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Breast Care Guide: जानें उम्र के अनुसार ब्रेस्ट केयर की ए बी सी, ताकि न हो ब्रेस्ट कैंसर का खतरा (Breast Care Guide: Know The ABC Of breast care and Reduce the risk of Breast Cancer)

बदलती लाइफस्टाइल, गलत खानपान की आदतें, इनएक्टिव लाइफस्टाइल, बढ़ता केमिकल एक्सपोज़र आई कई कारण हैं, जिसकी वजह से आजकल कम उम्र में ही महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ा है. लेकिन अगर हर उम्र में ब्रेस्ट की सही देखभाल की जाए तो ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क से बचा जा सकता है. आइए जानते हैं कि किस उम्र में ब्रेस्ट की केयर के लिए क्या करना चाहिए.

20 वर्ष


इस उम्र में ब्रेस्ट का आकार आकर्षक होता है. इसमें कसाव भी अधिक होता है.

क्या पहनें?

  • दिन में ब्रेस्ट सपोर्टिव ब्रा पहनें.
  • एक्सरसाइज़ करते समय स्पोर्ट्स ब्रा पहनें.

ब्रेस्ट कैंसर रिस्क
इस उम्र में ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क कम होता है. 100 में से 4 महिलाएं ही रिस्क जोन में होती हैं.

30 वर्ष

प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट का साइज़ बढ़ जाता है एवं स्ट्रेच मार्क्स भी आ जाते हैं. बेहतर होगा कि प्रेग्नेंसी के बाद एक्सरसाइज़ करके वज़न नियंत्रण में रखें.

क्या पहनें?

  • जब तक स्तनपान करा रही हैं तब तक मैटरनिटी ब्रा पहनें.
  • बाद में सपोर्टिव ब्रा पहनें.

ब्रेस्ट कैंसर रिस्क
100 में से 6 महिलाएं रिस्क जोन में होती हैं.

40 वर्ष


उम्र बढ़ने के साथ-साथ ब्रेस्ट के लोब्युल्स और मिल्क ग्लैंड्स सिकुड़ने लगते हैं, जिससे स्तन शिथिल होकर लटक जाते हैं.

क्या पहनें?

  • पुशअप ब्रा पहनें. इससे ब्रेस्ट में कसाव दिखेगा.
  • यदि स्थायी इलाज चाहती हैं, तो सर्जिकल ब्रेस्ट लिफ्ट करवा सकती हैं.

ब्रेस्ट कैंसर रिस्क

इस उम्र में रिस्क फैक्टर बढ़ जाता है. 100 में से 28 को ये खतरा होता है.

कैसे करें ब्रेस्ट एग्जामिनेशन?

  • पीरियड्स के बाद स्वयं ब्रेस्ट परीक्षण करें. साल में 1 बार स्त्री रोग विशेषज्ञ से परीक्षण करवाएं.
  • 40 साल की उम्र में पहला मेमोग्राम करवाएं. इसके बाद हर दूसरे साल इसे करवाएं.
  • यदि आपकी मां या बहन को ब्रेस्ट कैंसर था, तो 35 वर्ष की उम्र में मेमोग्राम ज़रूर करवाएं.

ब्रेस्ट का आकार

एसिमेट्रिक ब्रेस्ट

  • अक्सर देखा गया है कि एक ब्रेस्ट दूसरे ब्रेस्ट की अपेक्षा आकार में बड़ा होता है. ऐसा होना सामान्य बात है. शरीर के अन्य अंगों की तरह दोनों ब्रेस्ट भी अलग-अलग विकसित होते हैं. दोनों ब्रेस्ट विभिन्न हार्मोन्स के साथ अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया देते हैं, जिससे दोनों ब्रेस्ट में टिशूज़ और फैट की मात्रा भी अलग होती है, इसलिए एक ब्रेस्ट दूसरे से बड़ा हो सकता है.
  • यदि अचानक एक ब्रेस्ट आकार में दूसरे से बड़ा होने लगे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. यह इंफेक्शन (संक्रमण) या ट्यूमर का लक्षण हो सकता है.

ऑड (असंगत) ब्रेस्ट

  • यदि आपके ब्रेस्ट का आकार नुकीला, गोलाकार, चपटा है, तो इसमें घबराने की बात नहीं है. दरअसल, ब्रेस्ट का आकार महिलाओं के बॉडी टाइप और अनुवांशिकता पर निर्भर करता है.
  • यह बात भी ध्यान में रखें कि कोई भी ब्रेस्ट पूरी तरह नरम व कोमल नहीं होता. इसमें लम्प्स पाए जाते हैं. कुछ ब्रेस्ट टाइप को फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट कहते हैं. इसमें काफ़ी लम्प होते हैं, लेकिन यह नॉर्मल माना जाता है.

