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बर्थ एनिवर्सरी: भारतीयों के अपमान का बदला लेने के लिए किया होटल ताज का निमार्ण (Birth Anniversary: Jamsetji Tata)

Jamsetji Tata देश ही नहीं दुनियाभर में भारतीयों का मान बढ़ाने वाले और आर्थिक रूप से देशवासियों को आज़ादी देने वाले जमशेदजी टाटा की बर्थ एनिवर्सरी है. 3 मार्च 1839 को जन्मे जमशेदजी टाटा ने हर तरह से देशहित में कार्य किए. जब देश आज़ाद हुआ था, तब उन्होंने ही सूई से लेकर ट्रक बनाने तक का ज़िम्मा संभाला और देश को उस समय सहारा दिया. वो ऐसा समय था, जब देश आज़ाद तो हो गया था, लेकिन हमारे पास कोई चीज़ व अधिक सुविधाएं नहीं थीं. उसे बनाने के लिए पैसा और बाकी संसाधन नहीं थे. ऐसे में टाटा ने ही देश को सहारा दिया और आगे बढ़ाया. ऐसे किया होटल ताज का निर्माण बात उस समय की है जब जमशेदजी टाटा ब्रिटेन घूमने गए, तो वहां के होटल में ठहरने के लिए गए, लेकिन होटल ने उन्हें ये कहकर कमरा नहीं दिया कि वो एक भारतीय हैं. उसी दिन रतन टाटा के पिता जमशेदजी टाटा ने मन ही मन विचार किया कि वो एक ऐसे होटल का निर्माण करेंगे, जहां भारत ही नहीं, बल्कि विदेशी भी आकर रह सकेंगे, वो भी बिना रोक-टोक के. वो एक ऐसे होटल का निर्माण करेंगे, जो पूरी दुनिया में आकर्षण का केंद्र बनेगा. ब्रिटेन से मुंबई आने के बाद उन्होंने होटल ताज का निर्माण कार्य शुरू कर दिया वो भी समुद्र के बिल्कुल सामने. आज इस होटल को देखने पूरी दुनिया से सैलानी आते हैं. Jamsetji Tata भारत में उद्योग की रखी नींव देश जब ग़ुलामी के दौर से गुज़र रहा था, उस समय यहां पर किसी भी तरह का उद्योग स़िर्फ यूरोपीय देश ही करते थे. यहां के लोगों को ये काम नहीं आता था. राजा-महाराजा अपनी रियासत में व्यस्त थे और देश की आधी आबादी देश को अंग्रेज़ों के चंगुल से आज़ाद करने की लड़ाई लड़ रही थी. ऐसे में जमशेदजी टाटा ने विदेशों से सब सीखकर देश में उद्योग लगाना शुरू किया. भारत में पहली स्वदेशी कंपनी शुरू की साल 1874 में उन्होंने सैन्ट्रल इण्डिया स्पिनिंग, वीविगं एण्ड मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी नाम की एक कंपनी बनाई. यह एक भारतीय द्वारा शुरू की गई पहली कंपनी थी. कर्मचारियों के भगवान ऑफिस का माहौल किस तरह से रखना है ये कोई टाटा ग्रुप से सीखे. कहते हैं कि जमशेदजी टाटा अपने कर्मचारियों का बहुत ध्यान रखते थे. उनकी हर समस्या का वो समाधान करते थे और इस कदर उन्हें मान देते थे जैसे कि सभी कर्मचारी ही कंपनी के मालिक हों. जमशेदजी टाटा को इसीलिए भगवान कहा जाता है.
श्वेता सिंह
     

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