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पढाई के साथ-साथ बच्चों को ज़रूरी है कुकिंग की ट्रेनिंग, भविष्य में बहुत काम आएगी ये स्किल (Teach Your Child Useful Cooking Skills Along With Their Studies)

आजकल पढ़ाई और नौकरी के लिए बच्चों को अक्सर दूसरे शहर में रहना पड़ता है. जहां रहने की व्यवस्था तो आसानी से हो जाती है, लेकिन कुकिंग न आने के कारण उन्हें होटल या कैंटीन के खाने का सहारा लेना पड़ता है, जो न स़िर्फ जेब पर, बल्कि सेहत पर भी भारी पड़ सकता है. इसलिए ज़रूरी है कि छोटी उम्र से ही उन्हें कुकिंग की ट्रेनिंग देना शुरू कर दीजिए, ताकि ज़रूरत के वक़्त उन्हें दूसरों पर निर्भर न रहना पड़े. कैसे दें बच्चों को कुकिंग ट्रेनिंग? आइए जानते हैं.

कुकिंग के नाम पर बच्चों के हाथ में तुरंत चौका-बेलना थमाने की भूल न करें और न ही बहुत छोटी उम्र से बच्चों को कुकिंग की ट्रेनिंग दें. जब बच्चे 6-7 साल के हो जाएं, तो आप उन्हें कुकिंग ट्रेनिंग देने की शुरुआत कर सकती हैं. इस उम्र में बच्चे ज़्यादा क्रिएटिव होते हैं और कुछ नया सीखने के लिए बेहद उत्सुक भी रहते हैं.

कैसे करें शुरुआत?

बच्चों को कैसे सिखाएं स्टेप बाय स्टेप कुकिंग टिप्स एंड ट्रिक्स? आइए, जानते हैं.

  • सब्ज़ियां धोना सिखाएंः बच्चों को सबसे पहले फल एवं सब्ज़ियां धोना सिखाएं. उन्हें बताएं कि फल और सब्ज़ियों के इस्तेमाल से पहले इन्हें धोना ज़रूरी है. इसकी शुरुआत छोटे फल एवं सब्ज़ियों से करें, जैसे- चेरी, टमाटर आदि.
  • छीलना सिखाएं: काटने से पहले बच्चों को सब्ज़ियां छिलना सिखाएं. इसकी शुरुआत हरी मटर से करें. फिर धीरे-धीरे वेजीटेबल पिलर की सहायता से उन्हें गाजर, ककड़ी जैसे हल्के छिलके वाली सब्ज़ियों को छीलने की ट्रेनिंग दें.
  • कद्दूकस करना सिखाएं: जब बच्चे सब्ज़ियों को छीलना सीख जाएं, तो उन्हें उसे कद्दूकस करना सिखाएं. शुरुआत ककड़ी जैसी नरम सब्ज़ियों से करें. मुलायम सब्ज़ियां आसानी से घिस जाती हैं, जिससे बच्चों को ज़्यादा परेशानी नहीं होती.
  • काटना सिखाएं: बच्चों के हाथ में सीधे धारदार चाकू देने की भूल न करें. शुरुआत प्लास्टिक की चाकू से करें और पनीर, मशरूम जैसी मुलायम चीज़ें काटने को कहें. जब बच्चा प्लास्टिक की छुरी से काटने में माहिर हो जाए, तो उन्हें सिज़र से बाकी सब्ज़ी काटने की ट्रेनिंग दें और अंत में चाकू से उन्हें आलू, प्याज़ आदि काटना सिखाएं. 
  • मेज़रमेंट करना सिखाएं: जब बच्चा सब्ज़ियों को छीलना-काटना सीख जाए, तो उन्हें चीज़ों को मापना-तोलना सिखाएं. उन्हें बताएं कि हाफ बाउल (आधा कटोरी) किसे कहते हैं? फुल कप (एक कप) किसे कहा जाता है? मगर ध्यान रहे, शुरुआत सूखी चीज़ों से करें, जैसे शक्कर, चावल, दाल आदि.
Photo Source- Freepik.com
  • मिक्सिंग सिखाएं: जब बच्चे मेज़रमेंट सीख जाएं, तो उन्हें अलग-अलग चीज़ों को नापकर मिक्स करना यानी मिलाना सिखाएं. मेज़रमेंट की तरह मिक्सिंग की शुरुआत भी सूखी चीज़ों से करें, जैसे- ड्रायफू्रट्स आदि.
  • कुकिंग के शब्द समझाएं: बच्चों को कुकिंग के शब्दों से अवगत कराना भी ज़रूरी है. उन्हें बताएं कि सेंकना, छौंकना, उबालना, तलना, भुनना आदि शब्द का अर्थ क्या होता है. बेहतर होगा कि इसे ज़ुबां से बताने की बजाय उन्हें करके सिखाएं.
  • किचन की सफ़ाई सिखाएं: स्वच्छता, अच्छे स्वास्थ्य के लिए सबसे ज़रूरी है. इसकी जानकारी बच्चों को अवश्य दें और उन्हें हमेशा किचन को साफ़ रखने की हिदायत दें. सब्ज़ियों को छीलने के बाद छिलके कूड़ेदान में फेंकने, जूठे बर्तनों को वॉश बेसिन में रखने तथा खाना बनाने के बाद किचन प्लेटफॉर्म पोंछने को कहें.

