फिल्म- दास देव
निर्देशक- सुधीर मिश्रा
अवधि- 1 घंटा 51 मिनट
स्टार- राहुल भट्ट, रिचा चड्ढा, अदिति राव हैदरी, सौरभ शुक्ला और विनीत सिंह.
रेटिंग- 3/5
कहानी
निर्देशक सुधीर मिश्रा के इस मॉडर्न 'दास देव' की कहानी की पृष्ठभूमि उत्तरप्रदेश की है. कहानी के मुताबिक राजनीतिक घराने का उत्तराधिकारी देव (राहुल भट्ट) पारो (रिचा चड्ढा) से प्यार करता है, लेकिन उसे नशे और अय्याशी की बुरी लत होती है. छोटी उम्र में ही देव अपने पिता को हेलीकॉप्टर हादसे में खो देता है और उसे चाचा अवधेश (सौरव शुक्ला) पाल-पोसकर बड़ा करते हैं. उसके चाचा अवधेश मुख्यमंत्री हैं इसलिए वो चाहते हैं कि वो अपने खानदान की इस राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाए. उधर पारो अपने प्रेमी देव को नशे और अय्याशी की आदतों से बाहर निकालने की कोशिश करती है, लेकिन उसे राजनीति में लाने के लिए उसके चाचा (चांदनी) अदिति राव हैदरी को लेकर आते हैं. चांदनी देव से प्रेम करती है और एक ऐसा चक्रव्यूह रचती है, जिससे देव राजनीति की बागडोर अपने हाथ में लेने पर मजबूर हो जाता है. उधर सत्ता की बागडोर हाथ में लेते ही पारो और देव के बीच टकराव बढ़ जाता है और वो विपक्ष के नेता (विपिन शर्मा) से शादी कर लेती है. इसके आगे की कहानी क्या मोड़ लेती है, इसके लिए आपको यह फिल्म देखनी पड़ेगी.डायरेक्शन
डार्क और इंटेंस सिनेमा हमेशा से ही डायरेक्टर सुधीर मिश्रा की ख़ासियत रही है. जिसकी झलक 'दास देव' में दिखाई दे रही है. उन्होंने शरत चंद्र की देवदास के तीनों मुख्य पात्रों देव, पारो और चांदनी को लेकर उसमें शेक्सपियर का ट्रैजिक, ग्रे और विश्वघाती रंग मिला दिया है. इस फिल्म में सुधीर ने यह दिखाने की कोशिश की है कि कोई भी दूध का धुला नहीं है. इस फिल्म में राजनीतिक साज़िशों की एक के बाद एक करके कई परतें खुलती हैं. फिल्म के कुछ गीत आपको पसंद आएंगे और फिल्म का बैकग्राउंड भी दमदार है.एक्टिंग
एक्टर राहुल भट्ट ने देव के किरदार के साथ न्याय करने की पूरी कोशिश की है. उन्होंने अपने किरदार की विषमताओं को बेहतर ढंग से निभाया है. रिचा ने पारो की तो अदिति ने चांदनी की भूमिका के साथ पूरा न्याय किया है. सौरव शुक्ला, विनीत सिंह, दीपराज राणा जैसे सभी कलाकारों ने अपने किरदारों में जान डालकर कहानी को विश्वसनीय बनाया है. इस फिल्म में मेहमान कलाकार के तौर पर अनुराग कश्यप भी नज़र आएंगे, जो देव के पिता बने हैं.
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