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क्यों बढ़ रहा है ऑटोइम्यून डिसऑर्डर? (What is causing the rise in autoimmune diseases?)

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम ग़लती से अपने ही हेल्दी सेल्स और टिशूज़ पर हमला करने लगती है. सामान्यत: इम्यून सिस्टम बाहरी बैक्टीरिया और वायरस से शरीर की रक्षा करता है, लेकिन ऑटोइम्यून बीमारी में यह सिस्टम खुद शरीर के अंगों को नुक़सान पहुंचाने लगता है.

क्यों होता है ऑटोइम्यून डिसऑर्डर?

- जेनेटिक फैक्टर (अनुवांशिक कारण). यदि परिवार में किसी को ऑटोइम्यून बीमारी है, तो रिस्क बढ़ जाता है.

- एनवायरमेंटल ट्रिगर्स. वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, प्रदूषण, केमिकल्स, स्मोकिंग.

- हॉर्मोनल असंतुलन जैसे थायरॉइड में गड़बड़ी, खासकर महिलाओं में ये ज़्यादा होता है.

- डायजेस्टिव हेल्थ और गट माइक्रोबायोम पाचन तंत्र में असंतुलन भी ट्रिगर बन सकता है.

- लाइफस्टाइल और स्ट्रेस भी बहुत बड़ा कारण है.

- नींद की कमी, अधिक मानसिक तनाव, प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड, हाई शुगर डायट ये सब ऑटोइम्यून डिसऑर्डर की वजह बनते हैं.

कौन-कौन सी बीमारियां होती हैं?

* रूमेटॉइड अर्थराइटिस: जोड़ों में सूजन हो जाता है और दर्द बढ़ जाता है.

* लुपस: इसमें जोड़ों में दर्द होता है और सूरज की रोशनी के प्रति संवेदनशीलता हो जाती है. त्वचा, किडनी, हार्ट आदि पर भी असर होता है.

* टाइप 1 डायबिटीज: पैंक्रियाज़ इंसुलिन नहीं बना पाता

* हैशिमोटो थायरॉइडाइटिस: थायरॉइड ग्रंथि पर असर होता है.

* सोरायसिस: त्वचा पर लाल, पपड़ीदार और उभरे हुए चकत्ते हो जाते हैं, जिनमें खुजली हो सकती है.

* मल्टीपल स्केलेरोसिस: इसमें नर्वस सिस्टम पर असर होता है. हाथ-पैर में झुनझुनी और सुन्नता महसूस होती है. आंखों से धुंधला भी दिखाई दे सकता है.

* सिलिएक डिज़ीज़: ग्लूटेन से एलर्जी होने लगती है.

* आईबीडी: यानी इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज़ आंतों को प्रभावित करता है. इसमें आंतों में सूजन आ जाती है. लगातार दस्त होना, पेट में दर्द या ऐंठन, मल में बलगम या रक्त जाना, अनायास वज़न कम होना, थकान आदि इसके लक्षण हैं.

आजकल क्यों बढ़ रहा है ऑटोइम्यून डिसऑर्डर?

* प्रोसेस्ड फूड और अनहेल्दी डायट

* स्ट्रेस और स्लीप डिस्टर्बेंस यानी 7-8 घंटे नींद न लेना.

* केमिकल्स एक्सपोज़र, प्लास्टिक का अधिक इस्तेमाल, पेस्टीसाइड्स.

* इनडोर लाइफस्टाइल. आजकल लोग आरामपसंद हो गए हैं. उन्हें इनडोर रहना ही अच्छा लगने लगा है. धूप से भी लोग बचते हैं, जिससे लोगों में विटामिन डी की कमी होने लगी है.

* ओवरहाइजीनिक लाइफस्टाइल. इससे लोगों का इम्यून सिस्टम कमज़ोर होने लगा है और बीमारियां होने लगी हैं.

कैसे पता करें कि आपको ऑटो इम्यून डिसऑर्डर है?

चूंकि इसमें कई तरह की हेल्थ कॉम्प्लिेकेशन्स होती हैं, इसलिए निश्‍चित लक्षण बता पाना मुश्किल है, लेकिन ये कुछ कॉमन संकेत दिख सकते हैं.

