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कोर्ट मैरिज कैसे करें? जानें कोर्ट मैरिज की स्टेप बाय स्टेप पूरी प्रक्रिया(What is Court Marriage? Know Step By Step Procedure And List Of Documents Required For Court Marriage)

अभी तक आपने ज्यादातर बैंड-बाजे वाली शानदार शादियां ही देखी होंगी, लेकिन आज भी कई लोग ऐसे हैं, जो शादियों में लाखों खर्च करने की बजाय कोर्ट मैरिज करना ज़्यादा पसंद करते हैं. कई लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी पसंद को ही अपना जीवनसाथी बनाना चाहते हैं, लेकिन उनका परिवार उन्हें इसकी इजाज़त नहीं देता. ऐसे मेंं उनके पास कोई और विकल्प नहीं होता. उनके पास केवल कोर्ट मैरिज का ही विकल्प बचता है. लेकिन क्या आप कोर्ट मैरिज और इसकी पूरी प्रक्रिया के बारे में जानते हैं? यदि नहीं, तो ये लेख ज़रूर पढ़ें.

कोर्ट मैरिज क्या है?

कोर्ट मैरिज यानी परंपरागत शादी-विवाह समारोह के तामझाम से हटकर कोर्ट में मैरिज अधिकारी के समक्ष विवाह बंधन में बंधना. सभी कोर्ट मैरिज विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत होते हैं. कोर्ट मैरिज किसी भी जाति, संप्रदाय, धर्म के बालिग युवक-युवतियों के बीच हो सकती है. यह किसी भी भारतीय और विदेशी युवक-युवतियों के बीच भी हो सकती है. इसके लिए दोनों पक्षों को रजिस्ट्रार के समक्ष आवेदन करना ज़रूरी होता है.

कोर्ट मैरिज के लिए आवश्यक शर्तें

कोर्ट मैरिज के लिए कुछ शर्ते तय की गई हैं. उन शर्तों का पालन करना ज़रूरी है.

1. पूर्व में कोई विवाह न हुआ हो: विवाह में शामिल होनेवाले लड़का-लड़की दोनों में से किसी की भी पहले से कोई शादी नहीं होनी चाहिए. और यदि इससे पहले शादी हुई हो, तो वह वैध न हो. अगर पहले शादी हुई थी और जीवनसाथी की मृत्यु हो चुकी है तो उसका डेथ सर्टिफिकेट देना होगा. इसी तरह अगर पहली शादी के जीवनसाथी से तलाक हो चुका है तो तलाक का आदेश देना पड़ेगा.

2. वैध सहमति: विवाह में शामिल होने वाले वर और वधु दोनों शादी के लिए सहमत हों. यानी दोनों दोनों पक्ष वैध सहमति देने में सक्षम होने चाहिए. वर-वधु दोनों पक्षों को अपनी स्वेच्छा से इस प्रक्रिया में शामिल होना होगा.

3. उम्र: कोर्ट मैरिज के लिए लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए.

4. निषिद्ध संबंध: दोनों पक्षों को निषिद्ध संबंधों की सीमा से बाहर रहना आवश्यक है. यानी आपसी रिश्तेदारी यानी बहन, बुआ आदि में शादी नहीं हो सकती. हालांकि किसी एक पक्ष के धर्म की परंपराओं में इसकी अनुमति हो तो यह शादी मान्य होगी.

5. दोनों स्वस्थ हों: दोनों पक्ष संतान उत्पत्ति के लिए शारीरिक रूप से योग्य हों. इसके अलावा दोनों ही मानसिक रूप से स्टेबल यानी स्वस्थ हों.

जानें कोर्ट मैरिज की पूरी प्रक्रिया

- कोर्ट मैरिज के लिए रजिस्ट्रार को लिखित नोटिस भेजनी होती है. इसमें आवेदनकर्ता को लिखना होता है कि वे शादी करना चाहते हैं. यहां यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि युवक-युवती जिस जिले में शादी करना चाह रहे हैं, वहां दोनों में से कोई एक सूचना की तारीख से 30 दिन से अधिक निवास कर चुके हों.