फूड सेफ्टी के बारे में बताना भी ज़रूरी

फूड सेफ्टी का ख़्याल रखते हुए अपने बच्चों को निम्न बातें जरूर बताएं.

  • सब्ज़ियों के इस्तेमाल से पहले उन्हें अच्छी तरह से धो दें.
  • खाना बनाने से पहले हाथों को भी धो लें.
  • किचन में जाने से पहले बालों को अच्छी तरह बांध लें या कैप का इस्तेमाल करें.
  • फुल स्लीव आउटफिट की बांहों को मोड़ लें.
  • पके हुए खाने में पड़ी कलछी भूल से भी कच्चे अनाज में न डालें.
  • किसी पकवान को चखने के लिए साफ़ एवं स्वच्छ चम्मच का इस्तेमाल करें.
  • पके हुए खाने को हमेशा ढंककर रखें.
  • कटी हुई सब्ज़ियों एवं फलों को काटकर बहुत देर के लिए खुला न छोड़ें.

पैरेंट्स रखें ख़ास ख़्याल

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बच्चों के लिए किचन किसी डेंजर ज़ोन से कम नहीं, वहां रखी तेज़तर्रार छुरी या चूल्हे की तेज़ लपट उनके लिए घातक साबित हो सकती है. अतः बच्चों की सुरक्षा के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें

  • शुरुआत में बच्चे को किचन में अकेला छोड़ने की ग़लती न करें.
  • किचन प्लेटफॉर्म पर रखे भारी-भरकम बर्तन नीचे उतारकर रख दें.
  • बच्चों की रेसिपी में उपयोग में आने वाली सारी सामग्री जैसे- नमक, हल्दी आदि को ज़्यादा हाइट वाले कैबिनेट से उतारकर नीचे रख दें.
  • चूल्हे से पतीला, कड़ाही आदि उतारने के लिए पक्कड़ की बजाय गद्दीदार ग्लव्ज़ का इस्तेमाल करें.
  • खाना पकाते वक़्त स्टील, मेटल आदि की बजाय लड़की के चम्मच, कलछी का प्रयोग करें. स्टील/मेटल के बर्तन जल्दी गरम हो जाते हैं, जिससे जलने का डर रहता है.
  • बच्चों को कुकिंग सिखाने के लिए इंडक्शन कुकर का इस्तेमाल करें. इससे जलने की संभावना न के बराबर होती है.
  • हरी मिर्च, लालमिर्च आदि काटने के लिए सिज़र का इस्तेमाल करें. इससे उंगलियों में जलन नहीं होगी.
  • किचन से बाहर निकलने से पहले चेक कर लें कि गैस बंद है या नहीं.
  • जब बच्चा कुकिंग कर रहा हो, तो उस पर नज़र रखें.
  • बच्चे को उसी दिन कुकिंग ट्रेनिंग दें, जिस दिन आपकी छुट्टी हो. जल्दबाज़ी में उन्हें कुकिंग सिखाने की भूल न करें.

