हाईड्रेटेड रहें: शरीर में पानी व नमी की कमी ना होने पाए. पानी ख़ूब पियें क्योंकि यह ज़हरीले तत्वों को बाहर करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है. पानी के नाम पर शुगरी ड्रिंक आदी ना पियें. नींबू पानी, नारियल पानी या ताज़ा फल व सब्ज़ी का जूस लें.
ध्यान रहे शराब व कैफेन का सेवन कम करें क्योंकि यह भीतर से शरीर को ड्राई करते हैं और डीहाईड्रेट करते हैं.
प्रोबायोटिक्स ज़रूरी है: हेल्दी बैक्टीरिया पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं और पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं. आप प्रोबायोटिक्स के प्राकृतिक स्रोतों को अपने भोजन में शामिल करें. ख़मीर वाले प्रोडक्ट्स, दही, छाछ व रेडीमेड प्रोबायोटिक्स ड्रिंक्स का सेवन करें.
फाइबर शामिल करें: खाने में फाइबर जितना अधिक होगा पेट उतना ही स्वस्थ होगा क्योंकि आपको क़ब्ज़ की शिकायत नहीं होगी. फाइबर हमारे कोलोन की कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है. आपका पेट साफ़ रखता है. अपने भोजन में साबूत अनाज, गाजर, ब्रोकोली, नट्स, मकई,बींस, ओट्स, दालें व छिलके सहित आलू को शामिल करें.
क्रियाशील रहें, कसरत व योगा करें: आप भले ही कितना भी हेल्दी खा लें पर जब तक शरीर को क्रियाशील नहीं रखेंगे तब तक कहीं न कहीं कोई कमी रह ही जाएगी. रोज़ाना 30 मिनट कसरत करें, चहल क़दमी करें, लिफ़्ट की बजाए सीढ़ियों का इस्तेमाल करें. योगा करना चाहें तो वो करें. यह रूटीन आपकी मांसपेशियों को लचीला बनाएगा और पाचन को बेहतर. वरना शारीरिक गतिविधियों की कमी से क़ब्ज़ जैसी समस्या होने लगेगी.
तनाव ना लें: तनाव पूरे शरीर व ख़ासतौर से पाचन तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. इस से गैस, ऐसिडिटी, क़ब्ज़ जैसी समस्या हो सकती है. दरअसल तनाव के कारण पेट में रक्त व ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है जिससे पेट में ऐंठन, जलन जैसी समस्या होने लगती है, साथ ही पेट में मैजूद हेल्दी बैक्टीरिया में भी असंतुलन आने लगता है. इसके अलावा तनाव से नींद भी नहीं आती और नींद पूरी ना होने से पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर पाता. बेहतर होगा तनाव को खुद पर हावी ना होने दें.