
कहानी सत्य न भी हो, संदेश सही देती है. कठिन समय में कभी कभी बुद्धि कौशल शारीरिक बल से अधिक काम आता है. अपने बुद्धि कौशल से किसी ताक़तवर को भी हराया जा सकता है.
एक बार एक कुत्ता मस्ती में तितलियों के पीछे भाग रहा था. तितलियों के पीछे भागते भागते वह घने जंगल में पहुंच गया.
इतने में उसने एक भूखे बाघ को अपनी तरफ़ आते देखा. वह इतना पास आ चुका था कि उससे भागकर बचना असंभव ही था.
कुत्ते को एक तरकीब सूझी. उसने आसपास नज़र दौड़ाई तो उसे पुरानी हड्डी जैसी कोई चीज़ दिखाई दी.
वह बाघ की तरफ़ बैठ कर हड्डी चूसने लगा और ज़ोर ज़ोर से बोला, "इस बाघ को खाकर मज़ा आ गया."
यह सुन कर बाघ तो घबरा ही गया और मुड़ कर तेज गति से भाग गया.
अर्थात् इस कुत्ते को उसकी ताक़त ने नहीं बचाया था, बल्कि उसकी बुद्धि ने बचाया था.
यह भी पढ़ें: लघुकथा – वफादार कुत्ता (Short Story- Wafadar Kutta)
कहानी अभी आगे भी है.
पास के पेड़ पर बैठा एक बंदर यह सारा दृश्य देख रहा था. उसने तय किया कि बाघ को मैं यह सारी बात बता कर उससे दोस्ती कर लूंगा, जिससे भविष्य में वह मुझे खाएगा नहीं.

और वह कुत्ते का राज़ बताने के लिए बाघ के पीछे भागा.
परंतु कुत्ता भी सतर्क था. उसने बंदर को बाघ के पीछे भागते तो देखा ही, थोड़ी देर में उसने बंदर को क्रोधित बाघ की पीठ पर बैठ उसी की तरफ़ आते पाया.
यह भी पढ़ें: अजब-गज़ब (Interesting Unknown Facts)
उसे माजरा समझते देर नहीं लगी.
वह शांतिपूर्वक बैठा रहा और ज़ोर से चिल्लाया, “ए बंदर तुमने बाघ को लाने में कितनी देर कर दी. तुम्हें पता था कि मुझे बहुत ज़ोर से भूख लगी है.”
बाघ एकदम रुक गया और क्रोध से भर कर बंदर की ओर लपका.
बंदर आगे आगे एवं उसके पीछे पीछे बाघ, दोनों दौड़ रहे थे.
कहानी का संदेश यह है कि इस संसार में जीत न तो सदैव तेज़ गति वालों की होती है और न सबसे बलवान की.
जीतता वह है जो शांत होकर, अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कर हल निकालता है.
यह भी पढ़ें: व्यंग्य- कुत्ता कहीं का… (Satire Story- Kutta Kahin Ka…)
बड़ी बात यह है कि बुद्धि उम्र के साथ कम नहीं होती, वरन् तेज़ होती रहती है.


अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES
Photo Courtesy: Freepik