms, Which Of These Are You?) “वो तो हमेशा से यहां रहता है.” कहते हुए बच्चों ने उंगली दिखाई, तो उनकी उंगली के साथ वीना की नज़र भी आश्रम के प्रांगण में बने मंदिर की ओर घूम गई. बिल्कुल उनके घर के मंदिर की तरह कान्हा की मूर्ति और उसके नीचे लिखा- 'जब मैं विश्व के कण-कण में हूं, तो अपनों से दूरी की विह्वलता कैसी? तुम दुखी हो, क्योंकि तुम्हारे ‘स्व’ का घेरा संकुचित है. अखिल विश्व में व्याप्त मेरे सहस्रों अंशों में से चंद अंशों को तुम अपना समझते हो. अपने ‘सव’ का विस्तार करो और मुझे पा लो. मैं तुम्हारे सामने खड़ा हूं.' वीना कुछ देर किंकर्तव्यविमूढ़-सी खड़ी रह गईं. असमंजस के बादलों को छटने में कुछ पल का समय लगा. फिर उनकी भाव-विह्वल आंखों में हर्ष और कृतज्ञता का अथाह सागर लहराने लगा. उसके मोती पलकों पर झिलमिलाने लगे. ईश्वर ने उनके जीने की वजह उन्हें बता दी थी. बहुत से प्यार के प्यासे बालगोपालों को उनकी ममता की ज़रूरत थी और उन्हें ज़रूरत थी, तो केवल अपने ‘स्व’ के विस्तार की. bhaavana prakaash भावना प्रकाश अधिक कहानी/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां पर क्लिक करें – SHORT STORIES

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