रिश्ते चाहे जन्म के हों या हमारे द्वारा बनाए गए, उनका मक़सद तो यही होता है कि वो हमें ख़ुशी देते हैं, संबल देते हैं, मुश्किल वक़्त में वो हमारा सहारा बनते हैं और हमें भावनात्मक सपोर्ट भी देते हैं, लेकिन वक़्त बदलने के साथ ही रिश्तों का स्वरूप भी बदल गया और आजकल रिश्तों में सहारा कम, शोषण ज़्यादा देखने को मिलता है, ख़ासतौर से रिश्तों में इन दिनों इमोशनल एब्यूज़ बहुत बढ़ गया है. तो क्या होता है इमोशनल एब्यूज़ और क्यों ये इतना बढ़ता जा रहा है, इसी पर हम चर्चा करेंगे.
क्या होता है इमोशनल एब्यूज़?
इमोशनल एब्यूज़ यानी भावनात्मक शोषण या मानसिक शोषण, जिसमें किसी को नीचा दिखाना, डराना, धमकाना, अपमानित करना, मानसिक प्रताड़ना देना, कंट्रोल करने की कोशिश करना, ब्लैकमेल करना, भावनाओं से खेलना या माइंड गेम्स खेलना आदि शामिल है. इसे थोड़ा और विस्तार से समझते हैं.
हर काम में कमी निकालना और लगातार आलोचना करना...
हम अक्सर इस तरह का व्यवहार अपने आसपास ही देख सकते हैं, जब पति अपनी पत्नी से कहता है कि ये कैसा खाना बनाती हो, न स्वाद है, न मसाले या फिर तुम दिन भर घर में पड़ी-पड़ी करती क्या रहती हो, मैं बाहर जाकर इतनी मेहनत से पैसे कमाता हूं तुमको क्या पता. पत्नियां भी पीछे नहीं हैं कमियां निकालने में. उन्हें भी पति से काफ़ी शिकायतें होती हैं.
मेंटल प्रेशर बनाना
कई पत्नियां भी अपने पति को कहते पाई जाती हैं कि तुम तो मज़े से ऑफिस के एसी में बैठे रहते हो और मुझे यहां तुम्हारे माता-पिता की सेवा करनी पड़ती है. मैं अब इनके साथ और नहीं रह सकती आदि इत्यादि.

ब्लैकमेल करना
कभी दहेज के केस में पूरे परिवार को फंसाने की धमकी देना, तो कभी दहेज के लिए ही बहू को प्रताड़ित करना और बार-बार कहना कि अपने पिता से पैसे मांग, वरना इस घर में तेरी कोई जगह नहीं. इसी तरह पत्नी का बेडरूम में पति को ब्लैकमेल करके अपनी ग़ैरज़रूरी मांगें पूरी करवाने के लिए प्रेशर बनाना... ये सभी हरकतें भावनात्मक और मानसिक शोषण के तहत ही आती हैं.
कंट्रोल करने की कोशिश करना
तुमको बाहर जाकर काम करने की परमिशन दी है, तो इसका मतलब ये नहीं कि तुम मनमानी करो, फोन पर किससे इतनी बातें करती हो. अपनी हद में रहा करो, वरना तुम्हारा मायके जाना बिल्कुल बंद कर दूंगा. कई बार पति या उनके परिजन ऐसी धौंस दिखाकर सामनेवाले को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं. इतना ही नहीं, कई बार तो पति अपनी पत्नी की या पत्नी अपने पति की जासूसी भी करते हैं
सबके सामने पार्टनर को नीचा दिखाना या अपमानित करना
कभी अपनी पत्नी को दोस्तों के सामने गंवार बताना, तो कभी पत्नी का अपने पति के लुक्स या स्टाइल को लेकर सबके सामने कमेंट करना इमोशनल एब्यूज़ ही होता है. मज़ाक करने के नाम पर मज़ाक उड़ाना और इनडायरेक्टली पार्टनर को नीचा दिखाना कई लोगों की आदत होती है.
