भोर के सफ़ेद मखमली कोहरे में
हम एक साथ खड़े थे
यह सत्य अंकित है मेरे स्मृति पटल पर
ज्यों पाषाण पर खुदा
कोई ऐतिहासिक तथ्य
कोहरा छटने पर
हम सेतु के दो छोरों पर खड़े हैं
और हमारे बीच है
तेज़ बहती धारा
समय की
जो पुल को भी अपने साथ
बहा ले गई है
अपने बोध में ही तुम चल कर
उधर गए हो?
या
मैं ही स्वप्नवश
इधर आन पहुंची हूं?
कौन बताएगा?
हम फिर मिलेंगे
झूठा है यह आश्वासन
या
यह विश्वास
कि
शेष होगा कभी सरिता का जल
आओ
हम बहती नदी के दोनों किनारों पर
चलें
यात्रा के अंत तक
दूर पर साथ साथ…
![Usha Wadhwa](https://www.merisaheli.com/wp-content/uploads/2021/10/Screenshot_20210615-133759__01-2-713x800__01-130x150.jpg)
![](https://www.merisaheli.com/wp-content/uploads/2023/04/Screenshot_20230408-185841__01-800x514.jpg)
यह भी पढ़े: Shayeri
Photo Courtesy: Freepik
Link Copied