- संबंधित रजिस्ट्रार इस नोटिस की एक कॉपी अपने ऑफिस के नोटिस बोर्ड पर लगाते हैं.

- यदि किसी व्यक्ति को इस शादी पर आपत्ति हो, तो वह 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के समक्ष आपत्ति जता सकता है.

- यदि रजिस्ट्रार को लगता है कि आपत्ति उचित है तो वह शादी कैंसल कर सकता है. यदि कोई आपत्ति नहीं जताता तो शादी की प्रक्रिया को आगे ले जाकर शादी का रजिस्ट्रेशन कर दिया जाता है.

- आवेदक को यह अधिकार है कि वह रजिस्ट्रार द्वारा आपत्ति को स्वीकार करने के खिलाफ जिला कोर्ट में अपील कर सकता है. लेकिन यह अपील उसे आपत्ति स्वीकारे जाने के एक माह यानी 30 दिन के भीतर ही करनी होगी.

- कोर्ट मैरिज से पहले युवक -युवती और गवाहों को रजिस्ट्रार के समक्ष एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने होते हैं, जिसमें लिखा होता है कि वे ये शादी बगैर किसी दबाव के अपनी मर्जी से कर रहे हैं.

- कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस या उसके निकट किसी स्थान पर हो सकती है. इसके लिए एक निर्धारित फीस भी रखी गई है.

- शादी संपन्न हो जाने के बाद रजिस्ट्रार मैरिज सर्टिफिकेट जारी करता है.

कोर्ट मैरिज के लिए आवश्यक डॉक्युमेंट्स

- पूरी तरह से भरा हुआ आवेदन पत्र और आवेदन पत्र के संबंध में भुगतान की गई फ़ीस की रसीद.

- आवास और पहचान प्रमाणपत्र.

- दोनों पक्षों के उम्र के प्रमाण के तौर पर जन्म प्रमाण पत्र या दसवीं की मार्कशीट.

- दूल्हा और दुल्हन में से किसी का भी किसी और से अवैध रिश्ता नहीं है, उसका शपथपत्र.

- लड़का और लड़की को हलफ़नामा देना होता है, जिसमें उन्हें अपनी वर्तमान वैवाहिक स्थिति यानि कि वो अविवाहित/विधुर/ तलाकशुदा वगैरह का ब्यौरा देना होता है.

- तलाकशुदा के मामले में तलाक का आदेश और विधवा/विधुर के मामले में पूर्व जीवनसाथी का मृत्यु प्रमाण पत्र लगाना होगा.

- वर वधू दोनों का 2-2 फोटोग्राफ, जिन्हें राजपत्रित अधिकारी ने सत्यापित किया हो.

- तीनों गवाहों का पैनकार्ड और फोटोग्राफ.

- पहचान के लिए आधारकार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस.

विदेशी नागरिक के मामले में ज़रूरी डॉक्युमेंट्स

- पासपोर्ट-वीज़ा की कॉपी.

- संबंधित दूतावास से एनओसी या वैवाहिक स्थिति प्रमाण पत्र.

- दोनों पार्टियों में से एक को 30 या अधिक दिनों के लिए भारत में रहने के संबंध में दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करना होगा (निवास का प्रमाण या संबंधित एसएचओ से रिपोर्ट).

ये भी जान लें

- इस वक्त और सभी सुविधाएं भले ही आनलाइन हों, लेकिन कोर्ट मैरिज के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा सकता. रजिस्ट्रेशन के लिए मैरिज ऑफिसर के सामने खुद उपस्थित होना अनिवार्य है.

- इसमें युवक-युवती के साथ ही तीन गवाहों की मौजूदगी अनिवार्य है.

- कोर्ट मैरिज के लिए माता-पिता की मंजूरी अनिवार्य नहीं है. बशर्ते आप बालिग हों और कोर्ट मैरिज के लिए निर्धारित सभी नियमों का पालन कर रहे हों.

- यदि शादी के नोटिस के प्रकाशन के तीन माह के भीतर किसी भी वजह से विवाह नहीं होता तो बाद में शादी करने के लिए दोबारा नोटिस देना पड़ता है.

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