इग्नोर करना
अपनी बातें या डिमांड्स मनवाने के लिए अक्सर इस तरह के हथकंडे भी लोग आज़माते हैं, जिसमें वो पार्टनर को इग्नोर करेंगे, बात करना बंद कर देंगे, खाना बनाना बंद कर देंगे या घर छोड़कर चले जाएंगे.

डराना-धमकाना
किसी बात को लेकर पार्टनर को धमकी देना या डराना, उसे शारीरिक रूप से हानि पहुंचाने की धमकी देना इसमें शामिल है.
शक और हर बात पर टोकना
पार्टनर के हर व्यवहार पर शक करना, उससे बेवजह सवाल-जवाब करना और बात-बात पर टोकना इमोशनली उसे तोड़ देता है.
ईर्ष्या और हीनभावना
अक्सर पार्टनर्स साथ रहते-रहते यह भूल जाते हैं कि वो साथी हैं, कम्पेटिटर नहीं और यही भावना जलन को जन्म देती है और इस जलन से आपका व्यवहार बदल जाता है. फिर शुरू होता है ताने देने का सिलसिला. पत्नी के प्रमोशन पर यह कहना कि महिलाओं को तो मेहनत करनी नहीं पड़ती, अपने सीनियर को एक स्माइल देकर ही ख़ुश कर देती हैं या फिर किसी दोस्त ने आपकी पत्नी की तारीफ़ कर दी, तो उसके लिए पत्नी को यह कहकर मेंटली टॉर्चर करना कि ये हमेशा तुम्हारी इतनी तारीफ़ क्यों करता है, कहीं इसको भी तो तुम ख़ुश नहीं करती... ये बातें इसी ईर्ष्या और हीनभावना से पनपती हैं.
दूसरों से तुलना
सामने वाले घर में बड़ी गाड़ी है, तो पति की कम कमाई पर उसको कोसना या किसी दोस्त की पत्नी ज़्यादा सुंदर है तो पत्नी की उससे तुलना करना ये छोटी-छोटी बातें ही बड़ी समस्या को जन्म देती हैं.
यह भी पढ़ें: महिलाओं में क्यों कम होती है फाइनेंशियल अवेयरनेस? (The Importance Of Financial Awareness Among Women)
हर रिश्ता शिकार है इमोशनल एब्यूज़ का
जी हां, ऐसा नहीं है कि इमोशनल एब्यूज़ स़िर्फ पति-पत्नी के रिश्ते में ही होता है, ये किसी भी रिलेशनशिप में हो सकता है. कई बार पैरेंटिंग में भी ये होता है, जब पैरेंट्स बच्चे को डरा-धमकाकर अपनी बातें मनवाते हैं. स्कूल में टीचर्स भी ऐसा करते हैं. कई बार सास-ससुर अपनी बहू को इमोशनली एब्यूज़ करते हैं, तो कई बहुएं भी अपने इन लॉज़ और पति के साथ ऐसा करती हैं. पिछले दिनों कई ऐसे मामले सामने आए हैं जो इसकी तस्दीक करते हैं.
एक्सपर्ट्स और रिसर्च बताते हैं इमोशनल एब्यूज़ के नेगेटिव इफेक्ट्स
लो सेल्फ एस्टीमः बार-बार कमियां निकालने पर सेल्फ एस्टीम पर असर पड़ता है.
कॉन्फिडेंस में कमी: ख़ुद पर ही विश्वास नहीं रहता और व्यक्ति ख़ुद को दूसरों से कम समझने लगता है.
डिप्रेशन: इमोशनल एब्यूज़ के शिकार लोग अक्सर डिप्रेशन में चले जाते हैं.
ख़ुद को सबसे अलग-थलग कर लेना: कॉन्फिडेंस में कमी के चलते ऐसे लोग अपने में ही सिमट जाते हैं. लोगों से घुलना-मिलना इनके लिए मुश्किल हो जाता है.
