पीएमएस यानी प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम, जिसके कई शारीरिक और भावनात्मक लक्षण होते हैं. आमतौर पर माहवारी यानी पीरियड्स के 2 से 7 दिन पहले (अक्सर 14 दिनों तक) यह लक्षण दिखाई देने लगते हैं. पीरियड्स शुरू होने तक या इसके कुछ दिनों तक यह लक्षण कायम रहते हैं. इसके बारे में विस्तार से इंदिरा आईवीएफ की सीईओ और सह-संस्थापक डॉ. क्षितिज मुर्डिया ने जानकारी दी.
पीएमएस के लक्षण
एलोप्रेगनैनोलोन, यह केमिकल मस्तिष्क में स्रावित होता है, जो पीएमएस लक्षणों को शुरू करने के लिए ज़िम्मेदार प्रमुख कारकों में से एक है. पीएमएस से कई सारे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जो प्रत्येक व्यक्ति को अलग तरह से प्रभावित करते हैं. माहवारी चक्र और स्वास्थ्य, उम्र, आहार आदि के अनुसार यह लक्षण भी अलग हो सकते हैं. ये दो प्रकार के होते हैं- शारीरिक और भावनात्मक.
- थकान, सिरदर्द, माइग्रेन, जी मचलना, मांसपेशियों में ऐंठन या पीठ के निचले हिस्से में दर्द, पेट में ऐंठन, मुंहासे आना, नींद न आना (अनिद्रा या हाइपर्सोमनिया), खाने की क्रेविंग (मीठा या नमकीन खाने के लिए), कामेच्छा का कम होना आदि कुछ शारीरिक लक्षण हैं, जो पीएमएस के दौरान होते हैं. इसके अलावा शरीर में द्रव प्रतिधारण के कारण पेट के निचले हिस्से में सूजन, कमज़ोर या सूजे हुए स्तन, गले में दर्द और वज़न बढ़ना आदि लक्षण भी हो सकते हैं.
- मूड स्विंग्स, चिंता या डिप्रेशन, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, चिड़चिड़ापन, अरुचि ऐसे भावनात्मक लक्षण पीएमएस के दौरान प्रभावित करते हैं. इन लक्षणों के अलावा, पीएमएस अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के मौजूदा लक्षणों को भी बढ़ा सकता है, जैसे- माइग्रेन या किसी पुराने दर्द को सह पाना कठिन हो सकता है. कुछेक कोअस्थमा, मिर्गी या एलर्जी के अटैक्स आ सकते हैं.
उपाय
जीवनशैली: पीएमएस लक्षणों के प्रबंधन और ख़ुशहाल ज़िंदगी के लिए स्वस्थ जीवनशैली होना सबसे आवश्यक है. अल्कोहल सेवन और स्मोकिंग जैसी हानिकारक आदतों से दूर रहना चाहिए.
आहार: हॉर्मोन स्तर को संतुलित रखने के लिए संतुलित आहार ज़रूरी है जिन्हें पीसीओएस है ऐसी महिलाओं को डायबिटीज़ होने का खतरा ज़्यादा रहता है. फल, सब्ज़ियां, प्रोटीन्स, अच्छे फैट्स, एमिनो एसिड्स और रोज़ाना 2 से 3 लीटर पानी यह सब मिलकर आहार को पोषक बनाते हैं.
एक्सरसाइज़: नियमित रूप से वर्कआउट स्वस्थ जीवन के लिए ज़रूरी है. कसरत से शरीर में डोपामाइन जैसे अच्छे हार्मोन्स स्रावित होते हैं, जिससे शरीर को डिप्रेशन, चिंता, तनाव और नींद की समस्याओं जैसे पीएमएस लक्षणों से लड़ने में मदद मिलती है.
आराम: माहवारी के दौरान शरीर को पर्याप्त मात्रा में आराम मिलना चाहिए. यदि ऐंठन, पेटदर्द, माइग्रेन और अन्य शारीरिक परेशानियां आपको हो रही हैं, तो शरीर को आराम की सख़्त ज़रूरत होती है, ताकि उसे स्वस्थ होने के लिए समय मिल सकें.
दवा: पीएमएस लक्षणों के गंभीर मामलों में अपने डॉक्टर के पास जाएं और उन्हें अपनी समस्या के बारे में बताएं. वो आपको दवा या इलाज बता सकते हैं.
रिसर्च- पीसीओएस के साथ पीएमएस
एक अध्ययन से पता चला है कि पांच में से एक यानी 20% भारतीय महिलाएं पीसीओएस (पॉली-सिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम) से पीड़ित हैं. पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को माहवारी के दौरान गंभीर पीएमएस के लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है. पीसीओएस के साथ पीएमएस के लक्षणों को प्रबंधित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन ऊपर दिए गए उपायों की मदद से यह संभव है. पीसीओएस को महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारकों में से एक माना गया है और यह पीएमएस के लक्षणों को गंभीर बना सकता है.
यह भी पढ़ें: अर्ली मेनोपॉज़ से जुड़ी इन 5 बातों को ज़रूर जानें…(5 Things To Know About Early Menopause)