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आटिज़्मः ऑटिस्टिक बच्चों पर बनी ये फिल्में प्रेरित करती हैं, कहती हैं उन्हें भी दें खुला आस्मां… (Autism: These films made on autistic children inspire, they say give them open sky too…)

फिल्में जहां मनोरंजन करती हैं, वहीं लोगों को जागरूक करने और प्रेरित करनेवाले संदेश भी बहुत सी फिल्में देती हैं. बस, ज़रूरत होती है उन्हें समझने, जानने और अमल करने की.

अनुपम खेर की ‘तन्वी द ग्रेट’ फिल्म, जो एक ऑटिस्टिक बच्ची तन्वी पर आधारित थी. यह फिल्म आटिज़्म से ग्रसित बच्चों और परिवारवालों को एक संदेश देती है कि वे बच्चों की ज़रूरत को समझें. उनकी इच्छाओं का भी मान रखें. वे भी चाहें, तो क्या कुछ नहीं कर सकते, बस दिल में कुछ कर गुज़रने का जज़्बा और सभी का साथ हो. तभी तो तन्वी अपने दिवंगत पिता की इच्छा पूरी करने के लिए किस हद तक आगे बढ़ जाती है कि दुनिया उसे सलाम करती है.

‘अपना आसमां’ फिल्म में भी एक ऑटिज़्म पीड़ित बेटे के पिता के जद्दोज़ेहद को दिखाया गया है. कौशिक राय निर्देशित इस फिल्म में इरफान खान, शोभना, अनुपम खेर व ध्रुव पीयूष पंजुआनी ने गज़ब की एक्टिंग की थी.

प्रियंका चोपड़ा और रणबीर कपूर स्टारर ‘बर्फी’ फिल्म भरपूर मनोरंजन करने के साथ-साथ यह ख़ूबसूरत मैसेज भी देती है कि ऑटिस्टिक बच्चे में ईश्‍वर ने वो अद्भुत शक्ति दी होती है कि वे भावनाओं ख़ासकर प्रेम को एक आम इंसान से कही बेहतर तरीक़े से जान-समझ पाते हैं.

आमिर खान की ‘सितारे ज़मीं पर’ फिल्म भी स्पेशल चाइल्ड पर थी. खेल में वे भी कमाल दिखा सकते हैं, बस उन्हें मौक़ा दिया जाना चाहिए. लोगों ने इस फिल्म को बेहद पसंद किया था. आमिर खान ने इसके प्रमोशन के समय अपनी आपबीती भी साझा की थी कि कैसे ‘तारे ज़मीं पर’ बनाते समय उन्हें व्यक्तिगत संघर्षों का भी सामना करना पड़ा था.

दरअसल, उनके बेटे जुनैद को डिस्कैलेसिया की समस्या थी. इसलिए वे फिल्म में ख़ुद को इससे अधिक रिलेट कर पाए थे.

हर बच्चा अपनी मां के लिए ख़ास होता है. उसका दुलारा और प्यारा होता है. आज ज़रूरत है इसे गहराई से समझने की.

यह भी पढ़ें: फिल्म समीक्षाः द बंगाल फाइल्सः जब सच्चाई चीखती है, तब गुनहगारों की रूह भी कांप जाती है… (Movie Review: The Bengal Files)

मेरी सहेली के पॉडकास्ट सीरीज़ में भी ऐसी ही दो मांओं की जर्नी को दिखाने की कोशिश हमने की है. इसमें दर्शनाजी, जो एक 27 साल के ऑटिस्टिक बच्चे की मां हैं, तो वही आशवरी जी नौ साल के बच्चे की. दोनों ही मांओं का संघर्ष, कोशिशें, साहस और लगन हमें प्रेरित करती हैं. साथ ही यह भी सिखाती हैं कि एक मां चाहे तो क्या नहीं कर सकती.

प्रेरणास्त्रोत इन मांओं के अपने विशेष बच्चे के साथ की यात्रा को आपको ज़रूर जानना, सुनना और देखना चाहिए. मेरी सहेली की इस पॉडकास्ट में जानें दो मांओं की प्रेरित आपबीती. इसे देखने के लिए मेरी सहेली के यूट्यूब चैनल के इस लिंक पर क्लिक करें.

https://youtu.be/00HqgMmoIrM?si=0QOqGdRIH_OroZ8t

यह भी पढ़ें: फिल्म समीक्षा: तन्वी द ग्रेट- ऑटिस्टिक बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत, अनुपम खेर व शुभांगी दत्त की बेमिसाल अदाकारी.. (Movie Review: Tanvi The Great)

- ऊषा गुप्ता

Photo Courtesy: Social Media

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