सुसाइडल थॉट्सः डिप्रेशन और बार-बार के मानसिक शोषण के चलते इनके मन में आत्महत्या जैसे ख़्याल पनपने लगते हैं.
क्यों बढ़ रहा है आजकल इतना इमोशनल एब्यूज़?
- आज की लाइफस्टाइल और इसे मेंटेन करने का प्रेशर अधिक रहता है. आजकल लोग बस दिखावा करने में ही सारी एनर्जी झोंक देते हैं, जिसके चलते अपनों के लिए वक़्त ही नहीं होता. ऐसे में अगर पार्टनर कुछ बात या काम बताए, तो वो उनको डिस्टर्बेंस लगता हैं और वो इसी बात का ग़ुस्सा निकालते हैं.
- सहनशीलता कम होती जा रही है. छोटी-छोटी बातें भी लोगों को आजकल बर्दाश्त नहीं होतीं. न उनको एडजस्ट करना है और न ही कुछ सहन.
- आत्मकेंद्रित यानी सेल्फ फोकस्ड हो रहा है हर कोई. अपने लिए ही जीना और अपने बारे में ही सोचना आज के रिश्तों की सबसे बड़ी हक़ीक़त है. ऐसे में लोग सामनेवाले की भावनाओं का सम्मान करना या ख़्याल रखना ज़रूरी नहीं समझते.
- स्ट्रेस के चलते ग़ुस्सा बढ़ रहा है और यही ग़ुस्सा पार्टनर पर निकलता है.
- आजकल एक-दूसरे को सम्मान देना पार्टनर्स को बहुत अनकूल लगता है. कपल्स को फ्रेंड्स बनकर रहना ज़्यादा कूल और ट्रेंडी लगता है. इन सबके बीच कब आपसी सम्मान और शिष्टाचार खो जाता है और कब लिहाज़ की वो हल्की सी दीवार टूट जाती है पता ही नहीं चलता.

क्या करें?
- चाहे पुरुष हो या महिला, हर रिश्ते की अपनी सीमाएं हैं. पहली-दूसरी बार में ही सामनेवाले को यह बात समझा दें कि वो अपनी लाइन क्रॉस नहीं कर सकता.
- कई बार हमें इसे पहचानने में भी देर लगती है. शुरुआत में सब नॉर्मल लगता है, लेकिन जब यह व्यवहार बढ़ता जाता है तब हमें समझ में आता है, इसलिए जितना जल्दी हो, इसे पहचानें.
- बात करें, कम्यूनिकेट करें, क्योंकि कई बार हमें पता ही नहीं चलता कि हम किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं. इसलिए प्यार से बातें करें और इसे समझें.
- मेंटल हेल्थ को महत्व दें और ख़ुद पर काम करें.
- अपने किसी भरोसे वाले व्यक्ति से शेयर करें और सलाह लें.
- एक्सपर्ट की मदद लेने से हिचकें नहीं.
- अगर आप मुश्किल में हैं और इमोशनली वीक महसूस कर रहे हैं, तो अपनों की मदद लें और ज़रूरत पड़ने पर क़ानून की भी मदद लें.
- पॉज़िटिव रहें और अपने रिश्ते को भी हेल्दी बनाए रखने की कोशिश करें.
- ख़ुद भी अपनी बातें मनवाने के लिए ऐसे हथकंडे न अपनाएं, जो किसी पर मेंटल प्रेशर डाले या किसी की भावनाओं को आहत करे.
- अपना काम निकलवाने के लिए किसी को यूज़ न करें.
- झूठे वादे न करें.
- हर रिश्ते में शिष्टाचार और सामनेवाले की भावनाओं का ख़्याल रखना ज़रूरी है, इसे समझें और ख़ुद को कमज़ोर न पड़ने दें.
- गीता शर्मा
