12 से 14 साल की उम्र में बच्चे को एचपीवी (ह्यूमन पैपीलोमा वायरस) वैक्सीन दिलाएं. ये भविष्य में सर्वाइकल कैंसर से बचाव करता है.
क्या हैं कारण? ब्रेस्ट कैंसर होने की कोई एक वजह नहीं है, इसके लिए कई कारण ज़िम्मेदार हो सकते हैं. * कई बार ये अनुवांशिकता के कारण होता है. यदि परिवार में नज़दीकी रिश्तेदारों (मम्मी, चाची, दादी, नानी) को ये हुआ है, तो आपका इसका शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है. * ब्रेस्टफीड न कराना और बच्चे न होना भी इसकी एक बड़ी वजह हो है. शहरों में कामकाजी महिलाएं देर से शादी करती हैं, जो बच्चे में लेट होते हैं और ज़्यादातर महिलाएं फिगर ख़राब होने या नौकरी की वजह से बच्चों को ज़्यादा समय तक ब्रेस्टफीड नहीं करा पातीं. * ग़लत लाइफस्टाइल यानी ज़्यादा फैटी फूड, एक्सरसाइज़ न करना आदि से भी ये हो सकता है. * ज़रूरत से ज़्यादा मोटापा, शराब, सिगरेट आदि का अधिक सेवन भी इसकी वजह हो सकता है.कैसे बचें? * शराब और सिगरेट से तौबा कर लेें. * वज़न नियंत्रित रखने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करें. * भोजन में फैटी फूड की मात्रा कम कर दें. हेल्दी फूड खाएं. * जितना ज़्यादा हो सके बच्चे को ब्रेस्टफीड कराएं. * यदि परिवार में ब्रेस्ट कैंसर की हिस्ट्री है, तो नियमित रूप से चेकअप ज़रूर करवाएं. * यदि उम्र 35 से कम है, तो सोनोग्राफी करती रहें. * यदि आपकी उम्र 35 से ज़्यादा है, तो मेमोग्राफी की जाती है. * 40 साल की उम्र में 1 बार और फिर हर 2 साल में मेमोग्राफी करवानी चाहिए ताकि शुरुआती स्टेज में ही कैंसर का पता चल जाए.शहरी महिलाओं में जहां ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा बढ़ रहा है, वहीं गांव/कस्बों में सर्वाइकल कैंसर की तादाद बढ़ रही है. हमारे देश में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के बढ़ने की दर 2.4 प्रतिशत है. इसका कारण गांवों की महिलाओं में जागरूकता की कमी, स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही, हाइजीन का ख़्याल न रखना आदि है. ज़्यादा बच्चे होने, सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान कंडोम का इस्तेमाल न करने से भी सर्वाइकल कैंसर का ख़तरा रहता है. यदि सही समय पर इसका पता चल जाए तो इलाज संभव है, मगर ज़्यादातर मामलों में एडवांस स्टेज पर पहुंचने पर ही मरीज़ को बीमारी का पता चल पाता. इसके लक्षणों को समझना मुश्किल है. अतः चेकअप करवाना ही सबसे बेहतर उपाय है. 30 की उम्र के बाद पैप स्मीयर टेस्ट करवाएं. यदि सब सामान्य है तो हर 5 साल में एक बार चेकअप करवाएं.
यदि शुरुआती स्तर पर ही कैंसर का पता चल जाए तो इसके ठीक होने की संभावना ज़्यादा रहती है, मगर हमारे देश में क़रीब 30 प्रतिशत मामले एडवांस स्टेज पर पहुंचने के बाद सामने आते हैं, जिससे मरीज़ को बचा पाना मुश्किल हो जाता है.पिछले क़रीब 25 साल में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में दुगुनी बढ़ोतरी हुई है.
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