- लगातार थकान महसूस होना.

- जोड़ों में सूजन और दर्द

- त्वचा पर चकत्ते, खुजली या रेडनेस

- अक्सर पेट दर्द, अपच, दस्त या कब्ज़ की शिकायत रहना

- बाल झड़ना

- वज़न अचानक बढ़ना या घटना

- बार-बार तेज़ या हल्का बुखार रहना

- हाथ-पैर सुन्न होना या झुनझुनी महसूस होना

- बार-बार इंफेक्शन होना

अगर इनमें से कोई भी लक्षण लंबे समय तक दिखाई दं,े तो इसे नज़रअंदाज़ न करें, तुरंत डॉक्टर को कंसल्ट करें.

डायग्नोसिस कैसे होता है?

ब्लड टेस्ट्स

* एंटी न्युकलियर एंटीबॉडी टेस्ट

*  ईएसआर (सूजन का स्तर)

*  सीआरपी (सी रिएक्टिव प्रोटीन)

* ऑटो एंटीबॉडी प्रोफाइल

* थायरॉइड फंक्शन टेस्ट

* विटामिन डी और बी12 लेवल टेस्ट

इमेजिंग टेस्ट

* एक्स रे या एमआरआई (अगर जोड़ों में सूजन हो)

* बायोप्सी (कुछ मामलों में)

बचाव कैसे करें?

- स्वस्थ और संतुलित आहार लें. एंटीऑक्सिडेंट्स, ओमेगा-3, फाइबर रिच फूड लें.

- प्रोबायोटिक और गट हेल्थ का ध्यान रखें.

- तनाव को कम करें. मेडिटेशन, योग, प्राणायाम करें. अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, शवासन, सूक्ष्म व्यायाम रोज़ करें

- स्ट्रेस को कंट्रोल करें, क्योंकि स्ट्रेस ऑटोइम्यून डिजीज़ को और बढ़ा सकता है

- 7-8 घंटे की नींद लें.

- सुबह की धूप लें. इससे विटामिन डी की कमी दूर होगी.

- एक्सरसाइज़ को रूटीन का हिस्सा बनाएं. रोज़ाना हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़ करें.

- केमिकल्स से बचें. नेचुरल स्किन केयर प्रोडक्ट्स यूज़ करें. घरेलू नुस्ख़े आज़माएं.

इलाज क्या है?

ऑटोइम्यून बीमारियां पूरी तरह ठीक नहीं होतीं, लेकिन इन्हें कंट्रोल में रखा जा सकता है.

- डॉक्टर आपको इम्यूनो-सप्रेसेंट्स दे सकते हैं. ये इम्यून सिस्टम को रिपेयर करता है.

- पेन रिलीफ और सूजन कम करने वाली दवाइयां राहत देंगी.

- लाइफस्टाइल मैनेजमेंट करना सीखें.

- हेल्दी डायट लें.

- योग को अपने डेली रूटीन का हिस्सा बनाएं.

- स्ट्रेस को कंट्रोल करें.

- आयुर्वेद और फंक्शनल मेडिसिन ट्राई करें.

- शरीर की इम्यून गड़बड़ी को जड़ से सुधारने पर ध्यान दें.

डायट थेरेपी

क्या खाएं?

हरी पत्तेदार सब्जियां, हल्दी, अदरक, आंवला, ओमेगा-3 युक्त फूड जैसे फ्लैक्ससीड, फिश, नारियल तेल, घी आदि को अपने डायट में शामिल करें. ग्लूटेन और डेयरी-फ्री डायट लें.

क्या न खाएं?

* प्रोसेस्ड फूड, मैदा, शक्कर

* फ्राई और जंक फूड

* स्मोकिंग, अल्कोहल से दूर रहें.

* प्लास्टिक के कंटेनर यूज़ न करें. माइक्रोवेव फूड से दूर रहें.

इंटरेस्टिंग फैक्ट्स

- महिलाएं पुरुषों की तुलना में तीन गुना ज़्यादा ऑटोइम्यून डिसऑर्डर का शिकार होती हैं.

- एक व्यक्ति को एक से अधिक ऑटोइम्यून बीमारियां भी हो सकती हैं (जैसे थायरॉइड और सोरायसिस एक साथ).

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