अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ देवेंद्र ने गोल्ड पर साधा निशाना(Devendra Smashes Javelin World Record To Win Paralympic Gold At Rio)
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रियो पैरालिंपिक 2016 में हर दिन भारतीय खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से देश और देशवासियों को ख़ुशी मनाने का मौक़ा दे रहे हैं. हर तरह के खेल में भारतीय अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. एथलीट देवेंद्र झाजरिया ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए अपना ही विश्व रिकॉर्ड तोड़कर रियो पैरालिंपिक में पुरुषों की भाला फेंक खेल में स्वर्ण पदक जीता.पहली बार जब किसी पैरालिंपिक एथलीट को मिला पद्मश्री
देवेंद्र झाजरिया को 2004 में अर्जुन पुरस्कार और 2012 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है. हम आपको बता दें कि पद्मश्री से सम्मानित होनेवाले वह पहले पैरालिंपिक एथलीट बने.
बिजली में गंवाया एक हाथ
8 साल की उम्र में देवेंद्र और बच्चों की तरह मौज-मस्ती करने के लिए पेड़ पर चढ़े. पेड़ पर चढ़ने के दौरान देवेंद्र को न जाने किस तरह से बिजली का शॉक लगा, उनका बायां हाथ पूरी तरह से सुन्न पड़ गया. इस हादसे ने देवेंद्र के परिवारवालों को तोड़कर रख दिया, क्योंकि इस दुर्घटना के बाद देवेेंद्र का बायां हाथ काटना पड़ा. इस कमी को उन्होंने अपना हथियार बनाया और अपने सपनों को पूरा करना शुरू कर दिया.
हाथ नहीं है तो क्या, हौसला तो है
राजस्थान के छोटे-से गांव में जन्मे देवेंद्र और बच्चों की ही तरह थे, लेकिन बिजली के झटके ने उन्हें झकझोर कर रख दिया और उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि क्या हुआ जो हाथ नहीं है. किसी के सहारे रहने की बजाय ख़ुद कुछ करना ज़्यादा उचित है. तभी से देवेंद्र के व्यक्तित्व में बदलाव होने शुरू हो गए. देवेंद्र ने अपने दिमाग़ को खेलों में लगाया और आज पूरे विश्व में देश का मान बढ़ा रहे हैं.
अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ा
पैरालिंपिक 2016 में देवेंद्र ने अपने ही रिकॉर्ड में सुधार करते हुए 63.97 मीटर का प्रयास कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया. 36 वर्षीय एथलीट विश्व रैंकिंग में तीसरे स्थान पर हैं.