बचपन से जुड़ी न जाने कितनी खट्टी-मीठी बातें आज भी याद आते ही दिल को ख़ुशगवार बना देती हैं. फिल्मी सितारे भी इससे अछूते नहीं हैं. स्टार्स के बचपन की कुछ ऐसी ही ख़ूबसूरत यादों को ताज़ा करने की कोशिश की है हमने.
रितिक रोशन
बचपन में मैं बहुत शरारती था. स्कूल में दो पेंसिल ले जाया करता था और दोनों को सोल्जर बनाकर लड़वाता रहता था. डैड मुझे बहुत प्यार करते थे, इसलिए कभी-कभी मेरे लिए ख़ुद खाना भी बनाया करते थे, जो उतना मज़ेदार तो नहीं होता था, पर उसमें उनका ढेर सारा प्यार झलकता था. मुझे साइकिल चलाने और छोटे-छोटे कार इकट्ठे करने का बहुत शौक़ था. मैं अक्सर कार-पेंसिल से खेलता था और उन पर कहानियां भी बनाता था. बचपन से ही मुझे इंडोर गेम्स खेलने में बहुत मज़ा आता था. स्कूली दिनों में मेरी हकलाने की आदत से क्लास के बच्चे मुझे बहुत चिढ़ाते थे. इससे बचने के लिए मैं अक्सर पेटदर्द-बुख़ार का बहाना करके ओरल एग्ज़ाम बंक (छुट्टी) कर देता था. मेरी हकलाने की आदत को ठीक करने के लिए डैड ने कई सारे टीचर रखे, पर कोई ख़ास फ़ायदा नहीं हुआ. फिर धीरे-धीरे मैंने रोज़ एबीसीडी बोलने की शुरुआत की. मैं यह अल्फाबेट बार-बार बोलता रहता था. बचपन से यह करते रहने से मैं अपनी हकलाने की समस्या पर कंट्रोल कर सका. आज भी सोने से पहले मैं इसकी प्रैक्टिस करता हूं.श्रद्धा कपूर
मुझे कहो ना प्यार है मूवी देखने के बाद से ही रितिक रोशन पर क्रश हो गया था. मेरे पास रितिक के फोटोग्राफ्स का काफ़ी कलेक्शन था और मैं अपना अधिक समय रितिक के अलग-अलग पोज़ के फोटोग्राफ्स जुटाने में ही गुज़ारती थी. बचपन में मेरे दोस्त कहते थे कि उन्हें मेरे घर नहीं आना, क्योंकि मेरे पापा (शक्ति कपूर) विलेन हैं. फिर मैंनेे सभी दोस्तों को समझाया कि वे केवल फिल्मों में एक्टिंग करते हैं. फिर एक दिन सभी दोस्तों को घर पर इनवाइट किया और पापा से मिलवाया. जब वे लोग पापा से मिले, तब उन्हें वे बड़े फनी लगे. तब जाकर उनका भ्रम दूर हुआ.अजय देवगन
बचपन में बरसात के दिनों में हम अक्सर लोनावला जाया करते थे. इसके लिए कभी स्कूल से बंक भी मार लेता था. बचपन में लोनावला बहुत खुला-खुला व छोटा-सा ख़ूबसूरत हिल स्टेशन था, पर अब यह शहर भी भीड़ भरा हो गया, बिल्कुल मुंबई जैसा. लेकिन आज भी जब भी मौक़ा मिलता है, तो वहां जाकर बचपन की यादों को ताज़ा करता हूं.रणबीर कपूर
यूं तो बचपन की ढेर सारी यादें हैं, पर सबसे मज़ेदार घटना वो थी, जब बहन करीना कपूर एक गंदे नाले को स्विमिंग पूल समझकर कूद गई थी. मुझे बचपन से ही माधुरी दीक्षितजी को लेकर क्रश था और जब उनकी शादी हुई, तब तो मेरा दिल ही टूट गया.कैटरीना कैफ़
बचपन में मैं काफ़ी सीधी-सादी थी. हांगकांग, हवाई, लंदन जैसी जगहों पर मेरा बचपन बीता. बचपन में मुझे मार्बल्स (कंचे) इकट्ठा करने का बहुत शौक़ था, पर ख़रीदने के लिए पैसे नहीं होते थे. तब मेरी बहन मार्बल्स का लालच देकर मुझसे घर का पूरा काम करवाती और फिर 3-4 मार्बल्स देती थी. मैं उसी में बहुत ख़ुश हो जाया करती थी, लेकिन बाद में पता चला कि वो मार्बल्स तो बहुत सस्ते आते थे.सलमान ख़ान
शोले मूवी का प्रीमियर देखने के लिए मैं अपने भाई अरबाज़ ख़ान के साथ स्कूल यूनिफॉर्म में ही मिनर्वा थिएटर चला गया था. उस समय मुझे थोड़ा अजीब ज़रूर लगा था, पर मूवी देखने के बाद हम सबने काफ़ी एंजॉय किया. उस समय पहले दो हफ़्ते में फिल्म को अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला था, पर बाद में तो यह ऐतिहासिक फिल्म ही बन गई.आलिया भट्ट
