ज्वॉइंट अकाउंट खुलवाएं या अलग?
- शादी से पहले लड़कियों को सबसे ज़्यादा जो सवाल परेशान करता है, वह यह कि शादी के बाद दोनों ही अपना अलग-अलग सेविंग अकाउंट खोलें या ज्वॉइंट अकाउंट रखें. - ज्वॉइंट अकाउंट की तरफ़ लड़कियों का झुकाव ़ज़्यादा होता है, क्योंकि वे सोचती हैं कि जब सब कुछ एक है, तो अकाउंट भी एक ही होना चाहिए. - इसमें सबसे बड़ा फ़ायदा यह होता है कि यदि कभी अचानक पैसे की ज़रूरत पड़ जाए और दोनों में से एक व्यक्ति बाहर गया हो, तो दूसरे के साइन से पैसे निकाले जा सकते हैं और काम नहीं रुकता. - लेकिन कई बार इसमें पैसों के हिसाब में गड़बड़ी होने से संबंधों में दरार आने का ख़तरा भी होता है. - ऐसे में समझदारी इसी में है कि ज्वॉइंट अकाउंट खुलवाने के साथ-साथ, ख़ुद का एक अलग सेविंग अकाउंट भी खुलवाएं. - यदि आप कामकाजी हैं, तो सैलरी का कुछ हिस्सा उसमें जमा कर सकती हैं, पर यदि हाउसवाइफ़ हैं, तो घर ख़र्च से की गई कुछ बचत उसमें जमा कर सकती हैं और ज़रूरत के वक़्त निकाल सकती हैं. - ध्यान रहे कि अकाउंट का नॉमिनी जीवनसाथी को ही बनाएं.उधार या लोन शेयर करूं या नहीं?
- शादी के बाद भावनात्मक रूप से भले ही ङ्गतेरे दुख अब मेरेफ की क़समें ली गई हों, पर जब उधार या लोन चुकाने की बारी आती है, तो कई बार सोच बदल जाती है. - ऐसे में ख़ुद से सवाल करें कि क्या आप पार्टनर के ख़र्च को अपने अकाउंट से देने के लिए आर्थिक रूप से समर्थ या तैयार हैं? - यदि आप जवाब ङ्गहांफ चुनती हैं, तो आपको अपना इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो फिर से बनाना चाहिए. - साथ ही यह भी देखना होगा कि आपका यह निर्णय आपके लक्ष्य को और आपके सपनों को प्रभावित न करे.उत्तरदायित्व की ज़िम्मेदारी लें या नहीं?
- कई लोग उत्तरदायित्वों की ज़िम्मेदारी हंसी-ख़ुशी ले लेते हैं, तो कई लोग मुकर जाते हैं और ज़्यादातर लोग बीच का रास्ता चुनते हैं. ये सब बातें हमारी लाइफ़स्टाइल, परवरिश और मनी मैटर्स पर निर्भर करती हैं. - यदि दोनों पार्टनर्स उत्तरदायित्वों के मामले में एकमत नहीं होते, तो भविष्य में कई अहम् निर्णय लेने में उन्हें समस्याएं आ सकती हैं, जैसे- कार के लिए लोन, बच्चों की पढ़ाई के लिए लोन, रिटायरमेंट के लिए निवेश या दूसरा घर ख़रीदने के लिए निवेश आदि. - बेहतर होगा कि इन सब बातों के बारे में अच्छी तरह सोच-समझकर आपस में डिसकस करें और अपनी ज़िम्मेदारी उठाएं.क्या पति-पत्नी दोनों का इंश्योरेंस करवाना चाहिए?
- अक्सर पति के लाइफ़ इंश्योरेंस को अधिक महत्व दिया जाता है. - लेकिन इस बात का भी ख़्याल रखें कि पत्नी भी सभी चीज़ों में बराबर की हिस्सेदार होती है. अतः उसकी ज़िंदगी को सुरक्षित बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. - इसलिए एक सही इंश्योरेंस पॉलिसी लेना बहुत ज़रूरी होता है.क्या हेल्थ पॉलिसी या मेडिक्लेम करवाना चाहिए?
- शादी के तुरंत बाद हेल्थ पॉलिसी अवश्य लें. - जितनी जल्दी यानी कम उम्र में पॉलिसी लेंगे, प्रीमियम उतना ही कम देना पड़ेगा. - इसके अलावा पत्नी की मेडिक्लेम पॉलिसी भी ली जा सकती है. इससे मेटरनिटी और मेडिकल संबंधी ख़र्च भी आसानी से कवर हो जाते हैं.क्या हर जगह पार्टनर को नॉमिनी बनाना होगा या वसीयत बदलनी होगी?
- शादी के बाद काफ़ी वक़्त तो घूमने-फिरने, मौज-मस्ती में निकल जाता है और नॉमिनीवाली बात याद ही नहीं रहती. - इन बातों में देरी न करें. ऑफ़िस के प्रॉविडेंट फंड, बैंक अकाउंट्स और अन्य इनवेस्टमेंट वाली जगहों पर, जहां पहले आपने परिवार के किसी अन्य सदस्य को नॉमिनी बनाया है, उपयुक्त जगहों पर बदलकर पार्टनर का नाम डलवा दें. - कई बार नॉमिनी बदलने में होनेवाली देरी अनेक परेशानियों को जन्म दे सकती है. - यदि कभी कोई दुर्घटना घट जाए, तो पत्नी को पैसे नहीं मिल पाते, जिसकी वह हक़दार है. अतः इस काम को प्राथमिकता देते हुए पहले करें. - यदि दूसरा विवाह है, तो यह सोचना होगा कि पहले विवाह से हुए बच्चों को उनका हक़ मिल सके और नए फैमिली मेंबर्स के साथ भी अन्याय न हो. अतः हरेक निर्णय सोच-समझकर लें. बेहतर होगा कि मन में उठ रहे हर सवाल का जवाब पहले ख़ुद से मांगें और फिर खुले दिल से पार्टनर के साथ डिसकस करें और तभी अपनी फ़ाइनेंशियल प्लानिंग करें. https://www.merisaheli.com/smart-pre-marriage-preparations-for-couples/
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