व्यंग्य- अच्छी रचना का इंतज़ार (Satire Story- Achchi Rachna Ka Intezaar)

मुंह पर फेस मास्क है जुबान पर नहीं. कलम चले ना चले जुबान को अच्छी रचना की दरकार है. अपने…

January 15, 2021

कहानी- लौट आई ज़िंदगी (Story- Laut Aayi Zindagi)

जाने क्यों एक बार फिर शर्मा दंपत्ति याद आ गए. साथ ही रौनक से अपनी ही कही बात भी कि…

January 14, 2021

कहानी- ये जो हल्का हल्का सुरूर है… (Short Story- Yeh Jo Halka Halka Surur Hai…)

तुम बताओ किसे अच्छा नहीं लगेगा कि कोई उसे परी समझे कि कोई उसे ख़्वाबों की रानी समझे कि कोई…

January 13, 2021

कहानी- पुण्य (Short Story- Punya)

सुप्रिया के ज्ञान पर वह गंभीरता से बोली, “होते होंगे पर मेरे हिसाब से दान करने के लिए परिस्थितियां और…

January 12, 2021

लघुकथा- छत और छाता… (Short Story- Chhat Aur Chhata…)

"छोड़ यार, क्या फ़र्क है तेरे मेरे बीच. प्यार तो प्यार है. मैं और संजय एक-दूसरे से प्यार करते हैं.…

January 9, 2021

कहानी- कोरोना काल (Short Story- Corona Kaal)

उपकार को लगा जीवन के सारे भाव वाष्‍प बन कर उड़ जाएंगे. बस एक शब्‍द बचेगा- इम्यूनिटी. उसकी निराशा और…

January 8, 2021

लघुकथा- बदलाव (Short Story- Badlav)

इतनी मेहनत, इतनी ट्रेनिंग के बाद थोड़ा बदलाव तो मैं ले ही आया था! घर साफ़ रहता था, खाना समय…

January 6, 2021

कविता- वक़्त और लम्हे… (Kavita- Waqt Aur Lamhe…)

वक़्त से लम्हों को ख़रीदने की कोशिश की वह मुस्कुराया बोला क्या क़ीमत दे सकोगे मैं बोला अपने जज़्बात दे…

January 4, 2021

पंचतंत्र की कहानी: दो सिर वाला जुलाहा (Panchatantra Story: The Two Headed Weaver)

एक गांव में मन्थरक नाम का जुलाहा यानी बुनकर रहता था. वो मेहनत से अपना काम करता था पर वो बेहद गरीब था. एक बार जुलाहे के उपकरण, जो कपड़ा बुनने के काम आते थे, टूट गए. जुलाहा चाहता था जल्द से जल्द उपकरण बनजाएं ताकि उसका परिवार भूखा ना रहे, लेकिन उपकरणों को फिर बनाने के लिये लकड़ी की जरुरत थी. जुलाहा लकड़ीकाटने की कुल्हाड़ी लेकर समुद्र के पास वाले जंगल की ओर चल पड़ा. बहुत ढूंढ़ने पर भी उसे अच्छी लकड़ी नहीं मिली तबउसने समुद्र के किनारे पहुंचकर एक वृक्ष देखा, उसकी लकड़ी उत्तम थी तो उसने सोचा कि इसकी लकड़ी से उसके सबउपकरण बन जाएंगे. लेकिन जैसे ही उसने वृक्ष के तने में कुल्हाडी़ मारने के लिए हाथ उठाया, उसमें से एक देव प्रकट हएऔर उसे कहा, मैं इस वृक्ष में वास करता हूं और यहां बड़े ही आनन्द से रहता हूं और यह पेड़ भी काफ़ी हराभरा है तो तुम्हेंइस वृक्ष को नहीं काटना चाहिए.  जुलाहे ने कहा, मैं बेहद गरीब हूं और इसलिए लाचार हूं, क्योंकि इसकी लकड़ी के बिना मेरे उपकरण नहीं बनेंगे, जिससे मैंकपड़ा नहीं बुन पाऊंगा और मेरा परिवार भूखा मर जाएगा. आप किसी और वृक्ष का आश्रय ले लो.  देव ने कहा, मन्थरक, मैं तुम्हारे जवाब से प्रसन्न हूं, इसलिए अगर तुम इस पेड़ को ना काटो तो मैं तुम्हें एक वरदान दूंगा, तुममांगो जो भी तुमको चाहिए.  मन्थरक सोच में पड़ गया और बोला, मैं अभी घर जाकर अपनी पत्‍नी और मित्र से सलाह करता हूं कि मुझे क्या वर मांगना चाहिए.  देव ने कहा, तुम जाओ मैं तब तक तुम्हारी प्रतीक्षा करता हूं.  गांव में पहुंचने पर मन्थरक की भेंट अपने एक मित्र नाई से हो गई. उसने दोस्त को सारा क़िस्सा सुनाया और पूछा, मित्र, मैं तुमसे सलाह लेने ही आया हूं कि मुझे क्या वरदान मांगना चाहिए. नाई ने कहा, क्यों ना तुम देव से एक पूरा राज्य मांग को, तुम वहां के राजा बन जाना और मैं तुम्हारा मन्त्री बन जाऊंगा. जीवन में सुख ही सुख होगा. Image courtesy: thesimplehelp.com मन्थरक को मित्र की सलाह अच्छी लगी लेकिन उसने नाई से कहा कि मैं अपनी पत्‍नी से सलाह लेने के बाद ही वरदान का निश्चय करुंगा. मंथरक को नाई ने कहा कि मित्र तुम्हारी पत्नी लोभी और स्वार्थी है, वो सिर्फ़ अपना भला और फायदा ही सोचेगी.  मन्थरक ने कहा, मित्र जो भी है आख़िर मेरी पत्नी है वो तो उसकी सलाह भी ज़रूरी है. घर पहुंचकर वह पत्‍नी से बोला, जंगल में आज मुझे एक देव मिले है और वो मुझसे खुश होकर एक वरदान देना चाहते हैं, बदले में मुझे उस पेड़ को नहीं काटना है. नाई की सलाह है कि मैं राज्य मांग लूं और राजा बनकर सुखी जीवन व्यतीत करूं, तुम्हारी क्या सलाह है? पत्‍नी ने उत्तर दिया, राज्य-शासन का काम इतना आसान नहीं है, राजा की अनेकों जिम्मेदारियाँ होती हैं, पूरे राज्य और…

January 4, 2021

व्यंग्य- दे दे प्यार दे… (Satire Story- De De Pyar De…)

इश्क़ का साइड इफेक्ट देखिए. लोग कहते हैं इश्क़ अंधा होता है. मै नहीं मानता. लैला-मजनू, रोमियो-जूलियट, शिरीन-फरहाद और हीर-रांझा…

January 3, 2021
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