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डायबिटीज़ केयर (Diabetes Care)

दुनिया की लगभग 13% आबादी डायबिटीज़ से पीड़ित है. डायबिटीज़ से दुनियाभर में हर साल दस लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो रही है. ख़ासकर भारत में डायबिटीज़ के मरीज़ों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है, इसलिए अब इंडिया को डायबिटीज़ का कैपिटल कहा जाने लगा है.


डायबिटीज़ से कैसे बचा जा सकता है? क्या एहतियात बरतना ज़रूरी है, ऐसी ही तमाम बातों की जानकारी दे रहे हैं लीलावती हॉस्पिटल, मुंबई के सीनियर एंकोलॉजिस्ट, सीनियर डायबेटोलॉजिस्ट और मेटाबॉलिक फिजिशियन डॉ. शशांक जोशी.

  • डायबिटीज़ में सबसे गंभीर बात यह है कि व्यक्ति को पता ही नहीं चलता कि उसे शुगर की बीमारी है. यह एक साइलेंट किलर है, जो ब्लड टेस्ट करने पर ही पता चलता है.
  • डायबिटीज़ दुनिया की टॉप पांच बीमारियों में से एक है. इसके अलावा यह कई बीमारियों की जड़ भी है, जैसे- हार्ट प्रॉब्लम, हायपर टेंशन, लिवर, किडनी फेलेयर, कोलेस्ट्रॉल, लकवा, न्यूरोपैथी आदि.
  • जब शुगर टेस्ट करने पर फास्टिंग शुगर 126 के ऊपर या पोस्ट लंच 200 के ऊपर या फिर तीन महीने का एवरेज शुगर 6.5 से ज़्यादा होगा, तो हम कहते हैं कि उन्हें डायबिटीज़ हुआ है.
  • टाइप 2 डायबिटीज़ के मरीज़ अगर शुगर पर कंट्रोल नहीं करेंगे तो उन्हें कई कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं, क्योंकि शुगर ब्लड वेसेल्स में जाकर चिपक जाते हैं. इससे आंख के पर्दे प्रभावित होते हैं. ब्रेन स्ट्रोक्स, हार्ट अटैक, किडनी ख़राब होती है. इंसुलिन बनना बंद हो जाता है.
  • टाइप वन डायबिटीज़ में इंसुलिन बिल्कुल तैयार नहीं होता. इसमें इंसुलिन इंजेक्शन देना पड़ता है. इसे बच्चों का डायबिटीज़ भी कहते हैं. सौ में से दो प्रतिशत लोगों में यह होता है.
  • टाइप 2 डायबिटीज़ जेनेटिक होता है. यदि आपके पैरेंट्स को डायबिटीज़ है, तो आपको होने की संभावना 90% है. यदि मां या पिता में से किसी एक को है, तो 70% और आपके रिश्तेदारों को होने पर आपको इसके होने की संभावना 40% हो जाती है.
  • ग़लत लाइफस्टाइल से भी डायबिटीज़ के शिकार हो सकते हैं. यदि पुरुषों में पेट का आकर 90 सें.मी. और महिलाओं में 60 सें.मी. के ऊपर होगा, तो आपको डायबिटीज़ की जांच अवश्य करवानी चाहिए. बहुत अधिक खाते हैं, कैलोरी अधिक लेते हैं, तो डायबिटीज़ होने की संभावना अधिक होती है.
  • ग़लत लाइफस्टाइल, एक्सरसाइज़ न करने, गलत खानपान के साथ सुस्त और मस्त जीवन प्रवृति के कारण शुगर बढ़ता है.
  • हर समय बैठे रहना, घंटों मोबाइल पर रहना, ऐप्स पर फूड ऑर्डर करना, लोगों को टेंशन देने और लेने की आदत, मानसिक तनाव, व्यायाम कम होना आदि से आप डायबिटीज़ के शिकार हो सकते हैं.
  • टाइप वन डायबिटीज़ में हमें काउंसलिंग करके पूरी लाइफ इंसुलिन देना ही पड़ता है. लेकिन ये मरीज़ नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं. शादी कर सकते हैं, बच्चे कर सकते हैं. बस, उन्हें अपनी बीमारी को अच्छी तरह से समझना व उसे स्वीकार करना बहुत ज़रूरी है.
  • डायबिटीज़ के लिए एबीसीडीईएफ फॉर्मूला अपनाएं. डॉक्टर के अनुसार चलें और हर तीन महीने में टेस्ट करवाएं.
  • ब्लड प्रेशर 130-80 के नीचे रखें.
  • साथ ही यूरिन में प्रोटीन लीक होना अवॉइड करें.
  • कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रखेें.
  • डायट सही रखें. कम खाएं और धीरे-धीरे खाएं.
  • एक्सरसाइज़ करें. रोज़ाना कम से कम हज़ार स्टेप्स चलें. योग व प्राणायाम करें. पैर का निरीक्षण करते रहना ज़रूरी है.
  • सही जीवनशैली अपनाएं और सकारात्मक रहें.
  • नियमित रूप से दवाएं लें.
  • तंबाकू, सिगरेट, अल्कोहल का सेवन न करें.
  • सात घंटे की नींद लें. पांच घंटे से कम न सोएं और दस घंटे से अधिक भी न सोएं.

क्या आप जानते हैं कि मधुमेह, शक्कर की बीमारी डायबिटीज़ को हम चार हज़ार साल से जानते हैं. हर सातवें सेकंड में दुनिया में डायबिटीज़ की वजह से एक मौत होती है. करीब 236 मिलियन लोगों को शुगर की या प्री डायबिटीज़ यानी भविष्य में डायबिटीज़ होने की संभावना रहती है. दुनिया में हर आठवें आदमी को मधुमेह है. वहीं भारत में हर छठे शख़्स को शुगर या फिर प्री शुगर यानी होने की संभावना होती है, ख़ासकर मुंबई, दिल्ली जैसे शहरों में इसकी तादाद अधिक है.
पूरे विश्वभर में डायबिटीज़ से हर सात सेकंड में एक व्यक्ति की मौत होती है. दुनियाभर में 8 मिलियन लोग रहते हैं, तो उसमें करीब डेढ़ मिलियन तो भारत में ही है.

डॉ. शशांक जोशी

डायबिटीज़ केयर पर विस्तृत जानकारी के लिए मेरी सहेली के यूटयूब चैनल पर डॉ. शशांक जोशी के पॉडकास्ट को अवश्य सुनें.

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