मैं बचपन से ही शाहिद कपूर को बेइंतहा पसंद करती रही हूं. टीनएज की ख़ूबसूरत बातें उनसे जुड़ी हुई हैं. अब जब उनके साथ शानदार और उड़ता पंजाब फिल्मों में साथ काम करने का मौक़ा मिल रहा है, तो मेरे तो पांव ही ज़मीं पर नहीं हैं, मैं वाकई आस्मां में उड़ रही हूं.रणवीर सिंह
मेरी अपनी बहन रितिका से बचपन से ही मेरी एक स्पेशल बॉन्डिंग रही है. वो शुरू से ही मुझ पर जमकर बॉसिंग किया करती थी. फिर एक दौर ऐसा आया, जब मैं उसे परेशान करने लगा. हम दोनों की पढ़ाई एक ही स्कूल में हुई है, इसलिए शरारत करने के कई मौ़के मिलते रहते थे. बहन के साथ बचपन में बिताए गए यादगार पलों को यादकर आज भी दिल ख़ुश हो जाता है. अब तो मेरी बहन मेरी दूसरी मां बन गई है.आमिर खान
मुझे बचपन में कॉमिक्स पढ़ने का बहुत शौक़ था. महीने में मिलनेवाले जेबख़र्च के बीस रुपए से ढेर सारी कॉमिक्स ख़रीद लेता था. फिर अपने कमरे में आराम से लेटकर कॉमिक्स पढ़ता और साथ में सैंडविच खाता रहता था. मुझे अपनी बहनों पर हुकुम चलाने में भी ख़ूब मज़ा आता था. छोटेपन से ही मेरी इमेज रोमियो जैसी रही है. शरारत करना, लड़कियों को छेड़ना, परेशान करना मुझे बहुत अच्छा लगता था. मेरी हरक़तों से तंग आकर एक बार मेरी टीचर ने मां से यहां तक कह दिया कि मेरा एडमिशन किसी दूसरे स्कूल में करा दें.अभिषेक बच्चन
बचपन में मुझे मेरी बहन श्वेता के सॉफ्ट टॉयज़ को अपने टॉय गन से शूट करने में बड़ा मजा आता था. जैसे पापा फिल्मों में विलेन को गोली मारते थे, उसी तरह मैं श्वेता के खिलौनों को उड़ाया करता था. बहुत कम लोग जानते हैं कि बचपन में मैं एक्टर नहीं बनना चाहता था, बल्कि बस पापा जैसा बनना चाहता था. मुझे लेकर श्वेता बहुत इमोशनल है. उसने न्यूज़पेपर पढ़ना केवल इसलिए छोड़ दिया कि एक बार मेरे बारे में अनुचित कमेंट्स किए गए थे.रानी मुखर्जी
बचपन में मेरा भाई मुझसे छिन गया था. आज भी उसकी याद सताती रहती है. जब मैं ग्यारह-बारह साल की थी, तब मैं किसी को बेइंतहा चाहने लगी थी. मेरे मन में उस शख़्स के लिए प्यार, सम्मान और ढेर सारी भावनाएं थीं, पर उन्होंने उसकी कद्र नहीं की और सब कुछ अधूरा ही रह गया.सोनू सूद
मेरा बचपन इंदौर शहर की गलियों में गुज़रा है. मैं गर्मियों की छुट्टियों में अपने अंकल-आंटी के साथ इस शहर की मशहूर चाट की दुकानों पर चाट खाने ख़ूब जाया करता था. यहां पर बिताए गए बचपन के दिन मेरे दिल के बेहद क़रीब हैं. आज भी यदि मुझे मौक़ा मिले, तो मैं अपनी बचपन की यादों को रिवाइव करने के लिए यहां पर बार-बार जाना चाहूंगा.काजोल
लोनावला में हमारा बंगला है. यहां से मेरी बचपन की कई ख़ूबसूरत यादें जुड़ी हुई हैं. यहीं पर मैंनेे डैड से साइकिल चलाना सीखा. उन दिनों हम यहां पर अक्सर आया करते थे. बचपन में मॉम हमें दोपहर एक बजे तक कहीं पर भी घूम-फिरकर घर पर आ जाने के लिए कहा कहती थीं, पर दोस्त-कज़िन के साथ इधर-उधर घूमने, बस में चढ़ने, मौज-मस्ती करने में 4-5 घंटे कैसे गुज़र जाते थे, पता ही नहीं चलता था. सच! बहुत ही ख़ूबसूरत दिन थे वे.सैफ अली ख़ान
स्कूली दिनों में मैं जब इंग्लैंड में रहता था, तब अपनी बहन सोहा अली ख़ान का काफ़ी ख़्याल रखता था. मैं एक बार उसे पब ले गया, तब सोहा छोटी थी. वहां पर मैंने उसे सभी विदेशियों को सलाम-आदाब करने के लिए कहा, तब सब ख़ूब हंसे थे. यह मेरे बचपन का सबसे मज़ेदार वाक्या था. स्कूल के दिनों में मौज-मस्ती के लिए अक्सर मैं सोहा की पॉकेटमनी भी उड़ा लेता था.- ऊषा गुप्ता
Link Copied