निप्पल का आकार


कई महिलाओं में निप्पल अंदर की ओर दबे हुए, तो कुछ में बाहर ओर निकले हुए होते हैं. इनका आकार भी आनुवांशिक होता है. 5% महिलाओं के निप्पल इनवर्टेड होते हैं. यदि आपको ऐसा लगे कि निप्पल के आकार में अचानक परिवर्तन हो गया है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

बाल


काफ़ी महिलाओं के ब्रेस्ट पर 4-5 बाल ऊग आते हैं. ये निप्पल के आसपास या क्लीवेज के बीच में भी हो सकते हैं. यह भी सामान्य बात है. इन्हें उखाड़कर निकालना ख़तरनाक हो सकता है. ऐसा करने से इंफेक्शन भी हो सकता है. इन्हें निकालने के लिए वैक्सिंग, हेयर रिमूविंग क्रीम या लेज़र का प्रयोग करें.

ब्रेस्ट संबंधी सवाल-जवाब

  1. क्या एक्सरसाइज़ से ढीले व लटके हुए स्तनों में कसाव लाया जा सकता है?

ब्रेस्ट में मसल्स नहीं होती, इसलिए इन्हें टोन नहीं किया जा सकता, परंतु ब्रेस्ट के चारों ओर मसल्स होती हैं. एक्सरसाइज़ करके इनमें कसाव लाया जा सकता है. इसके लिए चेस्ट प्रेस, डंबलफ्लाय, पुशअप जैसी एक्सरसाइज़ करें.

2. क्या ब्रेस्ट इम्प्लांट के बाद बच्चे को स्तनपान कराया जा सकता है?

अधिकांशतः ब्रेस्ट इम्प्लांट में आसानी से स्तनपान कराया जा सकता है. 20% केसेस में इम्प्लांट को पहले वर्ष में सर्जरी से पुनः एडजस्ट करना पड़ता है. 30% केसेस में इम्प्लांट 10 वर्ष बाद टूट जाता है और पुनः कराना पड़ता है. पहली बार इम्प्लांट के बाद स्तनपान कराने में कोई दिक्क़त नहीं आती, लेकिन जितनी ज़्यादा बार सर्जरी कराई जाती है, ब्रेस्ट के लिगामेंट को उतना ही ज़्यादा नुक़सान पहुंचता है. इसके कारण मिल्क डक्ट (दूध की नलियां) क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे स्तनपान कराना मुश्किल हो जाता है. अतः ब्रेस्ट इम्प्लांट कराने से पहले डॉक्टर से इसके रिस्क फैक्टर्स के बारे में ज़रूर पूछ लें.

3. क्या ब्रेस्ट इम्प्लांट कराने के बाद ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाना मुश्किल हो जाता है?

डॉक्टर द्वारा दिए गए शारीरिक परीक्षण में ब्रेस्ट में गांठ का पता नहीं चलता, इसलिए इस परीक्षण को अंतिम नहीं माना जाता. मेमोग्राम और एम.आर.आई. करवाना आवश्यक होता है. इससे ब्रेस्ट कैंसर का पता चल जाता है.

4. प्रेग्नेंसी न होते हुए भी निप्पल से डिस्चार्ज (स्राव) होना क्या रिस्की होता है?

  • यदि निपल से डिस्चार्ज होता है, तो पहले उसका रंग देख लें कि कहीं वो पीला, हरा, गुलाबी या ख़ून के रंग का तो नहीं है. इसके अलावा यह भी देखें कि डिस्चार्ज गाढ़ा, पतला या चिपचिपा किस तरह का है?
  • यदि दोनों ब्रेस्ट दबाने पर पीला, हरा या गहरा हरा डिस्चार्ज निकलता है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
  • प्रेग्नेंसी न होते हुए भी यदि बार-बार डिस्चार्ज निकलता है, तो यह इंफेक्शन (संक्रमण) या किसी दवाई का साइड इफेक्ट हो सकता है.
  • यदि डिस्चार्ज दूध या पानी जैसा है, तो ये किसी बीमारी की शुरुआत हो सकती है, अतः डॉक्टर की सलाह लें.
  • कुछ ख़ास तरह के केसेस में डिस्चार्ज हार्मोेनल इम्बैलेंस या ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है, इसलिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

6. पीरियड्स के पहले और पीरियड्स के दौरान ब्रेस्ट में दर्द क्यों होता है?

  • ब्रेस्ट के टिशूज़ स्वाभाविक रूप से कोमल व नाज़ुक होते हैं. ओव्युलेशन के दौरान और उसके बाद एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन्स का लेवल कम ज़्यादा होता रहता है. इसके साइड इफेक्ट्स शारीरिक लक्षणों, जैसे- सिरदर्द, मूड स्विंग, खाने का लालच, पैरों में क्रैम्पस आना व ब्रेस्ट में पीड़ा आदि के रूप में दिखाई देते हैं.
  • डायट कोक, चाय या कॉफी का अधिक मात्रा में सेवन भी ब्रेस्ट की पीड़ा बढ़ा सकता है.
  • दर्द कम करने के लिए पीरियड्स के दौरान नमक का सेवन कम करें. खाने में विटामिन बी6 और विटामिन ई युक्त आहार लें.

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