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कहानी- तेरा साथ है कितना प्यारा… 4 (Story Series- Tera Saath Hai Kitna Pyara… 4)

"बड़ी-बड़ी बातें करके इंसान समझदार नहीं हो जाता, बल्कि समझदार तब होता है, जब वो छोटी-छोटी बात समझने लगे. बच्चे तो नासमझ हैं. उन्हें तो मज़ा आ रहा है, पर ऐसे हंसते-खेलते, कूदते पढ़ाई नहीं पिकनिक होती है. मेरी बेटी तो आजकल कहीं चलने को राजी ही नहीं होती कि मुझे नव्या मैडम की क्लास मिस नहीं करनी. ऐसे मनोरंजन के साधन उपलब्ध करवाकर आप बच्चों को बरगला सकती हैं हमें नहीं. कल को परीक्षा में नंबर कम आए, तो कौन ज़िम्मेदार होगा?

          ... अगले दिन से ही उसने कुछ और गतिविधियां अपने अध्यापन कर्म में जोड़ ली. बच्चों को दूध कैसे दुहा जाता है, यह दिखाने ले गई. मिट्टी में खेलना, बिना एसी के पसीने से तरबतर होना, बारिश में भीगना, अलग-अलग दालों में भेद करना, घर के कामों में सहयोग करना, बुज़ुर्गों के पास जाना, उनसे बतियाना, बड़ों से तमीज़ से बात करना, घर के कार्यों में सहयोग करना आदि सब कुछ सिखाने लगी. डॉक्टर, इंजीनियर बनने से कहीं महत्वपूर्ण है बच्चा पहले एक अच्छा इंसान बने. अपनी ज़मीन से जुड़ा एक ग्रासरूटर! क्योंकि ग्रासरूटर सदैव ऊपर ही उठेंगे, जबकि उनसे सर्वथा विपरीत स्वभाव और वर्गवाले यानी पैराशूटर्स हमेशा नीचे ही आएंगे. "थोड़ा आराम भी कर लिया करो. इस वक़्त इतना श्रम तुम्हारे स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है." प्रशांत ने टोका था. "फ़िक्र के लिए धन्यवाद. किंतु जनाब शायद भूल रहे हैं कि डॉक्टर ने कल ही चेकअप करके बताया था कि मैं और बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से बिल्कुल स्वस्थ है." "वह तो है. नज़र उतारनी पड़ेगी जच्चा-बच्चा की. अब घर में कोई बुज़ुर्ग तो है नहीं. तो यह काम भी मुझे ही करना होगा." दोनों हास-परिहास कर ही रहे थे कि दरवाज़े पर दस्तक हुई. ट्यूशन पढ़नेवाले बच्चों में से कुछ की मांएं थीं. "नव्याजी, यह आजकल आप बच्चों को कैसी पढ़ाई करवा रही हैं? हर वक़्त खेलना कूदना, घूमना..." एक महिला ने शिकायत की. "मैंने तो सुना है आप उन्हें बड़ी-सी स्क्रीन पर मूवी भी दिखाती हैं. रसोई में कुकिंग भी सिखाती हैं. बच्चे आपके पास पढ़ने आते हैं, हॉबी क्लासेस में नहीं." दूसरी ने तल्ख़ी से कहा. "जी, मैं उन्हें पढ़ा ही रही हूं. बस थोड़ा पढ़ाने-सिखाने का तरीक़ा बदल दिया है, ताकि बच्चे रुचि से सब सीखें."’ नव्या ने नरमाई से अपना पक्ष रखा. "आंधी-बारिश में घूमना, मीलों पैदल चलना... यह भी कोई सिखाने का तरीक़ा हुआ?"     यह भी पढ़ें: बच्चों की परवरिश को यूं बनाएं हेल्दी (Give Your Child A Healthy Upbringing)   "कुम्हार जब घड़ा बनाता है, तो बाहर से तेज थपथपाता है और अंदर प्यार से सहलाता है. बच्चों को बाहर से परेशानियां सहना सिखाकर हम शिक्षक उन्हें अंदर से मज़बूत बनाते हैं. अपने बच्चे को सुंदर, मज़बूत इंसान बनाने के लिए इस कुम्हार पर भरोसा रखिए. वह आपके बच्चे को टूटने नहीं देगा." "बड़ी-बड़ी बातें करके इंसान समझदार नहीं हो जाता, बल्कि समझदार तब होता है, जब वो छोटी-छोटी बात समझने लगे. बच्चे तो नासमझ हैं. उन्हें तो मज़ा आ रहा है, पर ऐसे हंसते-खेलते, कूदते पढ़ाई नहीं पिकनिक होती है. मेरी बेटी तो आजकल कहीं चलने को राजी ही नहीं होती कि मुझे नव्या मैडम की क्लास मिस नहीं करनी. ऐसे मनोरंजन के साधन उपलब्ध करवाकर आप बच्चों को बरगला सकती हैं हमें नहीं. कल को परीक्षा में नंबर कम आए, तो कौन ज़िम्मेदार होगा? बच्चा फेल हो या पास, 90% लाए या 70% आपको क्या फर्क़ पड़नेवाला है? आप तो अपनी फीस वसूल कर फ्री हो गई. मैं तो अपनी यशा को निकालकर दूसरी कोचिंग में भेजनेवाली हूं. बहुत हुआ. इस तरह भला कोई बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करता है."   यह भी पढ़ें: बनें स्पेशल एज्युकेटर (Become special teacher) महिलाएं नव्या पर हावी होने लगी, तो नव्या के माथे पर पसीने की बूंदें चुहचुहा उठी. अंदर कमरे में सारा वार्तालाप सुन रहे प्रशांत से अब रहा नहीं गया. वह लॉबी में आ गया. प्यार से उसने नव्या के कंधे थपथपाये, "अगर लोग आपकी ईमानदारी पर संदेह करें, तो दुखी नहीं होना चाहिए, क्योंकि संदेह सोने की शुद्धता पर ही किया जाता है, लोहे की नहीं." तत्पश्चात वह आगंतुक महिलाओं से मुखातिब हुआ.

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें

शैली माथुर         अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

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