Close

कहानी- स्वप्न 2 (Story Series- Swapan 2) 

महाभारत नहीं पढ़ा कभी? गुरू द्रोणाचार्य का सर्वप्रिय शिष्य कौन था? अर्जुन.. उसे वे दुनिया का श्रेष्ठतम धनुर्धर बनाने की घोषणा कर चुके थे. लेकिन चुपके-चुपके ज़्यादा अभ्यास किसे कराते थे? अपने बेटे अश्वत्थामा को. धनुर्विद्या के नए-नए विलक्षण गुर उसे अलग से अकेले में सिखाते थे. हाथी के दांत खाने के और होते हैं, दिखाने के और. तुझे क्या पता वे घर पर प्रणव को कितना कुछ अलग से पढ़ाती और सिखाती हैं? 

      … "मृदुला मैडम का बेटा! बी सेक्शन में पढ़ता है. अर्द्धवार्षिक परीक्षा में तेरे बराबर नंबर आए हैं उसके. तुझे क्या लगता है मृदुला मैडम तुझे उससे आगे निकलने देगी?  "हां, हां क्यों नहीं?मैंने थूक गिटकते हुए कहा. हालांकि प्रणव नाम का यह बम मेरे दिमाग़ में ज़बर्दस्त विस्फोट कर गया था.  "मैं उनकी प्रिय शिष्या हूं, बेटी-सा स्नेह रखती हैं वे मुझ पर.अपने शब्दों का खोखलापन मैं ख़ुद अनुभव कर रही थी. लग रहा था ख़ुद ही को समझा रही हूं.  "सबसे प्रिय शिष्या हो, बेटी हो... सबसे प्रिय शिष्य, बेटा तो नहीं. महाभारत नहीं पढ़ा कभी? गुरू द्रोणाचार्य का सर्वप्रिय शिष्य कौन था? अर्जुन.. उसे वे दुनिया का श्रेष्ठतम धनुर्धर बनाने की घोषणा कर चुके थे. लेकिन चुपके-चुपके ज़्यादा अभ्यास किसे कराते थे? अपने बेटे अश्वत्थामा को. धनुर्विद्या के नए-नए विलक्षण गुर उसे अलग से अकेले में सिखाते थे. हाथी के दांत खाने के और होते हैं, दिखाने के और. तुझे क्या पता वे घर पर प्रणव को कितना कुछ अलग से पढ़ाती और सिखाती हैं? मैंने तो यह भी सुना है कि वे प्रणव की क्लास में किसी होशियार लड़के या लड़की को टिकने ही नहीं देतीं. सेक्शन बदलवा देती हैं, ताकि वह प्रथम आता रहे.पूर्वी की आवाज़ क्रमशः धीमी होते-होते रहस्यात्मक भी हो गई थी. इसके साथ ही मेरी आंखें विस्मय से चौडी  होती चली गई थीं. उसके बाद मेरा न पढ़ने में दिल लगा, न स्कूल में. मैं बुझे मन से घर लौट आई थी.  पूर्वी की बात मेरे दिल में घर कर गई थी. मेरी ख़ास सहेली भला मुझसे झूठ क्यों बोलेगी? मृदुला मैडम का व्यवहार अब भी पूर्ववत ही था. पर मुझे उसमें से बनावट की बू आने लगी थी. इंसान इतना दोगलापन भी दिखा सकता है, सोच-सोचकर मुझे हैरत होने लगी थी. उनका प्रिय शिष्या, बेटी... संबोधन अब मुझे छूता नहीं था. कभी वे मुझे स्कूल टॉपर तो नहीं बुलातीं? मुझे सी सेक्शन में भी उन्होंने ही तो नहीं करवाया? संशय का नाग एक बार मेरे मन में सिर उठाकर खड़ा हुआ, तो फिर अनवरत फुंफकारता ही रहा.     यह भी पढ़े: कैसे ढूंढ़ें बच्चे में टैलेंट- 7 बेसिक गाइडलाइन्स    पापा-मम्मी मेरी अर्द्धवार्षिक रिपोर्ट से पूर्णतः संतुष्ट थे. यह तो यहां भी टॉप  ही करेगी. उनकी विश्वासपूर्वक कही गई इस उक्ति पर मेरा मन चीख-चीखकर कहने को तड़प उठता कि नहीं, इस बार ऐसा नहीं हो पाएगा. कमी आपकी बेटी में नहीं खोखले होते जा रहे शैक्षणिक ढांचे में है. जहां गुरु-शिष्य संबंधों से ज़्यादा महत्वपूर्ण मां-बेटे के संबंध हैं. पर आवाज़ अंदर ही घुटकर रह जाती. मेरा मन पढ़ाई से उचटने लगा था. मृदुला मैडम ने जब क्लास में मेरा ध्यान इस ओर इंगित किया, तो मैं बौखला उठी थी. क्या ख़ूब तरीक़ा निकाला है अपने बेटे को नंबर वन बनाने का? पहले तो मुझे झाड़ पर चढ़ाया और अब पटखनी देकर औंधे मुंह गिराने की फिराक में हैं. ताकि मैं फिर ऊपर ही न उठ सकूं.   सहपाठियों की चुभती व्यंग्यात्मक नज़रों से मैं अंदर तक तिलमिला गई थी. बड़ी मुश्किल से मैंने सब्र किया था. इसी बीच पापा का तबादला फिर दूसरे शहर हो गया. मेरा सेशन समाप्त होने में अभी तीन माह का समय बाकी था. पापा-मम्मी ने निश्चय किया कि पापा अकेले ही चले जाएंगे. मेरी पढ़ाई में व्यवधान न हो इसलिए मम्मी मेरे पास रहेंगी. वैसे भी तीन माह तक सरकारी बंगला रखा जा सकता था. पर मैं तो उनका निर्णय सुनते ही फट पड़ी थी. "मैं यहां नहीं रहूंगी. हम सब साथ जाएंगे." 

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें... 

[caption id="attachment_182852" align="alignnone" width="246"]Sangeeta Mathur संगीता माथुर [/caption]   यह भी पढ़े: बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के 11 आसान तरी़के (10+ Ways To Spend Quality Time With Your Kids)          अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES   

Share this article