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कहीं आप ईटिंग डिसऑर्डर के शिकार तो नहीं?(Are You Suffering From Eating Disorder?)

ईटिंग डिसऑर्डर (Eating Disorder) यानी खाने का विकार. यह एक गंभीर व्यवहारात्मक समस्या है. इससे पीड़ित व्यक्ति या तो बहुत अधिक खाता है या बहुत कम. इसके अलावा इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति अपने शरीर और वज़न को लेकर ज़रूरत से ज़्यादा चिंतित रहता है. आइए जानते हैं कि ईटिंग डिसऑर्डर कितने प्रकार का होता है और इस बीमारी के संकेत क्या हैं? Eating Disorder ईटिंग डिसऑर्डर के प्रकार यह आमतौर पर निम्न प्रकार का होता है. एनोरेक्सिया नर्वोसा यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति अपने शरीर की ज़रूरत के हिसाब से कम भोजन ग्रहण करता है. ऐसे व्यक्ति को हमेशा वज़न बढ़ने से डर लगता है, जबकि उसका वज़न कम होता है. इस विकार के कारण व्यक्ति बहुत पतला हो जाता है, क्योंकि वह पर्याप्त मात्रा में आहार ग्रहण नहीं करता. बुलिमिया नर्वोसा इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति ज़रूरत से ज़्यादा खाता है और फिर किसी भी तरह, चाहे उबकाइयां लेकर अथवा मुंह में उंगली डालकर वह भोजन को उलटी के द्वारा बाहर निकालने का प्रयास करता है, क्योंकि उसे खाने के बाद ग्लानि महसूस होती है. बिंज ईटिंग बिंज ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति बहुत अधिक खाता है. इस विकार में व्यक्ति को अक्सर ज़्यादा खाना खाने के दौरे पड़ते हैं. यह विकार पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है. ये भी पढ़ेंः ईटिंग डिसऑर्डर के संकेत आपको यह जानकर आश्‍चर्य होगा कि अमेरिका में 30 लाख से अधिक लोग ईटिंग डिसऑर्डर (Eating Disorder) से पीड़ित पाए गए हैं. हम आपको कुछ संकेत बता रहे हैं, जिनसे आपको इस बात का ज्ञान हो जाएगा कि अब आपको अपनी डायट बदल लेनी चाहिए, इससे पहले कि स्थिति हाथ से निकल जाए. वे अपने शरीर की कमियां निकालने में ज़्यादा समय बिताते हैं बहुत से लोग, ख़ासतौर पर लड़कियां मिरर के सामने घंटों खड़ी रहकर अपने शरीर को निहारती रहती हैं. ऐसा करना ग़लत नहीं है, बशर्ते अगर आप दिन में 15 से ज़्यादा बार इस गतिविधि को दोहराते न हों. ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति अपने शरीर को लेकर इतने डरे रहते हैं कि हर बार खाने के बाद अपने शरीर को निहारते हैं. वे ऐसी हरक़त अपने एंज़ायटी को कम करने के लिए करते हैं. वर्कआउट छूटने पर पैनिक हो जाते हैं शारीरिक रूप से सक्रिय रहना वज़न कम करने और मूड को अच्छा रखने के लिए ज़रूरी है. लेकिन यह जानना भी ज़रूरी है कि अन्य चीज़ों की तरह वर्कआउट की अति भी सही नहीं है. अगर आपका परिवार, नौकरी, मित्र व बच्चे हैं तो इन सभी ज़िम्मेदारियों के साथ रोज़ाना एक्सरसाइज़ करना बेहद कठिन होता है. इससे थकान हो सकती है. ऐसे में यदि वर्कआउट मिस हो जाए तो आप बैचेन हो जाते हैं या खाने के बाद आपको तुरंत कैलोरी बर्न करने का मन करता है तो इसका अर्थ हुआ कि आप ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित हैं. उनकी त्वचा, बाल और नाख़ून खराब होने लगते हैं ईटिंग डिसऑर्डर की समस्या ज़्यादा गंभीर हो जाने पर इसका दुष्प्रभाव लुक्स पर भी पड़ने लगता है. यह समस्या एनोरेक्सिया नर्वोसा से पीड़ित