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गीत- अक्षय तृतीया (Poem- Akshay Tritiya)

आखा तीज का पर्व पुराना

क्यूं हमने इसे माना है

क्या इसकी है कथा कहानी

क्या हमने इसे जाना है

बैसाख मास के शुक्ल पक्ष की

तृतीया तिथि, अक्षय तृतीया कहलाती है

दान, पुण्य और जप-तप सारे

अक्षुण्ण हो जाते हैं

इस दिन की महिमा सारे

शास्त्र और वेद सुनाते हैं

इस दिन की महिमा है भारी

बतलाते हैं बारंबारी

विष्णु जी के छठे अवतार

परशुराम जी का जन्म हुआ था इस दिन

और गंगा मैया उतरी धरती पर,

धोएं पाप जिसमें नर-नारी

कहते हैं केशव ने इस दिन

अक्षय पात्र कृष्णा को देकर

हर ली उसकी चिंता भारी

दान धर्म और व्रत, जप-तप करते

विशेष रूप से सब नर-नारी

अक्षय तृतीया का पावन दिन

शुभ मुहूर्त कहलाता है

इस दिन किए कर्म सारे

अक्षुण्य हो जाते हैं

सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक

पावन पर्व अक्षय तृतीया

शुभ मुहूर्त कहलाता है

इस दिन किए कर्म सारे,

स्वतः ही सिद्ध हो जाते हैं

इसीलिए इस दिन की महिमा

सारे वेद और पुराण गाते हैं...

- कंचन चौहान

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Photo Courtesy: Freepik

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