बच्चों को कुकिंग सिखाने के फ़ायदे

कुकिंग के ज़रिए बच्चे खाना बनाना ही नहीं, बल्कि और भी बहुत कुछ सीख जाते हैं. जैसे-

  • ज़िम्मेदारी उठानाः कुकिंग के ज़रिए बच्चों का व्यक्तित्व निखरता है. वो ख़ुद को ज़िम्मेदार महसूस करते हैं और अपनी ज़िम्मेदारी को बख़ूबी निभाने की कोशिश भी करते हैं.
  • मेज़रमेंट का अंदाज़ः कुकिंग बच्चों को मैथ्स भी सिखाता है. दो कप चाय में कितनी शक्कर डालनी है, दो ग्लास नींबू शरबत में कितना नमक डालना है,  एक चौथाई कप चावल यानी कितना, दो तिहाई कटोरी दाल मतलब कितना? इत्यादि माप-तोल से बच्चे को मैथ्स समझने में भी आसानी होती है.
  • स्पेलिंग सीख जाते हैंः किचन कैबेट में कतार में लगे जार पर लिखे शब्द दालचीनी, जीरा, तेज़पत्ता आदि की वजह से बच्चे उन चीज़ों की स्पेलिंग भी जल्दी सीख जाते हैं.
  • क्रिएटिविटी बढ़ती हैः कुकिंग से बच्चों की क्रिएटिविटी भी बढ़ती है. साथ ही उनकी कल्पना शक्ति का भी विस्तार होता है. नतीजतन वो कई नई डिशेज़ ट्राई करते हैं या फिर पुराने डिशेज़ को ही नई तरी़के से बनाने की कोशिश करते हैं.
  • फल एवं सब्ज़ियों के महत्वः खाना बनाते-बनाते बच्चे विभिन्न प्रकार के फल एवं सब्ज़ियों के फ़ायदे भी समझ जाते हैं. जैसे- किसी सब्ज़ी को ज़्यादा देर तक नहीं पकाना चाहिए, उससे सब्ज़ी में मौजूद पौष्टिकता कम हो जाती है.
  • प्रोत्साहित होते हैंः कुकिंग एक ऐसी परीक्षा है, जहां मेहनत का परिणाम कुछ ही घंटों में पता चल जाता है, उसके लिए देर तक इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं होती. ऐसे में सकारात्मक परिणाम बच्चों को प्रोत्साहित करते हैं तथा नकारात्मक परिणाम उन्हें बहुत ही जल्द ख़ुद को साबित करने का अगला मौक़ा देते हैं.

बच्चों की कुकिंग को बनाएं दिलचस्प

कुकिंग की ओर बच्चों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए आज़माएं कुछ स्मार्ट टिप्स-

  • बच्चों के लिए कलरफुल रेसिपी बुक ख़रीदें, ताकि बच्चे ख़ुद विधि-सामग्री पढ़कर रेसिपी बनाएं.
  • बच्चों को बर्तन के शॉप में ले जाएं और उन्हें उनकी पसंद के तथा छोटे-छोटे बाउल, प्लेट्स आदि दिलाएं.
  • कुकिंग की शुरुआत बच्चों की मनपसंद डिश से करें. उन्हें बताएं कि उनकी मनपसंद डिश कैसे बनाई जाती है.
  • कलरफुल बाउल्स में सारी सामग्री ख़ुद भर दें और फिर बच्चे से कहें कि अब वो इसे बनाकर दिखाएं.
  • बच्चों को कुकिंग एप्रेन ख़रीद कर दें, ताकि बच्चे ख़ुद को लिटिल शेफ महसूस करें.
  • बच्चों को कुकिंग करने के बाद गिफ्ट दें. इससे बच्चों का उत्साह बढ़ेगा.
  • बच्चों के साथ कुकिंग की शुरुआत चपाती रोल, सैंडविच, पिज्ज़ा, फ्रूट सलाद आदि से करें. जैसे- चपाती आप बना लें और फिर उन्हें स्टफिंग के लिए कहें.
  • इसी तरह पिज्ज़ा बेस पर उन्हें कटी हुई सब्ज़ियां सजाने को कहें.
  • शुरुआत ऐसी आसान रेसिपीज़ से करने से बच्चे जल्दी खाना बनाना सीख जाते हैं. साथ ही इन्हें बनाने के लिए बच्चों को गैस, चूल्हा आदि जलाने की ज़रूरत भी नहीं होती है.

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