व्यक्तियों को ज़्यादा होती है. अगर व्यक्ति को खाने से पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलते तो इसका असर त्वचा पर दिखने लगता है. कभी-कभी इसका असर बालों पर भी दिखता है. बाल झड़ने लगते हैं और नाख़ून भी कमज़ोर हो जाते हैं. आंखों के नीचे काले घेरे, झाइयां, सूजन, आंखों की रोशनी कमज़ोर पड़ना जैसी समस्याएं भी होती हैं. इन सभी संकेतों के माध्यम से शरीर इस बात की ओर इशारा करता है कि उसका सही तरी़के से ध्यान नहीं रखा जा रहा है और इस ओर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है. खाना सबसे ज़्यादा ख़ुशी प्रदान करता है खाना खाकर ख़ुश होने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन अगर यह किसी व्यक्ति के लिए ज़्यादा ज़रूरी हो जाए तो यह ख़तरे की घंटी है और वह बिंज ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित है. खाने से ज़रूरत से ज़्यादा लगाव एक आम समस्या है, क्योंकि खाना सबसे आसान काम है. वहीं ख़ुशी प्राप्त करने के लिए रिश्ते बनाना या ऑफिस में काम के बल पर सफलता प्राप्त करके ख़ुश होना इससे कहीं ज़्यादा मुश्क़िल है. उसे दूसरों के साथ बैठकर खाने में डर लगता है ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को दूसरों के साथ बैठकर खाने में घबराहट होती है. उनके मन में अज़ीब-अज़ीब तरह के ख़्याल आते हैं, जैसे-अगर मैं पूरा खाना खा गया तो लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे, अगर मैंने कुछ अलग ऑर्डर किया तो लोग मेरे बारे में बातें बनाएंगे इत्यादि. इस तरह के ख़्याल आने के कारण व्यक्ति आराम से बैठकर खाने का आनंद नहीं उठा पाता. वे अक्सर चीट मील्स का आनंद उठाते हैं डायट का पालन करनेवाले लोग हफ़्ते में एक दिन चीट मील्स का आनंद लेते हैं, उस दिन वे डायट की परवाह किए बिना अपनी मनपसंद चीज़ें खाते हैं. पर कुछ लोग चीट डे के दिन ज़रूरत से ज़्यादा खा लेते हैं, ऩतीजतन उन्हें ग्लानि महसूस होती है. फिर वे दोबारा डायट पर ज़्यादा कंट्रोल करना शुरू कर देते हैं, बाद में तंग आकर फिर से ओवर ईटिंंग करते हैं और फिर से गिल्टी महसूस करते हैं. ईटिंंग डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति दिनभर में 10000 से अधिक कैलोरीज़ ग्रहण करता है और उसके बावजूद भी वह भूखा रहता है. ऐसे लोग हमेशा खाने के बारे में सोचते रहते हैं अगर मैंने कभी 4 अखरोट खा लिए तो अगले 4 घंटे तक कुछ नहीं खा पाऊंगा, अगर मैंने शाम को 6 बजे के बाद कार्बोहाइड्रेट खाया तो मोटा हो जाऊंगा, घर जाते समय मैं लो फैट पनीर खरीदूंगा या मैं इस केक को स़िर्फ देखूंगा, खाऊंगा नहीं. कहने का अर्थ यह है कि ईटिंग डिसऑर्डर का शिकार व्यक्ति हर व़क्त खाने के बारे में सोचता रहता है. वह इससे बाहर निकल ही नहीं पाता. ऐसे लोग खाने के बारे बहुत पहले से सोचने लगते हैं और अपनी भूख को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं. वे स़िर्फ दूसरों के लिए स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं जो लोग अपना पसंदीदा खाना नहीं खा पाते, वे अक्सर दूसरों को स्वादिष्ट खाना खिलाकर संतुष्टि प्राप्त करने की कोशिश करते हैं. वे ऐसा इसलिए करते हैं कि जब सभी खा लें तो बाद में उन्हें दूसरों के बहाने ही कुछ खाने को मिल जाए.

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